Friday, April 19, 2024
Hometrendingइतिहास की पुस्तकें ऐतिहासिक दृष्टि को उत्पन्न करने वाली होनी चाहिए :...

इतिहास की पुस्तकें ऐतिहासिक दृष्टि को उत्पन्न करने वाली होनी चाहिए : डाॅ. गोयल

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

बीकानेर Abhayindia.com अजित फाउण्डेशन द्वारा आयोजित मासिक संवाद श्रृंखला के अन्तर्गत ‘‘इतिहास पुनर्लेखन या पुस्तक संशोधन’’ विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में डाॅ. नितिन गोयल, वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी, राजस्थान राज्य विद्या प्रतिष्ठान ने अपने व्यक्तव्य में बताया कि एनसीइआरटी द्वारा तैयार पाठ्य पुस्तकें देश के 18 राज्यों में 5 करोड़ विद्यालयी विद्यार्थियों द्वारा पढ़ी जाती है। जिसमें इन पुस्तकों में अकादमी सत्र 2023-24 के लिए एनसीइआरटी द्वारा काफी बदलाव किए गए है। जिसके अन्तर्गत कक्षा 12वीं की इतिहास पुस्तक में मुगल बादशाहों के इतिहास से संबंधीत अध्याय को हटा दिया गया है। इसी तरह कक्षा 11वीं के पुस्तक में औद्योगिक क्रांति, संस्कृतियों का टकराव जैसे महत्वपूर्ण अध्यायों को भी हटा दिया है। यह परिवर्तन इतिहास विषय के साथ-साथ अन्य विषय जैसे राजनितिक विज्ञान, गणित, समाजषास्त्र में भी किए गए है। कक्षा 10 की राजनितिक विज्ञान की पुस्तक में लोकतंत्र एवं विविधता, जनसंघर्ष एवं आन्दोलन, लोकतंत्र की चुनौतियां एवं फैज़ अहमद फैज़ की कविताओं को ‘‘रेशनलाईजेशन’’ नाम से कोविड-19 महामारी के कारण विद्यार्थियों पर अध्ययन भार कम करने के उद्देश्‍य से किया। पुस्तकें को बदलाव के लिए स्थापित इतिहासकारों के माध्यम से या नवीन शोध पर तथ्य आधारित इतिहास का संकल्न किया जाना चाहिए था, जो कि प्रतिक्षित है।

कार्यक्रम अध्यक्ष्यता करते हुए वरिष्ठ इतिहासकार प्रो. बी.एल. भादानी ने कहा कि अजित फाउण्डेशन ने जो मासिक संवार श्रंखला प्रारम्भ की है काफी उपयोगी है यह जो सिलसिला शुरू हुआ है वह आगे भी चलता रहे। बीकानेर के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले प्रबुद्धजन इसमें अपनी सक्रिय भूमिका निभाए एवं इस संवाद श्रृंखला को अधिक से अधिक सम्पन्न करने। इससे विचारों का आदान प्रदान होगा। विभिन्न विचार धाराओं के विद्वानों के बीच बहस के माध्यम से एक स्वस्थ वातावरण का सृजन होगा। बीेकानेर के प्रबुद्ध इतिहास के लिए महत्वपूर्ण होगा। आज जो संवाद रखा गया उसका विषय था एनसीइआरटी द्वारा 12वीं की पुस्तकों का पुनर्लेखन के प्रश्‍न पर इतिहास का जो एक पूरा कालखण्ड कोर्स से हटा दिया गया है वह कितना जायज है और कितना छात्रों के लिए उपयोगी है इस पर आज लम्बी बहस हुई।

डाॅ. नितिन गोयल ने अत्यन्त विस्तार से इस विषय पर अपने विचार प्रकट किए। उनका तर्क यह था कि जो कोर्स से विषय हटाये गए है उसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि कोराना की वजह से बच्चों पर पाठ्यक्रम का बोझ बढ गया है उसे कम करने के लिए मुगल साम्राज्य के इतिहास को हटाया गया है। यह एक प्रकार से अवैज्ञानिक बात लगती है, इस पाठ्यक्रम को हटाने के पीछे की मंषा को समझने की ज्यादा जरूरत है। कार्यक्रम में डाॅ. अजय जोशी, राजाराम स्वर्णकार, डाॅ. मोहम्मद फारूक, डाॅ राजेन्द्र कुमार, महेश उपाध्याय, गिरिराज पारीक, मनोज श्रीमाली, योगेन्द्र पुरोहित आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन संजय श्रीमाली ने किया।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular