Friday, March 29, 2024
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विधानसभा सत्र से पहले इसलिए चिंता में पड़ी गहलोत सरकार…..

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जयपुर abhayindia.com लोकसभा चुनाव में हार के बाद राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार विपक्षी दल भाजपा के साथ-साथ अपनों से भी जूझ रही है। सीएम गहलोत को इस समय सबसे बड़ी चिंता 27 जून से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र को लेकर सता रही है सत्र में सरकार भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस विधायकों के भी निशाने पर रहेगी। इस बीच कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे ने एक एडवायजरी जारी कर विधायकों व पदाधिकारियों से सार्वजनिक रूप से बयानबाजी नहीं करने की बात कही। इसके बावजूद विधायकों व नेताओं की बयानबाजी अभी भी जारी है।

आपको बता दें कि अप्रैल के अंत में अलवर में हुए गैंगरेप मामले के बाद गहलोत सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई थी। उसके बाद प्रदेश में दुष्कर्मसामूहिक दुष्कर्म व बजरी माफिया से जुड़े मामले काफी संख्या में सामने आए। लोकसभा चुनाव में हार के बाद सत्ता और संगठन में हार का ठीकरा एक-दूसरे के सिर फोड़ने के लिए बयानबाजी का दौर शुरू हो गया। इस में सरकार के मुखिया सीएम गहलोत पर भी निशाने साधे गए।

सरकार में नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणासहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना ने हार के लिए सीएम को जिम्मेदार बताया। कांग्रेस विधायक पीआर मीणा ने सीएम पर खुलकर आरोप लगाए और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की। आलाकमान ने उन्हें नोटिस भी दिया, लेकिन वे फिर भी नहीं मान रहे। राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक और कांग्रेस विधायक हरीश मीणा ने अपनी ही सरकार के खिलाफ पांच दिन तक टोंक में आमरण अनशन करते हुए पुलिस पर बजरी माफियाओं से मिलीभगत करने का आरोप लगाया।

पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने ब्यूरोक्रेसी के बेलगाम होने की बात कही। विधायक रामनारायण मीणा ने कहा कि हम नहीं सुधरे तो मोदी सरकार को बर्खास्त कर देंगे। कांग्रेस की लीडरशिप खुद के स्वार्थ छोड़कर संगठन मजबूत करने पर ध्यान दें। मीणा ने दूसरी बार पार्टी के नेताओं पर साधा निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग वार्ड मेंबर तक नहीं जीत सकतेउन्हें पार्टी में बड़े पद दे रखे हैं।

इधर, गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे बसपा के 6 विधायक भी दो बार आंखें दिखा चुके हैं। एक बार तो बसपा विधायकों ने राज्यपाल कल्याण सिंह से मुलाकात का समय तक मांग लिया, लेकिन सीएम गहलोत ने बसपा सुप्रीमो मायावती से बात कर मामले को शांत किया। इसी तरह निर्दलीय विधायक भी कई अवसरों पर सरकार को निशाने पर लेते रहे हैं।

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