Monday, April 29, 2024
Hometrendingबीकानेर : दादी हृदय मोहिनी को पुष्पांजलि व श्रद्धांजलि

बीकानेर : दादी हृदय मोहिनी को पुष्पांजलि व श्रद्धांजलि

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

बीकानेर abhayindia.com प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की प्रमुख प्रशासिका दादी हृदय मोहिनी को सोमवार को विश्व विद्यालय के क्षेत्रीय सेवा केन्द्र में पुष्पांजलि व श्रद्धांजलि दी गई। सेवा केन्द्र की क्षेत्रीय प्रभारी बी.के.कमल, बी.के.रजनी, बी.के.हंसमुख, रानीसर बास सेवा केन्द्र की बी.के.मीना के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने दादी को पुष्पांजलि व श्रद्धांजलि दी। दादी बीकानेर नगर व संभाग की यात्रा के चित्र भी प्रदर्शित किए गए।

क्षेत्रीय प्रभारी बी.के.कमल ने दादीजी को पुष्पांजलि व श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि दादीजी का जीवन एक आलौकिक व्यक्तित्व को दर्शाता था। उनके जीवन में आध्यात्मिक दिव्य आभा महसूस होती रहती थीं। उनसे व्यक्तित्व व कृतित्व से सदा नम्रता, निमित भाव व निर्मलता की प्रेरणा सबको मिलती रही । बीकानेर नगर व बीकानेर संभाग में दो बार दादी हृदय मोहिनी ने आकर लोगों में आध्यात्मिक चेतना व ईश्वरीय ज्ञान की प्रतिष्ठा की। डागा मैदान में आर्य समाज के सर्वधर्म सम्मेलन व वर्ष 1989 में रतन बिहारी पार्क में ’’सर्व के सहयोग से सुखमय संसार’’ विषयक आध्यात्मिक मेले में भागीदारी निभाई। नवरात्रा के दौरान आयोजित मेले में नौ देवियों की चैतन्य झांकी सजाई गई तथा योग शिविर लगाया गया। उन्होंने संभाग के श्रीगंगानगर, सूरतगढ़ व चूरू आदि स्थानों के सेवा केन्द्रों का अवलोकन किया तथा सेवा केन्द्र में आने वाले श्रद्धालुओं से राजयोग, ईश्वरीय ज्ञान ग्रहण करने की प्रेरणा दी।

फोटो-फाईल-प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की प्रमुख दिवंगत दादी हृदय मोहिनी रतन बिहारी पार्क में ’’सर्व के सहयोग से सुखमय संसार’’ आध्यात्मिक मेले में प्रवचन करते हुए।

परमात्मा की श्रद्धा व शुद्ध भाव से भक्ति करें-साध्वी सौम्य प्रभा

बीकानेर abhayindia.com जैन श्वेताम्बर तपागच्छ की साध्वीश्री सौम्यप्रभा ने कोचरों के चौक के पंच मंदिर के पास के पुरुष उपासरे में सोमवार को प्रवचन में कहा कि संसार में सबसे विशिष्ट व विशुद्ध पुण्य तीर्थंकर परमात्मा का होता है। जीवों के प्रति करुणा, अत्यन्त निर्मल सम्यकत्व एवं बीस स्थानक तप की आराधना के बल से परमात्मा को उतम पुण्य की प्राप्ति होती है।

उन्होंने कहा कि ऐसे पुण्य के धनी तीर्थंकर परमात्मा की भक्ति कर हम भी विशिष्ट पुण्य प्राप्त कर सकते है।  कुमार पाल गौतम ने प्रभु की भक्ति करके ऐसा पुण्य अर्जित किया कि 5 कोड़़ी के पुष्प अर्पित किए और 18 देशों के राजा बन गए। परमात्मा की श्रद्धा व शुद्ध भाव से भक्ति कर प्रत्येक श्रावक-श्राविका अपने कर्मों का क्षय कर पुण्यों की प्राप्त कर सकते हैं।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular