बीकानेर abhayindia.com समूचे राज्य में अनेक सरकारी व गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं द्वारा डमी एडमिशन दिखा कर कोचिंग क्लासेज के साथ एडजस्टमेंट के चल रहे खेल पर रोक लगाने की मांग को लेकर प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस (पैपा) राजस्थान द्वारा बुधवार को निदेशक माध्यमिक शिक्षा नथमल डिडेल को ज्ञापन दिया गया। निदेशक प्रारंभिक शिक्षा की अनुपस्थिति में उनके नाम का ज्ञापन उपनिदेशक आरटीई मूलचंद बोहरा को दिया गया।
ये हैं ज्ञापन का मजमून….
ज्ञापन में मांग की गई है कि (1) अवैधानिक काम में लिप्त सभी सरकारी व गैर सरकारी स्कूल्स व सभी कोचिंग क्लासेज के विरुद्ध तुरंत प्रभाव से नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाए।
(2) सभी कोचिंग क्लासेज को स्कूलिंग व्यवस्था तुरंत प्रभाव से बंद किए जाने के लिए न केवल पाबंद किया जाए अपितु ऐसा करने पर आरटीई के नियमों के अनुसार बिना मान्यता स्कूल संचालित करने के नियमों के तहत उन पर आवश्यक कार्रवाई की जाए।
(3) राज्य में हजारों की संख्या में बिना मान्यता प्राप्त किए स्कूल धड़ल्ले से चल रहे हैं, अतः उनके विरुद्ध भी आरटीई के अंतर्गत नियमानुसार कार्रवाई करते हुए ऐसे अवैधानिक स्कूलों को तुरंत प्रभाव से बंद करवाया जाए।
(4) अवैधानिक रूप से संचालित हो रहे कोचिंग क्लासेज रूपी पैरलल स्कूल्स व बिना मान्यता संचालित हो रहे फर्जी स्कूलों के नामांकन जिन सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में दिखाए जा रहे हैं, उनके विरुद्ध भी शिक्षा विभाग के नियमानुसार कार्रवाई तुरंत प्रभाव से की जाए।
(5) स्कूलों की तरह कोचिंग सेंटर्स पर भी समय निर्धारण साप्ताहिक अवकाश व अन्य छुट्टियों का प्रावधान किया जाए।
(6) सुबह के सत्र में कोचिंग सेंटर्स चलने से स्कूली स्टूडेंट्स स्कूल भी नहीं जाते हैं, अतः स्कूली क्लासेज के लिए कोचिंग क्लासेज का टाईम दोपहर दो बजे बाद ही निर्धारित किया जाए।
पैपा के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल के मुताबिक, अवैधानिक काम में लिप्त स्कूलों व कोचिंग क्लासेज के विरुद्ध शिक्षा विभाग के नियमानुसार कार्रवाई करवाने के लिए तीन जून को पैपा ने “स्वच्छ शिक्षा अभियान” की शुरुआत की थी। ज्ञापन में स्कूलों व कोचिंग क्लासेज द्वारा किए जा रहे अवैधानिक कृत्यों का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि जो स्कूल्स अपनी प्राप्त मान्यता स्तर से उच्च स्तरीय कक्षाओं का संचालन करते हैं,अवैध काम है। जो स्कूल ऐसे स्कूल्स और कोचिंगस् के बच्चों के डमी प्रवेश अपनी स्कूल में करते हैं जो उनकी स्कूल में नहीं पढते हैं, अवैधानिक है। बिना मान्यता का स्कूल संचालन करना अवैधानिक कृत्य है। जिस मीडियम में स्कूल को मान्यता मिली हुई है, उसी मीडियम में ही स्कूल संचालन किया जा सकता है, यदि कोई स्कूल द्वारा हिन्दी मीडियम की मान्यता के साथ साथ सरकार की बिना अनुमति के अंग्रेजी मीडियम का संचालन किया जाता है तो यह अवैधानिक कृत्य है। क्लास जम्प करवाना और बिना टीसी प्रवेश दिया जाना भी अवैधानिक कृत्य हैं।
ज्ञापन में निदेशक से सवाल किया गया है कि यदि बिना मान्यता प्राप्त किए स्कूल नहीं खुल सकते हैं तो फिर गैर मान्यता प्राप्त कोचिंग क्यों और किसकी शह पर धड़ल्ले से चल रहे हैं? एक निजी स्कूल शुरू करने के लिए अनगिनत औपचारिकताएं पूरी कर सरकार के नियमानुसार मान्यता प्राप्त करनी होती है। शिक्षा विभाग के वार्षिक केलेंडर व नियमों का सख्ती के साथ पालन करना होता है। विभाग द्वारा तय गाईडलाईन्स के अनुसार ही स्कूलों का टाईम व अवकाश के नियमों का पालन करना भी अनिवार्य होता है। लेकिन, कोचिंग सेंटर्स के लिए कोई भी नियम कानून नहीं है, कोचिंग सेंटर्स के लिए विभाग द्वारा न कोई टाईम तय किया गया है और न ही कोई अवकाश की गाईडलाईन्स। अनेक कोचिंग सेंटर्स कड़ाके की ठंड में अलसुबह चार पांच बजे भी क्लासेज चला रहे हैं तो भीषण गर्मी में दोपहर में भी क्लासेज चलाई जा रही है। न कोई साप्ताहिक छुट्टी और न ही वार त्योहार का अवकाश इन पर लागू किया जा रहा है।
इन कोचिंग सेंटर्स के लिए न ग्रीष्मकालीन अवकाश व न ही शीतकालीन छुट्टियों का प्रावधान है। क्या यहाँ पढ़ने के लिए आने वाले स्टूडेंट्स किसी और ग्रह से आते हैं जो उन्हें न सर्दी लगती है और न ही उन्हें गर्मी सताती है और तो और उन्हें किसी भी तरह की छुट्टियों की भी जरूरत महसूस नहीं होती? एक ही राज्य में शिक्षा देने वाले दो तरह के शिक्षण संस्थानों पर दोगली नीति की क्या वजह है? जबकि दोनों ही संस्थाओं द्वारा शिक्षण का काम किया जाता है लेकिन सरकार द्वारा निजी स्कूलों पर तरह तरह से नियंत्रण किया जाता है जबकि स्वयंभू कोचिंग क्लासेज पूर्ण रूप से स्वच्छंद और स्वायत्त है।
शिक्षा माफियाओं द्वारा समानांतर चलाये जा रहे अवैध कोचिंग क्लासेस रूपी पैरलर स्कूल्स पर नियंत्रण का सरकार के पास नियम होते हुए भी सरकार और विभाग आंखें मूंदे हुए हैं। सरकार और विभाग को इसकी सभी तरह की जानकारी होने के बाद भी कोई एक्शन नहीं लेना इन अवैधानिक शिक्षा माफियाओं के हौंसले बढ़ा रहे हैं।