Monday, November 25, 2024
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आदर्श शर्मा मतलब- जैसा नाम वैसा ही काम

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संजय बोड़ा/बीकानेर (अभय इंडिया)। जिंंदगी की भाग-दौड़ मैं उलझे कई लोग मुसीबत में पडऩे पर ‘अपनों’ केे लिए भी वक्त नहीं निकल पाते। ऐसे दौर में एक शख्स ऐसा भी है जो ग़ैरों की सेवा के लिए हर समय तत्पर रहता है। ‘अपने लिए जिए तो क्या जिए, तो जी ऐ दिल ज़माने के लिए…।’ गीत की इस पंक्तियों को पिछले लगभग तीन दशक से साकार करने वाले शख्स का नाम है आदर्श शर्मा

शहर में कहीं भी दुर्घटना हो या बड़ी विपदा। हताहत लोगों की मदद के लिए आदर्श हमेशा सबसे पहले खड़े नजऱ आते हैं। इसका सबसे बड़ा सबूत तो यही हो सकता है की ऐसे मौक़ों पर जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारी सबसे पहले आदर्श को याद करते हैं। संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल में पीडि़तों की मदद के लिए वे प्रतिदिन नियमित छह से आठ घंटे बिताते हैं। उनका यह सिलसिला निर्बाध चल रहा है। अस्पताल में किसी लावारिस की मृत्यु हो जाने पर सबसे पहले आदर्श को ही याद किया जाता है। वे उसके पंचनामे से लेकर अंतिम संस्कार तक में भागीदार बनते हैं। ऐसे मामलों की तादाद अनगिनत है।

अपनों से बिछडऩे वालों को मिलाने वाला आदर्श

वर्ष 2003 से 2007 तक बल कल्याण समिति में बतौर सदस्य के रूप में आदर्श ने कई बच्चों को सुधार गृह तक पहुँचकर जीवन की नई राह दिखाई है। अपनों से बिछुड़े कई बच्चों को उनके घरवालों से मिलवाया। वर्ष 1989, 2000 और 2007 में ज़िला प्रशासन ने उन्हें सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए गणतंत्र व स्वतंत्रता दिवस पर सम्मानित किया। केवल प्रशासन ही नहीं, पुलिस महकमा भी उनकी सेवाओं का मुरीद है। वर्ष 2000 में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजीव दासौत ने सड़क हादसों में घायलों की सवा के लिए सम्मानित किया।

समाज के साथी, पुलिस के भी मददगार आदर्श

इससे पहले वर्ष 1990 में तत्कालीन एसपी जसवंत संपतराम ने छात्र आंदोलन के दौरान टावर पर चढ़े छात्रों को नीचे उतारने में पुलिस की विशेष सहायता करने पर आदर्श को सम्मानित किया। वर्ष 2006 में तत्कालीन एसपी अशोक राठौड़ ने दो सदस्यीय विशेष पुलिस यूनिट की स्थापना की। इसमें आदर्श को बतौर सदस्य शामिल किया। वर्ष 2008 में तत्कालीन एसपी हवासिंह घुमरिया ने आदर्श को फ्रेंड्स क्लब में शामिल कर उनकी सेवाओं का लाभ लिया।

सूचना मिलते ही मौके पर हाजिर…

पार्षद आदर्श शर्मा की एक खूबी यह भी है कहीं भी सीवरेज, सफाई, रोड लाइट सहित अन्य समस्याएं सामने आने पर वे तत्काल मौके पर पहुंचने की कोशिश करते हैं। हाल के दिनों में रानीबाजार औद्योगिक क्षेत्र स्थित राम मंदिर के आसपास सीवरेज जाम होने से मोहल्लेवासी परेशान हो रहे थे, इसकी सूचना मिलने पर आदर्श शर्मा तत्काल मौके पर पहुंचे। इसके बाद उन्होंने नगर निगम में विरोध प्रदर्शन किया। तब जाकर मौके पर हालात सुधर सके। इसी तरह अमृत योजना के तहत शहर में चल रहे सीवरेज के काम में अनियमितताओं का पता चलने पर सबसे पहले आदर्श ने आगे आकर विरोध दर्ज कराया। इसका असर भी हुआ। अधिकारियों ने आकस्मिक निरीक्षण करके अनियमितताओं को चिन्हित किया। यह तो एक बानगी भर है। आमजन से जुड़े हर मुद्दे पर वे मुखरता के साथ अपनी बात रखते हैं। यही वजह है कि वे अपने नाम की सार्थकता को अब भी बनाए हुए हैं।

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