Wednesday, April 17, 2024
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पुष्करणा सावा : सारा शहर बन गया बारातघर

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बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज़)। शहर की रौनक बने पुष्करणा सावे की धूम कुछ इस तरह है मानो हर घर में शादी है रोशनी से सजे घर हर गली की रौनक बढ़ा रहे हैं।मोहता चौक, हर्षों का चौक, बारह गुवाड़, साले की होली, नत्थूसर गेट क्षेत्र दुल्हन की तरह सजा है। 

आज के दिन की शुरूआत मायरे से हुई, पूरे शहर में बिरा रमकझमक गीत की गूंज सुनाई दे रही है पुष्करणा सावे के तहत 400 घरों में शादियां आयोजित होगी और 200 जोड़े हमसफर बनेंगे। जिसमें 75 जोड़े गैर पुष्करणा है तथा 125 के आसपास पुष्करणा समाज के जोड़े शामिल है।

पुष्करणा ओलम्पिक सावे के तहत बाहर गुवाड़ में रमझझमक द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पहले पहुंचे दुल्हे को सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में दुल्हा भैरुरत्न पुरोहित पुत्र ब्रजरत्न पुरोहित ने पहले पहुंचकर ईनाम प्राप्त किया। जिसमें रमकझमक द्वारा दुल्हेदुल्हन को श्रीनाथजी यात्रा करवाने की बात कहीं तथा पुजारी बाबा लाल बाबाजी द्वारा 5100-5100 रुपए नकद पुरस्कार दिया गया। इस मौके अन्य दुल्हे भी विष्णु रुप में पहुंचे। बारह गुवाड़ में आयोजित इस कार्यक्रम में देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग इक्कठे हुए।

पुष्करणा विवाह पद्धति पुस्तक का विमोचन

ऊर्जा,जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ.बी.डी. कल्ला ने बुधवार को पं.विमल किराडू एवं पंडित अशोक रंगा द्वारा लिखित पुष्करणा विवाह पद्धति (पुस्तक) का विमोचन किया। इस अवसर पर महेश व्यास, डॉ.गोपाल नारायण व्यास, मोहनलाल किराडू, मगन बिस्सा, करतार सिंह सोढ़ी, राजेन्द्र प्रसाद पुरोहित कार्यक्रम में मौजूद रहे। कार्यक्रम में ऊर्जा जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने संबोधित करते हुए कहा कि पुष्करणा समाज में सामूहिक विवाह बहुत पुरानी संस्कृति है।

पहले चार वर्षों में सामूहिक विवाह का आयोजन होता लेकिन अब हर साल होने लग गया है। वही वैवाहिक पद्धति पुस्तक को लेकर पं. विमल किराडू अशोक रंगा का आभार जताते हुए कहा कि आजकल लोग संस्कारों की पद्धति को भूल गए मगर इस पुस्तक के माध्यम से लोग वापस अपने संस्कार को याद रखेंगे।

इस अवसर पर डा. गोपालनारायण व्यास ने पुष्करणा विवाह पद्धति की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और वर्तमान परिवेश में उपनयन संस्कार में उक्त पुस्तक की उपादेयता बताई। स्वर्गीय सूर्यप्रकाश किराडू स्मृति संस्थान के चंद्रप्रकाश ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में पण्डित रामेश्वर किराडू, घनश्यामदास रंगा, कैलाश पुरोहित, भरत रंगा, दिनेश पुरोहित, देवकीनंदन व्यास, कैलाश पुरोहित तथा सुरेंद्र व्यास सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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