Monday, July 1, 2024
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मुश्किल पलों में मददगार बनी “टेलीमानस”, अवासदग्रस्त लोगों का जीवन बचाने में मिली सफलता

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जयपुर Abhayindia.com चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के निर्देशों पर प्रदेश में मानसिक अवसाद से ग्रस्त लोगों का जीवन बचाने की दिशा में सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं। एक ओर जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध अस्पतालों में मनोरोगों के लिए बेहतर उपचार सेवाएं सुनिश्चित की जा रही है, वहीं दूसरी ओर ऑनलाइन टोल फ्री टेलीमानस परामर्श सेवा मुश्किल पलों में लोगों के लिए जीवनदा​यिनी साबित हो रही है।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा ​सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशों पर विभाग की ओर से टेलीमानस हैल्पलाइन का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। विशेषकर युवाओं तक इस सेवा की पहुंच सुनिश्चित की जा रही है, जिसके सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं।

उन्होंने बताया कि चिकित्सा विभाग द्वारा रोगियों को दी जा जाने वाली पंजीयन पर्ची पर हैल्पलाइन के संबंध में जानकारी देने के लिए मोहर लगाने जैसे नवाचार किए गए हैं। साथ ही, राजस्थान राज्य पुस्तक मंडल द्वारा मुद्रित की जाने वाली पुस्तकों के अंतिम पृष्ठ पर टेलीमानस टोल फ्री हैल्पलाइन के संबंध में जानकारी दी जा ही है। इन सार्थक प्रयासों से कई लोगों का जीवन बचाना संभव हुआ है। ऐसे ही कुछ मामले यहां साझा किए जा रहे हैं, जिनमें मुश्किल घडी के दौरान टेलीमानस हैल्पलाइन जीवनरक्षक बनी है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में टेलीमानस हैल्पलाईन के माध्यम से मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों द्वारा मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परामर्श प्रदान किया जा रहा है। कोई भी व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सहायता के लिए टोल फ्री नं. 14416 या 1-800-891-4416 पर कॉल कर मदद प्राप्त कर सकते हैं। अब तक 15 हजार से अधिक कॉल पर लोगों को इस हेल्पलाइन के माध्यम से परामर्श दिया गया।

केस—1/ आत्महत्या के विचार को
बदल बनाया आशावादी

टेलीमानस हैल्पलाइन पर मार्च 2024 में एक 25 वर्षीय अविवाहित बेरोजगार व्यक्ति ने संपर्क किया। संक्षिप्त कॉल में उसने अपने वित्तीय संघर्षों के बारे में बताया। इसी महीने के अंत में, दोबारा कॉल कर कहा कि यह उनकी अंतिम कॉल होगी। कॉलर ने बताया कि नौकरी छोड़ देने के बाद वह भारी आर्थिक बोझ एवं अकेलेपन से जूझ रहा है। उसके पास जीने का कोई कारण नहीं है। करीब 15 मिनट की बातचीत के बाद पता चला कि वह एक रेलवे स्टेशन पर खड़ा है। बताया कि ट्रेन के सामने कूद कर जीवन समाप्त करना ही उसके पास आखिरी रास्ता बचा है। रोगी ने अपने पता- ठिकाना और परिवार के सदस्यों के संपर्क के बारे में नहीं बताया। लगातार बातचीत कर कॉलर की सहमति से एक राहगीर को फोन पर हो रही वार्ता में शामिल करने का प्रयास किया गया। लेकिन दुर्भाग्य से, इसका सकारात्मक परिणाम नहीं निकला।

नतीजतन, पुलिस स्टेशन और जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (डीएमएचपी) में स्थानीय अधिकारियों को स्थिति की तात्कालिकता के प्रति सतर्क कर दिया गया। साथ ही टेलीमानस टीम कॉलर को सक्रिय रूप से सुनते हुए आत्महत्या के निर्णय पर आगे नहीं बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही थी। कॉलर अंततः अपने कदम की अन्यायपूर्ण प्रकृति को देख सका। वह रेलवे स्टेशन छोड़कर हमारे साथ कॉल पर रहते हुए अपने वाहन से घर चला गया। पुलिस के पहुंचने से पहले ही वह बेहतर महसूस कर रहा था। टीम कॉलर के घर पहुंचने तक लगातार संपर्क में थी। नियमित फोलो-अप में मरीज को स्थानीय डीएमएचपी तक पहुंचने के लिए के लिए प्रेरित किया। जहां उसका समुचित उपचार शुरू कर दिया गया है। यह जानकर खुशी हुई कि मरीज का नियमित इलाज चल रहा है और वह बेहतर महसूस कर रहा है।

केस—2 / टेलीमानस ने बचाया जीवन

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही एक 22 वर्षीय छात्रा ने टेलीमानस पर कॉल पर रूंआसे स्वर में कहा कि वह आत्महत्या के इरादे से दूसरी मंजिल की बालकनी पर खड़ी है। मुख्य चुनौती उसकी पहली कॉल को संभालना था, जिसमें उसने कूदने, व्यथित होने और मदद के लिए पहुंचने से कुछ सेकंड पहले कॉल किया था। तात्कालिक स्थिति को भांपते हुए हैल्पलाइन पर कार्यरत विशेषज्ञ ने सबसे पहले उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सहानुभूतिपूर्ण और शांत व्यवहार से बात की। सहायक परामर्श और संबंध निर्माण, सहानुभूतिपूर्वक सक्रिय श्रवण और संक्षेपण जैसे कौशल का उपयोग कर उसकी चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया गया। साथ ही कॉलर का पता और संपर्क विवरण प्राप्त करते हुए, देखभाल करने वालों के संपर्क भी नोट किए गए।

रोगी के अनुसार, एक नए शहर में अपने घनिष्ठ संयुक्त परिवार से दूर अकेलापन महसूस करने एवं पढ़ाई में सफलता न पाने का डर सता रहा था। उसने नींद कम आना, भूख में कमी और बार-बार मन में आत्महत्या के विचार आने के लक्षण बताए। नियमित फोलोअप से उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला। छात्रा ने बताया कि उसने कुछ दिन पहले अपने पीजी रूममेट के साथ अपनी भावनाएं साझा की थीं,जिसने उसे टेलीमानस के बारे में बताया। युवती ने संकट के समय तत्काल मदद देने एवं नियमित परामर्श के लिए टेली मानस के प्रति आभार व्यक्त किया।

केस—3/ अवसाद हुआ ​दूर, जीवन बना सकारात्मक—

दिसंबर 2023 में पहली बार एक 17 वर्षीय युवक ने टेलीमानस हैल्पलाइन पर फोन निजी परेशानियों से तंग आकर आत्महत्या तक के विचार के बारे में बताया। उसका मन उदास रहता है और उसने परिवार में बातचीत नहीं कर पाता है। अवसाद के कारण मन में भारी निराशा, खराब विचार, नींद नहीं आने और भूख कम होने की समस्या बतायी। पिछले 10-11 महीने में उसने कई बार स्वयं को चोट पहुंचाने का भी प्रयास किया था। चुनौती यह थी कि कॉलर परिवार से बात करने में बिल्कुल भी सहज नहीं था। लगातार परामर्श के बाद परिजनों की सहमति से मनोचिकित्सक तक पहुंचाकर और उसका समुचित उपचार शुरू किया गया। चार महीनों के ट्रीटमेंट के दौरान कई बार फोलोअप परामर्श भी दिया गया। इससे रोगी के लगातार स्वयं को चोट पहुंचाने के प्रयासों की आवृत्ति धीरे-धीरे कम हो गई। परिणाम स्वरूप अब गत 2 महीने से रोगी ने खुद को कोई चोट नहीं पहुंचाई है। रोगी ने फीडबैक में बताया कि एक समय था जब जीवन अनिश्चितता से भरा था, लेकिन टेलीमानस टीम ने मेरी बहुत मदद की है। अब वह परिजनों के साथ समय बिताने लगा है। जीवन में सकारात्मकता आई है।

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