जोधपुर (अभय इंडिया न्यूज)। नाबालिग के यौन उत्पीडऩ के आरोप में जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद आसाराम के मामले में 25 अप्रैल को आने वाले फैसले के मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने कड़े प्रबंध किए है। इस बहुचर्चित मामले पर करीब आठ देशों के लाखों लोगों की निगाहें टिकी हैं। भारत सहित करीब आठ अन्य देशों में आसाराम के लगभग १४० आश्रम हैं। चौदह सौ से भी ज्यादा छोटे आश्रम, शिक्षण संस्थान, योग केंद्र और अन्य कार्यालय भी हैं। इनमें लाखों लोग और बच्चे पढ़ते-लिखते हैं, आध्यात्म के बारे में सीखते हैं और पूजा-पाठ पर ध्यान देते हैं। इन देशों में भारत के अलावा अफ्रीका, कनाडा, दुबई, इंगलैंड, नेपाल, हांगकांग, यूएसए और सिंगापुर शामिल हैं। सबसे ज्यादा आश्रम यूएसए और नेपाल में बताए जाते हैं। यूएसए में जहां 9 आश्रम हैं, वहीं नेपाल में पांच आश्रम हैं। शेष देशों में भी कहीं एक तो कहीं दो आश्रम हैं।
जानकारों की मानें तो आसाराम से जुड़ा यह फैसला लाखों लोगों के जीवन और उनके आध्यात्म से जुड़ा हुआ है। 25 अप्रेल को होने वाले फैसले से यह तय हो सकता है कि आसाराम पर जो संगीन आरोप लगे हैं वे सहीं हैं या नहीं। बहरहाल, जोधपुर सेंट्रल जेल में जहां आसाराम बंद है, उसके आसपास होटलों और धर्मशालाओं की नियमित रूप से तलाशी हो रही है। पुलिस पूरी तरह मुस्तैद एवं सतर्क है। आसाराम के समर्थकों की भीड़ जुटने के मद्देनजर दस दिन के लिए जोधपुर में धारा 144 लागू की गई है। आसाराम के भक्तों और सेवकों को जोधपुर जेल के आसपास ही नहीं, बल्कि अन्य जगहों पर भी एक साथ रुकने नहीं दिया जा रहा है। केवल जोधपुर ही नहीं, बल्कि उत्तरप्रदेश और हरियाणा के कुछ जिलों में भी पुलिस तक सतर्क है।
गौरतलब है कि यौन उत्पीडऩ के आरोपी आसाराम के मामले में फैसले के लिए 25 अप्रैल की तारीख तय की गई है। सजा सुनाए जाने के दौरान बड़ी संख्या में आसाराम के समर्थकों के जोधपुर शहर में पहुंचने की पुलिस को खुफिया रिपोर्ट मिली है। इस पर पुलिस ने उच्च न्यायालय में अर्जी पेश कर आसाराम का फैसला जेल में ही सुनाए जाने का आग्रह किया था। पुलिस की अर्जी को स्वीकारते हुए जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास और जस्टिस रामचंद्र झाला की खंडपीठ ने आसाराम को जेल में ही फैसला सुनाने का आदेश दिया है। अब जोधपुर जिला एससी, एसटी न्यायालय के जज मधुसूदन शर्मा जेल में ही फैसला सुनाएंगे।