Monday, May 6, 2024
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हॉट इश्‍यू : बीकानेर जेल में आखिर कब तक चलेगा ये “खेल….”

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बीकानेर abhayindia.com सुरक्षा बंदोबस्‍तों को लेकर सालों से सुर्खियों में रही बीकानेर सेंट्रल जेल एक बार फिर चर्चा में आ गई है। अपराधियों के लिये मौजस्थली बनी बीकानेर सेंट्रल जेल में नामी अपराधी और मालदार बंदी वह सब सुविधाएं भोग रहे हैं, जो जेल में पूरी तरह प्रतिबंधित है। जेल के अंदर से अपना अपराधिक नेटवर्क चलाने के लिये हाई क्वालिटी मोबाइल फोन, नशाखोरी के लिये मादक पदार्थ समेत अनेक अवांछनीय साजो-सामान उन्हे आसानी से मुहैया हो रहा है।

बंदियों को  प्रतिबंधित साजो-सामान और मादक पदार्थ मुहैया कराने वालों में जेलर से लेकर जेल प्रहरी भी शांमिल है। इस खेल में जेल प्रशासन के अधिकारी भी मिले हुए है। इसका खुलासा अभी दो दिन पहले एक प्रहरी द्वारा जेल की एलईडी में छुपाकर पहुंचाये जा रहे मोबाइलों की खेप से हो चुका है। इससे पहले सेंट्रल जेल में चल रहे भवन निर्माण के लिये सिमेंट के कट्टों में मोबाइल फोन और प्रतिबंधित साजो-सामान बरामद हुआ था। इन दोनों ही मामलों में जेल में तैनात एक जेलर का नाम सामने आ चुका है।

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इससे पहले भी एक होमगार्ड के जवान द्वारा जेल में बंदियों को अवांछनीय वस्तुएं पहुंचाये जाने का मामला उजागर हो चुका है। यह भी पता चला है कि ट्रोमाडोल नामक नशीली टेबलेट्स तो जेल के अंदर बड़े पैमाने पर सप्लाई हो रही है। इसकी सप्लाई में जेल प्रशासन के अधिकारी और जेल प्रहरी भी मिले हुए है। जानकारी में रहे कि पिछले सालभर के अंतराल में बंदियों से 94 मोबाइल बरामद हो चुके है। इस साल की शुरुआत में भी बंदियों के पास मोबाइल होने और जेल से बाहर बात करने के मामले सामने आ चुके है। इतना ही नहीं जेल में बंदियों के पास अवांछनीय साजो-सामान बरामद होने के कई मामले तो जेल प्रशासन द्वारा अंदर के अंदर ही दबाये जा चुके है।

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सुरक्षा मानकों पर हो चुकी है फेल : जानकारी में रहे कि बीकनेर सैंट्रल जेल सुरक्षा मानकों पर सालों पहले ही फेल हो चुकी है। जानकारी के अनुसार साल 2014 में हुई गैंगवार के बाद मानवाधिकार आयोग की ओर से नामित समिति ने सुरक्षा मानकों को लेकर जांच पड़ताल की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में समिति ने सुरक्षा मानकों पर जेल को पूरी तरह खरी नहीं माना। इसके अलावा अंडर ट्रायल कैदियों की व्यवस्था को लेकर भी समिति ने सवाल उठाते हुए दुरुस्त करने की सिफारिश की थी। जेल के अंदर हॉस्पिटल की बदहाली और व्यवस्थाओं को लेकर भी नाराजगी जताई थी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रिपोर्ट में मॉनिटरिंग स्तर पर कमी बताई गई थी। इस रिपोर्ट के बाद भी कारागार विभाग ने बीकानेर सेंट्रल जेल में सुधार के लिये कोई खास कदम नहीं उठाये।

यह है ताजा प्रकरण : प्रकरण के अनुसार सोमवार को दोपहर करीब ढाई बजे जेल प्रहरी मनोहरलाल एक एलईडी लेकर पहुंचा था। वह एलईडी को जेल में ले जाने लगा तब वहां तैनात आरएसी के जवानों ने एलईडी की तलाशी ली तलाशी के दौरान करीब 30 मोबाइल, दो डोंगल, तीन ईयर फोन, तीन मोबाइल के चार्जर, 12 जर्दे की पुडिय़ा बरामद हुई थी। जेल प्रशासन मामले को दबाने में जुट गया। इसी के चलते न कोई कार्रवाई की और ना ही संबंधित थाने में मामला दर्ज कराया। इस पूरे मामले में प्रहरी मामले को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए उसे निलम्बित कर दिया गया और विजय सिंह जेलर की भूमिका संदिग्ध होने पर उसे जेल से हटा दिया गया है।

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