Sunday, April 28, 2024
Hometrendingवो 4 दशक...और मारवाड़ का गांधी- अशोक गहलोत

वो 4 दशक…और मारवाड़ का गांधी- अशोक गहलोत

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

जोधपुर (अभय इंडिया न्यूज)। बीते चार दशक से राजनीति में छाए रहने वाले अशोक गहलोत राजस्थान के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। गहलोत ने अपनी राजनीतिक यात्रा के दौरान कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। कभी लोगों ने उन्हें राजनीति का जादूगर कहा तो कभी उन्हें मारवाड़ के गांधी की उपमा से अलंकृत किया।

…तो जादूगर होते गहलोत

‘राजनीति का जादूगर’ कहलाने वाले गहलोत वास्तविक जीवन में जादूगर भी रह चुके है। अपने जादूगर पिता बाबू लक्ष्मण सिंह के सानिध्य में उन्होंने जादूगरी सीखी। आपको बता दें कि 3 साल पहले जादूगरों के एक सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान गहलोत ने जादू भी दिखाया और खुलासा किया कि यदि वे राजनीति में नहीं आते तो निश्चित तौर पर एक पेशेवर जादूगर होते।

पिता थे पेशेवर जादूगर

जोधपुर में 3 मई 1951 को जन्मे अशोक गहलोत के पिता बाबू लक्ष्मण सिंह पेशे से जादूगर थे। अशोक गहलोत ने अपने पिता के सानिध्य में जादूगरी सीखी, लेकिन इसे पेशा नहीं बना पाए। विज्ञान व कानून में स्नातक होने के साथ अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त गहलोत का विवाह 27 नवम्बर 1977 को सुनीता के साथ हुआ। उनके एक पुत्र वैभव व पुत्री सोनिया है। दोनों का विवाह हो चुका है।

पुत्र को रखा राजनीति से दूर

राजस्थान की राजनीति में दबदबा रखने के बावजूद अशोक गहलोत ने कभी परिवारवाद को पनाह नहीं दी। यहां तक की अपने पुत्र वैभव को राजनीति से दूर ही रखा। पार्टी ने दो बार वैभव को लोकसभा चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव भी दिया, लेकिन गहलोत इसके लिए तैयार नहीं हुए। हालांकि, हाल ही गहलोत ने कहा कि अब यदि वैभव चाहे तो चुनाव लड़ सकते है।

1977 में शुरू हुई ये पारी

गहलोत ने 1971 में बांग्लादेश से आए शरणार्थियों के शिविरों में भी अपनी सेवाएं दी।1973 से 1979 तक वे कांग्रेस की छात्र विंग एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे। इस दौरान जनता लहर में उन्होंने वर्ष 1977 में सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ अपनी राजनीतिक जीवन शुरू किया। पहले मुकाबले में ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन गहलोत ने हार नहीं मानी और डटे रहे। 1980 के मध्यावधि चुनाव में संजय गांधी ने गहलोत को जोधपुर से लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी घोषित कर दिया।

34 की उम्र में प्रदेशाध्यक्ष

1985 में सभी दिग्गजों को दरकिनार कर 34 वर्षीय गहलोत को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया। चार वर्ष तक वे इस पद पर रहे। इसके बाद वे दो बार फिर प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। 2004 में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में विशेष आमन्त्रित सदस्य बनाया गया। इसी साल उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। पांच वर्ष वे इस पद पर रहने के बाद फिर प्रदेश की राजनीति में लौटे और मुख्यमंत्री बने। वर्तमान में गहलोत कांग्रेस के संगठन महासचिव है।

गहलोत के सीएम बनने पर बीकानेर में फैंस ने ऐसे मनाई खुशियां

बीकानेर : सरकार बदलते ही शुरू हो गया इस्तीफा का दौर

भाजपाईयों को सबसे ज्यादा पीड़ा दे रही बीकानेर पश्चिम की हार

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular