बीकानेर abhayindia.com कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बार-बार हाथ धोने की प्रक्रिया को उपयुक्त बताया जा रहा है, लोग यह जतन कर भी रहे हैं। लेकिन हाथ धोने के लिए वॉशबेसिन की टोंटी (नल) को चलाना पड़ता है, रेलवे ने पहल करते हुए हैंड्स फ्री वॉशबेसिन तैयार किए थे, जिनका प्रयोग कारगर साबित हो रहा है। यह वॉशबेसिन पैरों से संचालित होते हैं। उत्तर पश्चिमी रेलवे बीकानेर मंडल में यह पहल साकार साबित हुई।
पैडल लगे हैं
हैंड्स फ्री वॉशबेसिन में नीचे की तरफ पैडल लगाए गए हंै, इसमें एक में साबुन का पानी आता है, तो दूसरा पैडल दबाने पर सादा पानी आता है। इस तरह से ना ही तो साबुन को छुने की जरुरत है, ना ही हैंडवॉश की बोतल और टोंटी को छुने की जरूरत। रेलवे के दफ्तर, रेलवे अस्पतालों, रेल कोच डिपो, वर्कशॉप, वांशिंग लाइन व कुछ स्थानों पर स्टेशनों पर भी इस तरह के हैंड्स फ्री वॉशबेसिन लगाए हैं।
यहां पर 200 से अधिक
उत्तर पश्चिमी रेलवे में 200 से अधिक इस तरह के हैड्स फ्री वॉशबेसिन लगाए थे। इसमें बीकानेर, जयपुर, जोधपुर व अजमेर मंडल आता है। बीकानेर में लालगढ़ स्थित वर्कशॉप ने 40 इस तरह के वॉशबेसिन तैयार किए थे। इसके अलावा लालगढ़ स्थित कोच डिपो ने भी बनाए है। अकेले बीकानेर मंडल में ही 50 से अधिक लगाए जा चुके है।
यहां भी है
इसमें बीकानेर, लालगढ़, हिसार, भिवानी सहित अन्य क्षेत्र शामिल है। बीकानेर में स्थित रेलवे कोचिंग डिपो, वाशिंग लाइन, मंडल प्रबंधक कार्यालय व उसके सामने स्थित रेलवे क्लिनिक, मंडल रेल अस्पताल में इस तरह के पैरों से संचालित होने वाले वॉशबेसिन लगाए गए है।
ताकि संक्रमण से बचा जा सके
बीकानेर मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में लगाए गए हैड्स फ्री वॉशबेसिन कारगर है। बड़ी संख्या में कर्मचारियों का आवागमन रहता है, ऐसे में पैरों से संचालित वॉशबेसिन उपयुक्त है। जितेन्द्र मीणा, वरिष्ठ वाणिज्य मंडल प्रबंधक, बीकानेर (उ.प.रेलवे)