








बीकानेर abhayindia.com भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के संदर्भ में प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस ( पैपा ) द्वारा महाराजा नरेंद्र सिंह ऑडिटोरियम में एक विशेष सेमीनार “सेव अवर सोल” (एसओएस) का आयोजन किया गया।
सेमीनार के संयोजक रमेश बालेचा ने बताया कि इस सेमीनार में प्रस्तावित नई शिक्षा नीति में रही विसंगतियों एवं खामियों को दूर करने के लिए सरकार को जागरूक करने हेतु व्यापक चिंतन मनन किया गया। प्राईवेट स्कूलों के राष्ट्रीय संगठन “निसा” ( नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स एलायंस, नई दिल्ली) के राजस्थान – प्रभारी शिक्षाविद् डॉ. दिलीप मोदी (झुंझूनू) ने एस ओ एस सेमीनार को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि प्रस्तावित शिक्षा नीति में सरकारी स्कूलों और गैर सरकारी स्कूलों को एक समान मानने तथा गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के महत्व को स्वीकार किए जाना स्वागत योग्य है,लेकिन गैर सरकारी स्कूलों में सरकारी स्कूलों की भांति एसएमसी (स्कूल मैनेजमेंट कमेटी) बनाने का हम घोर विरोध करते हैं? ऐसा किया जाना न केवल संविधान में प्रदत मौलिक अधिकारों का हनन है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के 11 न्यायाधीशों की बैंच के ऐतिहासिक फैसले टीएमए पाई (TMA Pai) केस 2002 द्वारा स्कूलों को दी गई स्वायत्तता के भी विपरीत है। यह सोसाइटी एक्ट द्वारा सोसायटियों को दिए अधिकारों, शक्तियों व जिम्मेदारियों का भी उल्लंघन है।
उन्होंने कहा कि मान्यता प्राप्त स्कूलों के समानांतर चल रही कोचिंग क्लासेज को नियंत्रित करने के लिए रेग्युलेशन द्वारा स्टूडेंट्स की सुरक्षा, गुणवत्ता, जवाबदेही इत्यादि निर्धारित की जाए। कोचिंग संस्थान में पढ़ने जाने वाले डमी स्टूडेंट्स का प्रवेश रद्द किया जाए। उन्होंने कहा कि मेडिकल, ईंजीनियरिंग सहित सभी प्रवेश परीक्षाओं के साथ-साथ स्कूल बोर्ड के अंकों को बराबर-बराबर अनुपात में भार (वैटेज) दिया जाए। उन्होंने कहा कि इंस्पेक्टर राज से प्राईवेट स्कूलों को मुक्त करते हुए पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की जाए, जिससे इस क्षेत्र में निजी निवेश भी बढेगा और तकनीकी व नवाचारों के समावेश से विश्व स्तरीय गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा। उन्होंने इस अवसर पर कोचिंग संस्थानों के प्रति सरकार द्वारा बरती जा रही उदारता को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कोचिंग संस्थानों को रेग्युलेट किया जाना अत्यंत ही आवश्यक है।
पैपा के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने प्रस्तावित नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट की विसंगतियों एवं कमियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रस्तावित शिक्षा नीति लागू हो जाने पर सभी गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं को व्यापक रूप से प्रभावित करेगी। यहां तक कि इन स्कूलों के अस्तित्व के लिए भी संकट खड़ा हो जाएगा। उन्होंने सभी स्कूलों के संचालकों से आग्रह किया कि इस प्रस्तावित नई शिक्षा नीति ड्राफ्ट में संशोधन करने के लिए अंतिम दिनांक से पहले ही भारत सरकार को अधिकाधिक सुझाव व आपत्तियां प्रेषित कर सरकार को संशोधन के लिए मजबूर करना होगा।
खैरीवाल ने इस अवसर पर बताया कि शीघ्र ही “स्वच्छ शिक्षा अभियान” की शुरुआत कर अवैधानिक रूप से संचालित शिक्षण संस्थानों के विरुद्ध उचित कार्रवाई के लिए सरकार से अनुरोध किया जाएगा। उन्होंने निसा के प्रदेश प्रभारी डॉ. दिलीप मोदी को एश्योर्ड किया कि पैपा निसा के साथ हर संभव सहयोग करेगा। सेमीनार की अध्यक्षता करते हुए विपिन पोपली ने कहा कि आरटीई के अंतर्गत प्री प्राईमरी से कक्षा बारहवीं तक विस्तार करना उचित है, लेकिन क्या यह संभव हो सकेगा? क्योंकि सरकार कक्षा आठवीं तक के 14 वर्ष तक की आयु वर्ग के बच्चों को आरटीई के अंतर्गत क्वालिटी शिक्षा व प्राईवेट स्कूलों को पुनर्भुगतान तक तो नहीं कर पा रही है।
पोपली ने सुझाव दिया कि आरटीई के अंतर्गत सरकार पैसा सीधे ही स्टूडेंट्स या अभिभावक के अकाउंट में डीबीटी (डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर) के माध्यम से किया जाए जिससे स्टूडेंट्स भी अपनी इच्छा के अनुसार गुणवत्ता पूर्ण स्कूल का चयन करने के लिए स्वतंत्र रहेगा और स्कूलों की जांच के नाम पर होने वाली फिजूलखर्ची, भ्रष्टाचार व पुनर्भुगतान में हो रहे अनावश्यक विलंब पर अंकुश भी लग सकेगा।
एसओएस के संयोजक रमेश बालेचा ने सेमीनार का विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि प्रस्तावित नई शिक्षा नीति 2019 की घोषणा ऐसे समय में की गई है जबकि पूरे देश में स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश चल रहे हैं। ऐसे में इस शिक्षा नीति का विस्तृत व गहन अध्ययन कर चर्चा करना एवं सुझाव तथा आपत्तियां प्रस्तुत करना संभव नहीं है, क्योंकि अधिकतर स्कूलों के की पर्सन छुट्टियों पर हैं अथवा अपने घर परिवार के साथ भ्रमण के लिए गए हुए हैं। इनके साथ ही जिस पॉलिसी को बनाने में सरकार को तीन साल से अधिक समय लगा हो, उस लगभग साढ़े छह सौ पेजों की पॉलिसी का विश्लेषण कर आपत्तियों के लिए मात्र तीस दिनों का समय ही दिया गया है जो कि अत्यंत ही अपर्याप्त है। सेमीनार में मनोज राजपुरोहित ने कहा कि नई शिक्षा नीति में नए स्कूल खोलने बाबत लाइसेंस व्यवस्था बिलकुल अनुचित है। उन्होंने आरटीई को और अधिक सरल बनाने का सुझाव कै दिया।
सेमीनार में कैरियर काउंसलर डॉ. चंद्रशेखर श्रीमाली ने कहा कि हमें कारण के बजाय निवारण के लिए सक्रिय रहना चाहिए। डॉ. श्रीमाली ने कहा कि स्कूल का संचालन अत्यंत दुष्कर काम है। आप सब इस कठिन कार्य को बखूबी अंजाम दे रहे हैं, तभी समाज में अच्छी शिक्षा का प्रसार व्यापक रूप से हो पा रहा है। नोखा निजी विद्यालय संघ के महासचिव इंद्र सिंह, महेश गुप्ता, बालकिशन सोलंकी, प्रभुदयाल गहलोत, चंपालाल प्रजापत, विनोद रामावत, मुकेश पांडेय, योगेश सांखला ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर करुणा इंटरनेशनल संस्था के शिक्षा अधिकारी घनश्याम साध ने करुणा इंटरनेशनल संस्था के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। जैन पाठशाला सभा के अध्यक्ष विजय कोचर ने आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन सुंदर लाल साध ने किया।
इस अवसर पर विजय कोचर, उमानाराम प्रजापत, उमाचरण सुरोलिया, गिरिश गहलोत, विनोद कुमार शर्मा, गौतम, जितेंद्र बालेचा, डॉ. सुधा सोनी, पुरूषोत्तम दास, अनमोल मिढ्ढा, डॉ प्रेमरतन हटीला, धर्मेंद्र सिंह, मनीष कुमार, ओमदान चारण, बजरंग गहलोत, राकेश जोशी, शुभेंद्र तंवर, तुषार खत्री, सुरेश कुमार आचार्य, राजेंद्र प्रसाद, घनश्याम स्वामी, डॉ महेश चुग, कन्हैयालाल साध, शिव कुमार शर्मा, राजेश पुरोहित, शिवरतन भाटी, डॉ नीलम जैन, जयगणेश कच्छावा, प्रेम गहलोत, राकेश पंवार, राजेश, विजय कुमार, भागीरथ साध, रामदेव गौड़, कमल पंवार, रघुनाथ बेनीवाल, कमल सोलंकी, दिलीप परिहार, विष्णु पंवार, हरिनारायण स्वामी, सुरेन्द्र तुलसानी, इत्यादि सहित बड़ी संख्या में बीकानेर शहर के प्राईवेट स्कूलों के संचालकगण उपस्थित थे।
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