Saturday, April 20, 2024
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अजय से आदित्‍य बने, महंत से बने मुख्‍यमंत्री, जानिये- योगी की पूरी कहानी…

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पॉलिटिकल डेस्‍क। योगी आदित्यनाथ आज दूसरी बार उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। अजय सिंह बिष्‍ट से पहले आदित्‍यनाथ तथा बाद में महंत से मुख्‍यमंत्री बने योगी आदित्‍यनाथ के सफर की पूरी कहानी बहुत दिलचस्‍प है।

हिन्दुत्व के सबसे बड़े “पोस्‍टर बॉय” योगी आदित्‍यनाथ का जन्‍म उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में 5 जून 1972 को आनन्द सिंह बिष्ट और सावित्री देवी के घर हुआ। उनका नाम अजय सिंह बिष्ट रखा गया। सात भाईबहनों में पाँचवें नंबर पर आने वाले अजय सिंह बिष्ट ने श्रीनगर के गढ़वाल विश्‍वविद्यालय श्रीनगर से गणित से बीएससी की। साल 1993 में वे गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गोरखपुर आए। ये अजय सिंह बिष्ट के जीवन का टर्निंग पॉइंट रहा। क्योंकि यही वो वक्त था जब वो गोरक्षपीठ के मठाधीश और महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आये और फिर अजय सिंह बिष्ट का उनका नाम और परिचय दोनों पुराना हो गया। उनका नया नाम योगी आदित्यनाथ हो गया।

कहा जाता हैं कि अजय सिंह बिष्ट ने जब पहली बार अवैद्यनाथजी से सन्यासी बनने की इच्छा ज़ाहिर की थी तो उन्होंने मना कर दिया था और घर वापस जाने को कहा। इस बीच उनके परिवार के लोग भी उन्हें मनाने और वापस ले जाने के लिए आये लेकिन अजय सिंह बिष्ठ नहीं माने। उन्होंने फिर महंत अवैद्यनाथ से सन्यासी बनने की इच्छा ज़ाहिर की। आख़िरकार, 15 फरवरी 1994 को गोरखनाथ मंदिर प्रवास के दौरान अवैद्यनाथ ने उन्हें दीक्षा देकर अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ बनाया।

योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक अनुभव की शुरुआत वर्ष 1996 से शुरू होती है जब उन्होंने लोकसभा चुनाव में महंत अवैद्यनाथ के चुनाव का संचालन किया। वर्ष 1998 में महंत अवैद्यनाथ ने इन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया। और होने वाले लोकसभा चुनाव का प्रत्याशी भी घोषित कर दिया। यही वो वक्त था जब योगी ने राजनीतिक की दुनिया में कदम रखा और महज़ 26 वर्ष की उम्र में सासंद बने। इसके साथ ही योगी की ख्याति बढ़ने लगी और अपने बयानों से वे चर्चा में आने लगे। उनके ऊपर मुस्लिम विरोधी होने के साथ सांम्प्रदायिक भाषण देने का आरोप लगने लगे। गोरखपुर में हुए दंगे कर्फ्यू के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा। लेकिन, योगी अपने विचारों पर अडिग रहे। उन्होंने हिन्दू युवा वाहिनी और बजरंग दल जैसे संगठनों को मजबूती देते हुए प्रखर हिन्दुत्व को धार देनी शुरू की।

योगी आदित्यनाथ ने 2007 के विधानसभा चुनाव में भाजपा शीर्ष नेतृत्व से मतभेदों के चलते हिन्दू युवा वाहिनी से प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। इससे सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया। भाजपा भी सकते में आ गई। आख़िरकार, भाजपा शीर्ष नेतृत्व को झुकना पड़ा। पार्टी के इस निर्णय का फायदा दोनों को हुआ। योगी का जहां राजनीतिक कद बढ़ा वहीं, पूर्वांचल में भाजपा का जनाधार बढ़ने लगा। योगी आदित्‍यनाथ ने वर्ष 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में लगातार जीत हासिल कर 42 वर्ष की उम्र में लगातार पांच बार सांसद होने का रिकार्ड भी बनाया।

आपको बता दें कि वर्ष 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचण्ड जीत के बाद पार्टी ने योगी को कमान सौंप दी। योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को पहली बार प्रदेश के मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली। उस खुद योगी ने और सियासी पण्डितों ने शायद ही कल्पना की होगी कि ये शख्स इतिहास रचेगा और दोबारा सीएम पद की शपथ लेगा।

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