Friday, March 29, 2024
Hometrendingएनआरसीसी में हिन्दी पखवाड़े के समापन पर गूँजे हिन्दी स्वर

एनआरसीसी में हिन्दी पखवाड़े के समापन पर गूँजे हिन्दी स्वर

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

बीकानेर Abhayindia.com भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र (एनआरसीसी) में आज हिन्दी पखवाड़े का पुरस्कार वितरण एवं समापन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. शालिनी मूलचन्दानी, प्राचार्य, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कोलायत ने कहा कि हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार को लेकर कोई चिन्तित होने की आवश्‍यकता नहीं है, क्योंकि आज के सूचना एवं तकनीकी युग में नेट आदि माध्यमों से भारतीय भाषाओं की उपस्थिति सुलभ है।

डॉ. मूलचन्दानी ने भाषा की गत्यात्मकता के लिए इसके सरलीकरण एवं शुद्धता पर अपेक्षित ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि भाषा हमें हताषा से निकालने का माद्दा रखती है अतः इसके द्वारा पीढ़ियों में जीवन मूल्यों के विकास के लिए उन्हें जड़ों से जोड़े रखना होगा।

इस अवसर पर कार्यक्रम अध्यक्ष एवं केन्द्र निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू ने कहा कि हम राजभाषा हिन्दी के माध्यम से पूरे देश से जुड़ सकते हैं, इसके लिए हमें भाषा को और अधिक व्यावहारिक बनाना होगा साथ ही हमें संस्कृति की तरफ अपेक्षित ध्यान देना होगा।

डॉ. साहू ने अतिथियों के समक्ष केन्द्र में राजभाषा कार्यान्वयन के विविध स्वरूपों के संबंध में कहा कि अधिकारी एवं कर्मचारी गण अपने-2 कार्यक्षेत्रों में राजभाषा का स्वाभाविक रूप से बेहतर प्रयोग कर रहे हैं जो कि भाषा को बढ़ावा देने के लिए शुभ संकेत हैं। इसके अलावा एक अनुसंधान संस्थान होने के नाते केन्द्र के कार्यों एवं उपलब्धियों को ऊँट पालकों, किसानों एवं आमजन तक पहुंचाने में हिन्दी एक सशक्‍त माध्यम है। डॉ.साहू ने हिन्दी पखवाड़े के तहत आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को बधाई संप्रेषित की।

इस अवसर पर विशिष्‍ट अतिथि के रूप में डॉ. प्रशान्‍त बिस्सा, प्राचार्य, श्री नेहरु शारदा पीठ महाविद्यालय ने हिन्दी साहित्य एवं इसके प्रकाशन की विकास यात्रा प्रस्तुत करते हुए कहा कि कोरोना जैसे दौर में हिन्दी प्रकाशनों की बिक्री सामान्य दिनों की अपेक्षा कहीं ज्यादा थी जो इस बात का संकेत है कि साहित्य भय की स्थिति में शान्ति प्रदान करता है। उन्होंने आजादी में हिन्दी के योगदान के संबंध में कहा कि उस दौर में देश के प्रसिद्ध साहित्यकारों ने साहित्य को एक शस्त्र की तरह उपयोग में लिया, यह भाषा की ताकत है।

इस अवसर पर केन्द्र के डॉ. सुमन्त व्यास, प्रधान वैज्ञानिक एवं नोडल अधिकारी राजभाषा ने हिन्दी पखवाड़े के तहत आयोजित कार्यक्रमों एवं गतिविधियों की जानकारी दी। अतिथियों द्वारा हिन्दी पखवाड़े के तहत आयोजित हिन्दी में निबन्ध, हिन्दी में आशुभाषण, कम्प्यूटर पर यूनिकोड में हिन्दी टाइपिंग, हिन्दी में टिप्पणी एवं प्रारुप लेखन, हिन्दी में प्रश्‍न-मंच, हिन्दी में श्रुति लेखन, हिन्दी में शोध-पत्र पोस्टर प्रदर्शन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular