Saturday, April 20, 2024
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ऊंटों के करतब देखकर विदेशी सैलानी भी बोल पड़े ‘फेंटास्टिक है कैमल फेस्टिवल’

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Twenty sixth international camel celebration in bikaner
Twenty sixth international camel celebration in bikaner

बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। छब्बीसवां अन्तरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव शनिवार को डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, ऊंट की उपयोगिता को उजागर करने वाले कार्यक्रमों, ऊंट के करतबों व नृृत्यों, चिताकर्षक शोभायात्रा से शुरू हुआ।

Twenty sixth international camel celebration in bikaner
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राजस्थानी वेशभूषा पहने उत्सव का आनंद लेने वाली आस्ट्रेलिया की संध्या, पिटर्नवर्ग की इंटिना व विताली पहली बार ऊंट उत्सव में शामिल हुई। उन्होंने कहा कि कैमल फेस्टिवल इज फेंटास्टिक, ब्यूटीफुल, रिच राजस्थानी कल्चर। उन्होंने बताया कि वे हर वर्ष उत्सव में आने का प्रयास करेंगी तथा अपने देशवासियों को भी उत्सव में भेजेंगी।

Twenty sixth international camel celebration in bikaner
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जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस दो दिवसीय उत्सव का शुभारंभ जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम व दुबई राजपरिवार के शेख मोहम्मद बिन अहमद अल शरीक.ने तिरंगे गुब्बारे तथा शांति व एकता के प्रतीक सफेद कपोत उड़ाकर किया।

Twenty sixth international camel celebration in bikaner
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उद्घाटन समारोह में पुलिस अधीक्षक प्रदीप मोहन तथा शिक्षा निदेशक नथमल डिडेल, उप खंड अधिकारी मोनिका बलारा, अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रशासन ए. एच. गौरी, नगर शैलेन्द्र देवड़ा, जिला कलक्टर के पिता नवरंगलाल गौतम व माताजी विमला देवी सहित अनेक प्रशासनिक, पर्यटन व बैंक के अधिकारी मौजूद थे।

Twenty sixth international camel celebration in bikaner
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उद्घाटन अवसर पर कलक्टर कुमारपाल गौतम ने कहा कि राज्य पशु ऊंट लगभग 3500 साल से अधिक समय से पालतू पशु के रूप में मानव सभ्यता का अभिन्न अंग रहा है। मरु प्रदेश राजस्थान के लोगों का रेगिस्तानी जहाज ऊंट साथी, सहयोगी व उपयोगी पशु रहा है। चालीस किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौडऩे वाला ऊंट परिवहन, खेती के साथ राजस्थानी संस्कृति का एक प्रमुख हिस्सा रहा है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए रवीन्द्र हर्ष, संजय पुरोहित, ज्योति प्रकाश रंगा व किशोर सिंह राजपुरोहित ने बीकानेर के सांस्कृतिक महत्व, ऊंट के महत्व को उजागर किया।

camel festival bikaner
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ऊंट नृत्य-उत्सव के दौरान दो दर्जन सजे संवरे ऊंटों ने अपने पैरों में बंधे हुए नेवरी, घुंघरू और पायल की मधुर ध्वनियों के साथ ढोल व लोकसंगीत की स्वर लहरियों पर नृत्य किया, साथ ही लोहे के दो ढोलियों (पलंगों), लकड़ी के तख्त पर भी नृत्य किया। वहीं ऊंट ने जिला कलक्टर तथा उनके पिता नवरंग लाल गौतम को माल्यार्पण कर तथा सर पर गर्दन रखकर तथा आगे के दोनों पैरों को उठाकर स्वागत किया। ऊंटों ने नृत्य के दौरान मुंह में दो जलते अंगारे, पानी से भरी बाल्टी और केतली उठाकर, दो टांगों को अपने कद से ऊंचा उठाकर पर्यटकों को रोमांचित कर करतल ध्वनि के लिए मजबूर कर दिया। पर्यटकों के साथ देश-विदेश के मीडियाकर्मियों ने ऊंट के करतब व नृत्यों को अपने कैमरों में कैद किया।

शोभायात्रा-जूनागढ़ किला से रवाना होकर डॉ. करणी सिंह स्टेडियम पहुंची शोभायात्रा के कलाकारों ने भी लोगों का दिल जीत लिया। शोभायात्रा में राजस्थानी वेशभूषा में खेमसा पुरोहित विंटेज गाड़ी में सवार थे। वहीं राजस्थानी लोक अंचलों से आए कलाकार गींदड़, डांडिया नृत्य, आदिवासी मयूर नृत्य, कच्छी घोड़ी नृृत्य, कालबेलिया नृत्य, चंग के साथ नृत्य, नख से शिख तक श्रंृगारित ऊंट, सफेद घोड़ी नृत्य करते हुए, फर कटिंग किए हुए अपने शरीर पर बेलबूटे, देवी-देवताओं के चित्र उकेरे ऊंट, कलश लिए राजस्थानी वेशभूषा में युवतियां, बुलेट मोटर साइकिल पर सवार युवक राष्ट्रीय ध्वज लिए हुए थे।

पुष्करणा समाज के 22 फरवरी को होने वाले सामूहिक सावे की बानगी भी शोभायात्रा में आकर्षण का केन्द्र रही। विष्णु रूप में दूल्हा, विवाह के दौरान गीतों की स्वर लहरियां बिखेरती महिलाएं शामिल थीं। वहीं ऊंट की उपयोगिता को दर्शाने वाले ऊंट गाड़े, एस.बी.आई की ओर से ऊंट गाड़े पर लगाया गया विदेशी विनिमय बैंक, रियासतकालीन गंगा रिसाले के प्रतीक पहरेदार तथा राजस्थानी वेशभूषा में रण बांकुरे शामिल थे।

विभिन्न प्रतियोगिताएं

ऊंट उत्सव के प्रथम दिन ऊंट श्रृृंगार, ऊंट बाल कतराई, मिस मरवण व मिस्टर बीकाणा प्रतियोगिताएं हुई। इन प्रतियोगिताओं के दौरान राजस्थानी गीतों के साथ रोबीले व मिस बीकाणा में युवक-युवतियों ने पारम्परिक राजस्थानी वेशभूषा के साथ प्रदर्शन किया।

उत्सव के दूसरे दिन रविवार 13 जनवरी को कार्यक्रमों की शुरूआत सुबह दस बजे हैरिटेज वाक से होगी। हैरिटेज वाक रामपुरिया हवेली से राव बीकाजी की टेकरी (लक्ष्मीनाथ मंदिर) के पास पहुंचेगी। डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में दोपहर बारह बजे से शाम साढ़े चार बजे तक देशी-विदेशी पर्यटकों की पुरुष व महिला रस्साकशी, ग्रामीण कुश्ती, कबड्डी, विदेशी पर्यटकों की साफा बांधने की प्रतियोगिता होगी। इसी दिन ऊंट नृत्य, महिला मटका दौड़ व म्यूजिकल प्रतियोगिता होगी। शाम साढ़े छह बजे से आठ बजे तक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम, रात आठ बजे धधकते अंगारों पर अग्नि नृत्य व उसके बाद आतिशबाजी होगी । डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र व राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र की ओर से ऊंट के फर, ऊंटनी के दूध के उत्पादों यथा चाय, कुल्फी आदि की स्टॉल लगाई गई।

पक्षी उत्सव – वन विभाग की ओर से पहली बार 14 जनवरी को ऊंट उत्सव के तहत ‘पक्षी उत्सव’ का आयोजन वन विभाग की ओर से जोड़बीड़ में सुबह दस बजे किया जाएगा।

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