Friday, March 29, 2024
Hometrendingबीकानेर : भू-माफियाओं ने ऐसे बेशकीमती सरकारी जमीन पर बसा दी कॉलोनियां

बीकानेर : भू-माफियाओं ने ऐसे बेशकीमती सरकारी जमीन पर बसा दी कॉलोनियां

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

मुकेश पूनिया/बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज) शहर में भूमाफियाओं के हौसले किस कदर बुलन्द रहे हैं इसका प्रत्यक्ष प्रमाण करमीसर में देखने को मिल सकता है, जहां करोड़ों की बेशकीमती १९ बीघा जमीन पर भूमाफियाओं ने ना केवल कॉलोनियां बसा दी, बल्कि इन कॉलोनियों में भूखण्ड बेच कर करोड़ों रुपए कमा लिए।विडम्बना की बात तो यह रही  यूआईटी के राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज जमीन का अभी तक सीमाज्ञान और कब्जे की कार्रवाही भी लंबित पड़ी है।

यूआईटी अधिकारियों को जमीन का सीमाज्ञान और कब्जे की कार्यवाही के लिए लगातार अवगत कराए जाने के बावजूद उन्होंने आंखें मूंदे रखी। चौंकाने वाली बात तो यह है कि इस जमीन पर कॉलोनियां बसाने वाले भूमाफियाओं में रसूखदार नेता और उनके रिश्तेदार भी शामिल है। पुख्ता खबर यह भी है कि करमीसर की इस बेशकीमती सरकारी जमीन पर बसाई गई कॉलोनियों के कई भूखण्डों में आलिशान मकान भी बन चुके है। कई भूखण्डधारियों ने पट्टे भी बनवा लिए है। 

बताया जाता है कि भूमाफियाओं के भेंट चढ़ी इस जमीन का मामला पिछले महिने ही जिला कलक्टर कुमारपाल गौतम के ध्यान में आया था और उन्होने जांच कार्रवाई करवाकर तत्काल सीमाज्ञान कराने के निर्देश दिए। अब तक की जांच पड़ताल में खुलासा हुआ है कि शहर के प्रभावशाली भूमाफियाओं ने इकरारानामे के जरिये इस जमीन की आपस में खरीदफरोख्त कर ली, फिर भूखण्ड बेच कर लोगों को रजिस्ट्रियां करवा दी। कई भूमाफियाओं ने एक ही भूखण्ड की दोदो बार बेच कर उनकी रजिस्ट्रियां करवा दी। इन कॉलोनियों में भूखण्ड खरीदने वाले लोग अब इधर उधर भटकने को मजबूर है। कई भूखण्डधारियों ने पट्टे बनाने के लिये यूआईटी में फाइलें पेश की, लेकिन कॉलोनी की जमीन कब्जेशुदा होने के कारण पट्टों की कार्यवाही अटकी हुई है। 

यूं चलता है सारा खेल 

जानकार सूत्रों की मनें तो कृषि भूमि पर प्लॉटिंग करने से पहले भूमाफिया सस्ते भावों में खातेदार से एक साथ प्रति बीघा के हिसाब से कृषि भूमि खरीद लेते हैं। बाद में वहां प्लॉटिंग कर कॉलोनी का नामकरण कर दिया जाता है। जब प्लॉट खरीदने लोग पहुंचते है तो उनको कॉलोनी यूआईटी अप्प्रूड बताकर महंगे भावों में प्लॉट बेच देते हैं। इतना ही नहीं लोगों को गुमराह करके केवल स्टाम्प पर इकरारनामा या भूखंड की रजिस्ट्री कृषि भूखंड के रूप में करवाकर दे दी जाती है, जबकि राजस्थान भूराजस्व अधिनियम के तहत बेची गई जमीन का इंतकाल दूसरे व्यक्ति के नाम दर्ज नहीं होने तक वह भूमि पुराने खातेदार की ही होती है। ऐसे बहुत से भूखंडधारी हैं, जो आज भी अपने भूखंड का मालिकाना हक पाने के लिए कोर्ट में चक्कर काटते फिर रहे हैं। उन्होंने पैसे देकर भूखंड तो खरीद लिया, मगर उसका इंतकाल नहीं चढ़ा होने के कारण उनको भूखंड का मालिक नहीं माना जा रहा है।

बीकानेर क्राइम न्यूज : प्रवासी कारोबारी के बंद मकान में लाखों की चोरी

अवैध कॉलोनियों के भूखण्डों की रजिस्ट्री पर रोक, इनमें मचा है हड़कंप…

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular