Thursday, April 25, 2024
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सुनी पढी लिखी श्रृंखला के तहत व्‍याख्‍यान व चर्चा 30 को

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बीकानेर Abhayindia.com आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों के अन्तर्गत राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, कला संस्कृति विभाग द्वारा ओंकार चेरिटेबल ट्रस्ट, कोलकाता के सहयोग से प्रत्येक माह एक शैक्षिणक आयोजन सतत रूप से किया जा रहा है। मई-2022 से “सुनी पढी लिखी श्रृंखला“ शुरू की गई है।

राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान के वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी डॉ. नितिन गोयल ने बताया कि इस श्रृंखला में विषय विशेषज्ञों को आमन्त्रित कर उनके विद्वतापूर्ण उद्बोधन वार्ता के माध्यम से सुधी विद्वानों, विधार्थियों तथा आमजन को ज्ञान अभिवृद्धि के माध्यम से लाभान्वित किया जाता है। सुनी पढी लिखी श्रृंखला के इसी क्रम में इस बार ऐतिहासिक राजस्थानी स्रोतः ख्यात एवं ठिकाना संग्रह पर व्याख्यान व चर्चा होगी। इस विषय पर देश के जान-माने विद्वान डॉ. हुकमसिंह भाटी, पूर्व निदेशक, प्रताप शोध प्रतिष्ठान एवं राजस्थानी शोध संस्थान चौपासनी, जोधपुर (राज) अधिकारिक रूप से उक्त विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में जानकारी देंगे। यह कार्यक्रम 30 अगस्‍त को सायं 5 बजे राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, बीकानेर के हॉल में रखा गया है। राजस्थानी स्रोत पर ख्यात एवं ठिकाना संग्रह विषय नवीन एवं अनूठा है। इससे इतिहास के नये आयामों पर प्रकाश तथा इतिहास के मूल स्त्रोतों की गूढ एवं महत्वपूर्ण जानकारी श्रोताओं को मिलेगी। यह श्रृंखला कार्यक्रम जूम के माध्यम से ऑनलाईन भी होगा। डॉ. गोयल ने बताया कि व्याख्यान में सभी प्रतिभागियों को सर्टीफिकेट प्राप्त करने के लिये ऑन लाईन रजिस्टेशन करवाना जरूरी होगा। कार्यक्रम का ऑनलाईन प्रसारण राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, यू-ट्यूब एवं फेसबुक चैनल पर किया जायेगा।

डॉ. हुकमसिंह भाटी पश्चिमी राजस्थान में पाण्डुलिपियों की खोज सूचीकरण, सम्पादन मौलिक इतिहास लेखन के लिये एक अन्तरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नाम है। 79 वर्षीय डॉ. हुकमसिंह भाटी 78 पुस्तकों का लेखन किया है। मानव संसाधन मत्रालय, राष्ट्रीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली जैसी संस्थाओं द्वारा अनुसंधान से अनुदान प्राप्त करता डॉ. भाटी ने राठौड, चौहान वंश के इतिहास लेखन में शोध यात्रायें कर 194 अप्रकाशित शिलालेखों की खोज की है। मेवाड के 10 ठिकानों में संग्रहित ग्रन्थ पट्टे परवानों की खोज कर राष्ट्र की इस अमूल्य निधि से राजस्थानी भाषा साहित्य के ज्ञान भंडार में अभिवृद्धि की हैं। दुर्गादास स्वर्ण पदक, महाराणा कुम्भा पुरस्कार, राजस्थान इतिहास रतन, मारवाड रतन, मीरा साहित्य शिरोमणि अलंकरण आदि पुरस्कारों से सुशोभित डॉ. भाटी ने मज्झमिका एवं परम्परा जैसे प्रतिष्ठित शोध जरनल का वर्षो तक सम्पादन किया है।

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