









भारतीय संस्कृति में परिवार को समाज की सबसे महत्वपूर्ण इकाई माना गया है। जब परिवार में प्रेम, समझदारी और सामंजस्य बना रहता है, तब व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ और सामाजिक रूप से सफल होता है। कई बार घर पर बिना वजह परिवार के सदस्यों के बीच अनबन या लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं।
वास्तु के अनुसार, घर पर होने वाले बिना कारण झगड़ों का एक कारण वास्तु दोष भी हो सकता है। वास्तु शास्त्र में परिवार में खुशहाली व सदस्यों के बीच आपसी प्रेम बढ़ाने के उपाय बताए गए हैं। जानें वास्तु शास्त्र के अनुसार पारिवारिक कलह से मुक्ति के लिए क्या उपाय करें। प्राचीन वास्तु शास्त्र के अनुसार, कुछ वास्तु दोष भी पारिवारिक कलह का मुख्य कारण बन सकते हैं। वास्तु के अनुसार कभी भी जंगली जानवर जैसे शेर, चीता आदि हिंसक पशुओं की तस्वीरों को घर में लगाने से बचना चाहिए। कई घरों में तो ऐसा देखा गया है कि लोग इनके मुखौटे भी सजावट के तौर पर लगाते हैं ।इस तरह की चीजें घर में लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। घर के लोगों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव होता है और एक-दूसरे के प्रति द्वेष की भावना बढ़ती है।
घर में हो रहे कलह से निपटने के लिए घर के हर कोने की साफ-सफाई ठीक से करना जरूरी है। घर हमेशा साफ-सुथरा होना चाहिए। घर के किसी भी कोने में गंदगी, अव्यवस्था आपके परिवारिक जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है और यही तनाव का कारण बन सकते हैं। इसलिए जितना हो सके, घर को साफ-सुथरा रखें। अनुभव में आया है कि घर में बाथरूम के पास ही जल स्थान होना भी पारिवारिक कलह को न्यौता देता है। साथ ही आजकल घर में जल स्थान के पास ही जूते-चप्पल का स्टैंड रखने का रिवाज बढ़ गया है जो कि अनुचित है।
वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर का निर्माण इस प्रकार किया जाना चाहिए कि हर कमरे या कम से कम हर बेड रूम में प्राकृतिक प्रकाश जरूर पहुंचे। प्राकृतिक प्रकाश के साथ घर और आपके जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। घर में झगड़े या मन-मुटाव नहीं बनता है। अगर आपका घर कई मंजिला हो तो ध्यान रखें बुजुर्गों का कमरा निचली मंजिल पर होना चाहिए और युवाओं का कमरा ऊपरी मंजिल पर। परिवार के बच्चों का व्यवहार चिड़चिड़ा रहता है या वो बड़ों का कहना नहीं मानते तो रोज सुबह उनके माथे पर केसर का तिलक लगाएं, उनके व्यवहार में बदलाव आएगा। यदि घर का मंदिर शौचालय के पास, शयनकक्ष में या दक्षिण दिशा में हो, तो पारिवारिक कलह और मानसिक अशांति बढ़ सकती है।
वास्तु के अनुसार, घर का मुख्य द्वार नैऋत्य कोण में नहीं होना चाहिए। यह वास्तु के अनुसार सबसे अशुभ दिशा का द्वार होता है। ऐसे घर में रहने वाले लोग ज्यादातर दुखी ही रहते हैं। दक्षिण-पश्चिम दिशा घर की स्थिरता, नियंत्रण और रिश्तों की मजबूती की दिशा है। अगर इस दिशा में अग्नि तत्व (रसोई) या जल तत्व (बाथरूम) हो, तो संबंधों में नियंत्रण और संतुलन बिगड़ सकता है। लिविंग रूम में फर्नीचर ऐसे रखने चाहिए कि परिवार के सभी लोग कुछ समय पूर्व, उत्तर पूर्व दिशा में बैठ सकें।
वास्तु के अनुसार, ऐसा करने से फैमिली के सदस्यों के बीच प्रेम बढ़ता है। घर में खराब बिजली के उपकरण या टूटी-फूटी चीजें नहीं रखनी चाहिए। ये नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं और घर में कलह का कारण बनते हैं। जूते, चप्पल को हमेशा व्यवस्थित और सही जगह पर रखना चाहिए। घर में पेड़ पौधे लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। तुलसी का पौधा घर के आंगन में लगाना बहुत शुभ होता है. गृह के रंग भी मानसिक प्रभाव डालते हैं। यदि घर में अत्यधिक गहरे या आक्रामक रंग जैसे काला, गहरा लाल या भूरा प्रयोग हो रहा हो, तो वह घर में तनाव और क्रोध का कारण बन सकता है। पारिवारिक कलह केवल मानसिक या सामाजिक कारणों से नहीं, बल्कि घर की संरचना और ऊर्जा संतुलन से भी उत्पन्न हो सकता है। वास्तु शास्त्र एक जीवनशैली है, जो केवल दिशाओं की जानकारी नहीं, बल्कि संतुलित, समृद्ध और शांतिपूर्ण जीवन का मार्गदर्शन देता है।
यदि हम थोड़े-से वास्तु नियमों का पालन करें और घर को प्रकृति के साथ समन्वित रखें, तो निश्चित रूप से पारिवारिक जीवन में सामंजस्य, प्रेम और शांति बनी रह सकती है। प्रश्न उठता है परिवार में सुख-शांति के लिए घर की उत्तर पश्चिम दिशा को चेक करना चाहिए। उत्तर पश्चिम दिशा में कोई भी विरोधी तत्व, विरोधी रंग होने पर ये समस्याएं आने की संभावना बहुत रहती है। घर की उत्तर दिशा में कोई भी खराब सामान, वाशिंग मशीन, डस्टबीन, कबाड़ आदि वहां पर हो तो हटा देना चाहिए। नियमित रूप से गाय को रोटी खिलाने से परिवार में सुख-शांति बढ़ती है। -सुमित व्यास, एम.ए (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मोबाइल – 6376188431






