जयपुर (अभय इंडिया न्यूज)। बच्चों के विकास, संरक्षण और उनके समग्र स्वास्थ्य के प्रमुख मुद्दों को पहचानने एवं त्वरित कार्रवाई के लिए सभी राज्यों को आपस में समन्वय स्थापित कर आवश्यक कदम उठाने होंगे।
ये उद्बोधन महानिदेशक पुलिस, राजस्थान ओ. पी. गल्होत्रा ने यूनिसेफ के सहयोग से राजस्थान पुलिस व सरदार पटेल पुलिस यूनिवर्सिटी के बाल संरक्षण संस्थान (सीसीपी) द्वारा 5 राज्यों बिहार, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान के लिए हितधारकों के अंतर्राज्यीय समन्वय के आयोजन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में दिये। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बाल श्रम, बाल तस्करी, बाल विवाह, बच्चों का यौन शोषण एवं वे बच्चें जो अनाथ हैं, ऐसे बच्चों की पहचान कर उन्हें राष्ट्र की मुख्यधारा में लाकर उनके सर्वांगीण विकास के लिए स्वस्थ माहौल उत्पन्न करना राज्य सरकार की ही नही अपितु हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है।
गल्होत्रा ने बताया कि बाल श्रम अभियान (सीएसी) के अध्ययन के मुताबिक भारत में 1 लाख 26 हजार बाल मजदूर हैं, जिनमें 50,000 से अधिक 5 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के बाल श्रमिक है। राजस्थान का देश में कुल बाल मजदूरी का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस एवं निदेशक, सरदार पटेल पुलिस यूनिवर्सिटी राजीव शर्मा ने कहा कि बच्चों के प्रति अपराधों को रोकने एवं उनके उत्थान के विषय पर विचार साझा करने के उद्देश्य से ही यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि राजस्थान पाकिस्तान के साथ अपनी पश्चिमी सीमा साझा करता है और भौगोलिक क्षेत्र के मामले में देश का सबसे बड़ा राज्य है। जनगणना 2011 के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में मुख्य श्रमिक वर्ग में लगभग 2,52,000 बाल श्रमिक और सभी श्रेणियों में काम करने वाले 8,50,000 कुल बच्चे हैं। राजस्थान में जोधपुर में बाल मजदूरों की संख्या सबसे ज्यादा है, उसके बाद जयपुर और भीलवाड़ा हैं। राजस्थान में काम करने वाले कई बच्चे बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड से लाए जाते हैं। पश्चिमी राजस्थान में इनमें से अधिकतर बच्चों को नमक उद्योग में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है जबकि दक्षिणी राजस्थान में वे मुख्य रूप से बीटी कॉटन खेती में लगे हुए हैं।
पीड़ित बच्चों को मुख्यधारा में लाएंगे : पुलिस महानिदेशक
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