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बीकानेर abhayindia.com शासन एवं प्रशासन द्वारा अमानक पॉलिथिन पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाने के बाद भी बीकानेर में इसका बड़े पैमान पर विक्रय, परिवहन और इस्तेमाल हो रहा है। बाजार से जुड़े सूत्रों के अनुसार प्रतिबंधित पॉलिथिन सप्लाई में बीकानेर शहर संभाग का सबसे बड़ा केन्द्र बना हुआ है।
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यहां दर्जनों की तादाद में ऐसे डीलर है जो बड़े पैमाने पर प्रतिबंतिध पॉलिथिन थैलियों की सप्लाई के कारोबार से जुड़े है। शहर में इन्होने जगह-जगह अपने गोदाम और प्रतिष्ठान बना रखे है। इनके गोदामों में बेशुमार तादाद में अमानक पॉलिथिन थैलियों का स्टॉक है।
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हैरत की बात तो यह है कि अमानक पॉलिथिन रोकथाम के लिये कानूनी कार्यवाही के लिये जिम्मेदार नगर निगम प्रशासन की टीमें यहां पॉलिथिन माफिया के ठिकानेां पर कार्यवाही के बजाय छोटे-मोटे पॉलिथिन कारोबारियों पर कार्यवाही करने में जुटी है।
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पुख्ता खबर है कि बीकानेर में हर रोज डेढ करोड़ से ज्यादा की पॉलिथिन थैलियां सप्लाई होती है। इनका इस्तेमाल ठेलों पर फल-सब्जी बेचने वाले फुटकर विक्रेताओं से लेकर होटलों एवं बड़े दुकानदार भी धड़ल्ले से करते है। पर्यावरण के लिये घातक और मवेशियों के लिये मौत का पर्याय बनी इन अमानक पॉलिथिन थैलियों के लिये हाईकोर्ट ने भी सख्त हिदायत दे रखी है, लेकिन शासन की नाकामी के कारण बीकानेर में अमानक श्रेणी के पॉलिथिन की थैलियों का धड़ल्ले इस्तेमाल हो रहा है। इसे मवेशियों द्वारा खाने से मौत हो जाती है। इसके अलावा पॉलीथिन के कारण नालियां भी चॉक हो जाती है। इससे नालियों का पानी सड़कों पर बहने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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40 माइक्रोन से पतली पॉलीथिन नहीं होती री-साइकल : जानकारी के मुताबिक बाजार में जितनी भी लूज पॉलीथिन थैली मिलती है वह एनजीटी द्वारा प्रतिबंधित हैं। 40 माइक्रोन से कम की पॉलीथिन थैलियां को री-साइकल नहीं किया जा सकता है। इस वजह से ये पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंचाती हैं। यह पॉलीथिन सस्ती पडऩे से दुकानदार इसका उपयोग करते हैं।
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शहर में रोजाना करीब एक क्विंटल से अधिक इस प्रकार की पॉलीथिन का उपयोग दुकानदार करते हैं। होटलों पर चाय एवं दूध भी पॉलीथिन की थैलियों में रखकर दिया जाने लगा है। गर्म चाय पन्नी में डालने से केमिकल चाय में पहुंच जाता है। इसलिए चिकित्सक भी प्लास्टिक के गिलासों एवं पॉलीथिन के गरम पेय पदार्थों का सेवन नहीं करने की सलाह देते हैं। जबकि विभिन्न कंपनियों के दूध एवं तेल के पैकेट की पन्नियां 50 माइक्रोन से अधिक मोटी होती है, जो री-साइकल होने से पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाती है।
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