Thursday, May 9, 2024
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नहर व राजस्थानी भाषा के लिए देवी सिंह भाटी ने क्‍या किया? जानकार दे रहे सुलगते सवालों के जवाब…

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बीकानेर Abhayindia.com हाल ही में पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी राजस्थानी की मान्यता नहरों में पानी की मांग को लेकर एक बार फिर से सुर्खियां बटोर रहे हैं वहींं, उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी व कई यूट्यूब चैनल यह सवाल उठा रहे हैं कि आखिर भाटी ने खुद क्या काम किया है इस मुद्दों पर? इसका जवाब देती है वह नहरों का जाल जो आज गांव-गांव और ढाणी-ढाणी बिछा हुआ है। जवाब देते हैं वह किसान जो इसका लाभ ले रहे हैं। भाटी के साथ रहे लोग बताते हैं कि विधायक व मंत्री रहते हुए भाटी ने विधानसभा के पटल पर तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय जसवंत सिंह जसोल पूर्व विदेश मंत्री, राजनाथ सिंह तत्कालीन रक्षा मंत्री भारत सरकार के साथ मिलकर राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में आज से पांच वर्ष पूर्व ही पत्रावली पहुँचा दी थी।

भाटी के करीबी रहे जानकार बताते हैं कि साल 1993 से 1997 तक सिचाई मंत्री रहे। इस काल मे पूरे राजस्थान नहर प्रणाली में आखिरी छोर तक निर्धारित पर्याप्त पानी पहुँचाया और विपक्ष में रहते समय नहरी पानी की समस्या की बुलन्द आवाज बने। पूरे प्रदेश व विशेषकर बीकानेर सम्भाग में अनगिनत नहरें स्वीकृत कर किसानों को लाभ पहुँचाया। यहां एक बात और उल्‍लेखनीय है कि बीकानेर में बीजेपी कभी अपने पैर नही जमा सकी थी। इस दौरान भाटी ने जनता दल दिग्विजय का भाजपा में विलय करवाकर मानो भाजपा में एक नई जान ही फूंक दी थ्‍री। उस समय भाटी ने मजबूती के साथ विधानसभा में प्रवेश कर शुरुआत की। यह वही दौर था जब लोकसभा सीट बीजेपी के लिए एक दूर की कौड़ी थी। वो भाटी ही थे जिन्होंने बीकानेर लोकसभा सीट पर महेंद्र सिंह भाटी को सांसद बनवाकर भाजपा का खाता खोला। महेंद्र सिंह भाटी भले कुछ समय के लिए ही सांसद रहे लेकिन इस छोटे से कार्यकाल में ही वर्षो से बीकानेर फलौदी रेल लाइन को जोड़ने के लिए जो सफलतम प्रयास किया इसका लाभ आज तक लाखों लोग उठा रहे है। पूर्व महाराजा स्व. करणी सिंह ने भी सांसद रहते हुए ये मांग उठाई थी। बीकानेर, जोधपुर व फलोदी के लोगों की वर्षों की मांग को लेकर स्व. जसवंत सिंह जसोल को साथ लेकर दोनों बाप व बेटे ने 111 किलोमीटर रेल लाइन को स्वीकृति दिला दी। वहीं, एक वर्ष में गुजरात को पंजाब से जुड़वा दिया जो काम आज किसी राजनेता के वश का नहीं है।

रक्तदान की जनजागृति…

पूर्व सिंचाई मंत्री भाटी ने वर्ष 1998 से रक्त दान शिविर का आयोजन किया। जब शहरी पढ़े-लिखे ओर ग्रामीण रक्तदान से झिझकते थे। उस समय जगह-जगह रक्त शिविरों की शुरुआत एक अलग ही क्रांति थी। आज अनेक लोग अपने प्रिय जनों की याद में रक्तदान शिविर का आयोजन कर भाटी की इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं।

गोचर संरक्षण…

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बावजूद गोचर ओरण तालाब आगोर सुरक्षित नही रहे। भाटी ने गोचर चारागाह विकसित करवाये। अब शहरी ओर ग्रामीण जनता भी अब सेवन घास के लिए जाग्रत हो गई। जिसके प्रमाण है कि शहर नत्थानिया गोचर मे 23 हजार बीघा के 40 km, सुजानदेसर की 11 हज़ार बीघा में सेवण घास गायों के लिए उगाई जा रही है। सरह नथानिया गोचर में कई किलोमीटर लंबी ऐतिहासिक चारदीवारी का काम चल रहा है जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। भाटी की स्पेल से प्रेरणा लेकर अन्य जिलो में भी इसका निमार्ण कार्य प्रारम्भ हो चुका है।

प्रदेश में अकाल के मुद्दे को तो कभी छोड़ा ही नहीं…

पूर्व मंत्री भाटी ने कोलायत, जैसलमेर के हजारो गैर खातेदार किसानों को सिंचित क्षेत्र की 280 बीघा की खातेदारी अधिकार स्वीकृत करवाये जो कि भारत के किसी भी राजस्व कानून में आज भी कोई भी प्रावधान नहीं है। प्रत्येक ढाणी, गाँव की मांग पर स्‍कूलों को जोड़ा। सिंचित क्षेत्र में जहां खरीफ फसल की बुवाई मुश्किल होती थी, वहां पक्के खालो के ऊपर इटों को कवर करवा कर सिंचित क्षेत्र की स्थायी बढ़ोतरी की। प्रत्येक ढाणी में अनुकूलता की मांग पर अनेक हेंड पंप बनवाये। पूरी कोलायत तहसील के कम व खारे पानी के नलकूपों के गाँव तथा अन्य सभी गावों को गजनेर व कोलायत लिफ्ट नहरों से पेयजल योजनाएं स्वीकृत करवा कर पेयजल संकट समाप्त करवाया। जो कि प्रदेश में किसी तहसील में पूरे गाँव पानी नहीं जुड़े है। अपने पूरे अपने राजनैतिक जीवन मे कभी भी एकतरफा जाति वाद नही फैलाया।

गरीब सवर्णों को आरक्षण दिलाने में अहम भूमिका…

आज ईडब्ल्यूएस के रूप में गरीब सवर्णो को 10% आरक्षण मिला है उसकी नींव में देवी सिंह भाटी है। भारत में सबसे पहले गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग सामाजिक न्याय मंच के बैनर तले उठाने मांग उठाने वाले भाटी ने न सिर्फ मांग बल्कि उसके लिए पूरे राजस्थान में रैलियां आयोजित कर लाखों लोगों की उपस्थिति दर्ज करवा कर सरकारों को आरक्षण देने के लिए मजबूर कर दिया। -ज्‍योति मित्र आचार्य

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