Tuesday, April 30, 2024
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महाशिवरात्रि : भांग (विजया) से शिवाभिषेक, श्रद्धालु बोले बम-बम भोले… देखें वीडियो

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bhootnath mahadev mandir bharat vyas
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बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। महाशिवरात्रि के मौके पर शहर के सभी शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही हैं। गजनेर रोड करमीसर तिराहा स्थित श्री भूतनाथ महादेव मंदिर में हर साल की भांति इस बार भी श्री जयभूतनाथ सेवा संस्थान ट्रस्ट की ओर से भांग (विजया) का छणाव किया गया। इसके बाद भगवान शिव को प्रिय विजया से अभिषेक किया गया।

ट्रस्ट के भरत व्यास (लालू), रोहित व्यास ने बताया कि महाशिवरात्रि के अवसर पर राधेश्याम व्यास (जय भूतनाथ) की ओर से हर वर्ष यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता था। अब जय भूतनाथ की स्मृति में ट्रस्ट की ओर से यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस मौके पर सात किलो विजया का छणाव कर भगवान शिव का अभिषेक किया गया। बाद में उसका प्रसाद के रूप में वितरण किया गया।

कार्यक्रम में मदन जैरी, केदार पारीक, घमजी महाराज सहित बड़ी संख्या में शिवभक्त शामिल हुए। इधर, डूडी पेट्रोल पंप के पीछे स्थित ब्रह्मसागर महादेव मंदिर में भगवान शिव का अद्भुत शृंगार किया जा रहा है। शिवभक्तों ने देशभक्ति का जज्बा दिखाते हुए भगवान शिव का सेना के फौजी के रूप में शृंगार किया जा रहा है।

bhootnath mahadev mandir bikaner
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…इतने भोले हैं शिव, इसलिए कहते हैं भोलेनाथ

भगवान शिव को उनके भक्त भोलेनाथ नाम से भी पुकारते है। मान्यता यह है कि भगवान शिव इतने भोले हैं कि उन्हें धतूरा और भांग जैसी जहरीली और नशीली चीजें चढ़ाकर मना लिया जाता है। भगवान शिव तो भक्तों द्वारा चढ़ाए जाने वाले एक लोटा जल से भी खुश हो जाते है। इसी कारण शिवभक्त महाशिवरात्रि के पर्व पर धतूरा और भांग से शिवलिंग की पूजा जरूर करते हैं।

आइए, महाशिवरात्रि के मौके पर हम जानते है कि भगवान शिव से धतूरा, भांग का क्या है आध्यात्मिक संबंध? मान्यता है कि भगवान शिव को महापुराण में नीलकंठ कहा गया है, क्योंकि भगवान भोलेनाथ ने समुद्र मंथन से उत्पन्न हालाहल विष को पीकर सृष्टि को तबाह होने से बचाया था, लेकिन विषपान से भगवान शिव का गला नीला पड़ गया, क्योंकि इन्होंने विष को अपने गले से नीचे उतरने नहीं दिया था। इस वजह से विष शिव के मस्तिष्क पर चढ़ गया और भोलेनाथ अचेत हो गए। ऐसी स्थितियों में देवताओं के सामने भगवान शिव को होश में लाना एक बड़ी चुनौती बन गई।

पुराणों के अनुसार इस स्थितियों में आदि शक्ति प्रकट हुई और भगवान शिव का उपचार करने के लिए जड़ी बूटियों और जल से शिवजी का उपचार करने के लिए कहा। भगवान शिव के शरीर से हालाहल की गर्मी को दूर करने के लिए देवताओं ने भगवान शिव के शरीर पर धतूरा, भांग रखा और निरंतर जलाभिषेक किया। इससे शिवजी के शरीर से विष का दूर हो गया। तभी से आज तक भगवान शिव को धतूरा, भांग और जल चढ़ाया जाने लगा।

आयुर्वेद में भांग और धतूरा का इस्तेमाल औषधि के रूप में होता है। शास्त्रों में तो बेल के तीन पत्तों को रज, सत्व और तमोगुण का प्रतीक माना गया है। साथ ही यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना गया है, इसलिए भगवान शिवजी की पूजा में बेलपत्र का प्रयोग किया जाता है।

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