Monday, April 29, 2024
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अर्जित धन का कुछ हिस्सा जन सेवार्थ लगें…, संस्कृति भवन के नवनिर्मित द्वार का हुआ उद्घाटन

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श्रीडूंगरगढ़ Abhayindia.com यहां राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति के नवनिर्मित मुख्य द्वार का उद्घाटन मंगलवार को हुआ। इस द्वार का निर्माण इनलैंड सोमानी फाउंडेशन की ओर से भामाशाह उद्योगपति लक्ष्मीनारायण सोमानी व उनके परिवार द्वारा करवाया गया है। मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।

उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए भामाशाह लक्ष्मीनारायण सोमानी ने कहा कि देश भर में साहित्यिक संस्था के रूप में यह संस्था अपना प्रभुत्व रखती है। देश व विदेशी पटल पर इस नगर का नाम रोशन करने वाली इस संस्था भवन के मुख्य द्वार की कमी खल रही थी। इस मेन गेट के बनने से संस्था व नगर की शोभा बढ़ेगी।

अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद ताराचंद इंदौरिया ने कहा कि समाज में भामाशाहों की कोई कमी नहीं है। लेकिन इन्हें प्रेरित करते हुए साहित्यिक, शैक्षिक और सामाजिक विकास की गतिविधियों में इनकी भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता है। सामाजिक विकास में भामाशाहों की भूमिका को अहम बताते हुए कहा कि भामाशाह विकास के मूल आधार और स्तम्भ होते है। जिनकी बदौलत कई असंभव व बड़ेबड़े कार्य सम्भव हो पाते है।

संस्था अध्यक्ष राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के पूर्व अध्यक्ष श्याम महर्षि ने कहा कि मनुष्य को अपनी मेहनत की कमाई में से कुछ पैसा धर्म पुण्य व अपने बुजुर्गों की याद में अवश्य लगाना चाहिए। साहित्यकार डॉ. चेतन स्वामी ने कहा कि साहित्यक संस्थाओं का विकास नगर के भामाशाहों एवं साहित्य प्रेमी नागरिकों के सहयोग से ही होना सम्भव है। साहित्यकार रवि पुरोहित ने कहा कि अपने नगर के विकास में सोमानी परिवार द्वारा कस्बे में पर्यावरण, साहित्यिक एवं अन्य जन उपयोगी कार्यों में अपना सहयोग दिया जा रहा है। इस अवसर पर लक्ष्मी देवी सोमानी, राधाकिशन सोमानी, श्यामसुंदर सोमानी का स्वागत किया गया। संस्था द्वारा लक्ष्मीनारायण सोमानी व पर्यावरणविद ताराचंद इंदौरिया का शॉल व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। इससे पूर्व विधिवत रूप से द्वार पर पूजन कर उद्घाटन किया गया। इस दौरान रामचन्द्र राठी, तुलछीराम चौरड़िया, महावीर माली, डॉ. मदन सैनी, ओमप्रकाश गुरावा, दयाशंकर शर्मा, गोपीराम नाई, सुशील सेरड़िया, बालकृष्ण महर्षि आदि मौजूद रहे।

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