Wednesday, April 24, 2024
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बीकानेर में जीसीटी कैंसर का जटिल ऑपरेशन सफल, प्रियंका के जीवन में ऐसे जगी उम्‍मीद की नई किरण…

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बीकानेर abhayindia.com। जिएंट सैल ट्यूमर (जीसीटी) यानी जटिल किस्म का कैंसर। इससे जूझ रही हरियाणा के करनाल निवासी 35 वर्षीय प्रियंका के जीवन में अब उम्‍मीद की नई किरण जाग गई है। ऐसा संभव हुआ है यहां बीकानेर के नागल कैंसर हॉस्पिटल रिसर्च सेंटर के कैंसर सर्जन डॉ. जितेन्द्र नागल द्वारा किए गए सफल ऑपरेशन से। चार घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद अब प्रियंका बिल्‍कुल स्‍वस्‍थ है। हालांकि, वो बैसाखी के सहारे चल रही है, लेकिन डॉ. नागल का दावा है कि धीरे-धीरे यह भी छूट जाएगी और प्रियंका अपने दम पर चलने लगेगी।

डॉ. नागल के अनुसार प्रियंका जब बीकानेर आई थी तो असहनीय कमर दर्द से जूझ रही थी। उसे यह अहसास ही नहीं था कि वो जटिल किस्म के कैंसर जिएंट सैल ट्यूमर यानी जीसीटी से जूझ रही है, जो रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले भाग सेक्रम में था। एमआरआई जांच में इसका पता चलने के बाद इस ट्यूमर को सुरक्षित तरीके से बाहर निकालना सबसे बडी चुनौती थी। यदि इसमें कहीं भी चूक रह जाती है तो तीन बुरी स्थितियां उम्रभर के लिए रह जाती। मसलन, रीढ़ का आधार खत्म होने से शरीर खुद के भीतर समाने लगता, उम्रभर पैरों पर खड़े नहीं हो सकती तथा मल-मूत्र का नियंत्रण भी समाप्त हो जाता।

डॉ. नागल ने बताया कि चिकित्सकीय विज्ञान के लिहाज से बेहद चुनौतीपूर्ण इस ऑपरेशन को करने में चार घंटे लगे। आमतौर पर ऐसे ऑपरेशन में 4 से लेकर 22 यूनिट तक खून चढ़ाना पड़ता है। लेकिन प्रियंका के इस ऑपरेशन के दौरान रक्तस्राव के सभी रास्‍तों को बहुत ही सावधानी से बंद किया गया, इसके चलते महज एक यूनिट खून चढ़ाने के साथ ही ऑपरेशन हो गया। इस सफल ऑपरेशन में डॉ. नागल के साथ उनकी एनस्थेटिस्ट डा. सविता राठी, स्टाफ दुलाराम, जगदीश, कृष्णा, स्नेहा आदि शामिल थे।

डॉ. जितेन्द्र नागल बताते हैं कि ऑपरेशन में रीढ़ की हड्डी के कूल्हे से जोड को छोडकर नीचे के सभी मनके ट्यूमर के साथ निकाल दिए। ज्वाइंट बचने से मरीज खड़ी हो गर्इ, जो अब चलने भी लगेगी। इस बीमारी के बारे में उन्‍होंने बताया कि रीढ़ की हड्डी का सबसे निचला हिस्सा सेक्रम पांच सेक्रम वर्टीब्रा से मिलकर बनता है। इन वर्टीब्रा को बोलचाल की भाषा में मनके भी कहा जाता हैं। एमआरआई जांच में पता चला कि सेक्रम का ट्यूमर है जिसे एक तरह का कैंसर जीसीटी ऑफ बोन भी कहते हैं।

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