Monday, May 6, 2024
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‘लोक के आलोक’ थे डॉ. मोहता, साहित्‍यकारों, मंत्री भाटी ने जताया शोक

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बीकानेर Abhayindia.com लोक कला मर्मज्ञ एवं वरिष्ठ साहित्‍यकार श्रीलाल मोहता का आज निधन हो गया। हर किसी से आत्‍मीय रिश्‍ता रखने वाले मोहता के निधन से शहर शोक में डूब गया है। उनके निधन पर अनेक जनों ने संवेदना जताते हुए कहा है कि मोहता के नहीं रहना शहर के लिए अपूरणीय क्षति है।

उच्‍च शिक्षा मंत्री भँवर सिंह भाटी ने साहित्यकार डॉ. श्रीलाल मोहता के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि डॉ. मोहता सदैव लोक कला, संस्कृति और परम्पराओं के संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध रहे। वे एक प्रखर वक्ता, प्रबुद्ध लेखक और कुशल प्रबंधक थे। उनका निधन लोक परम्पराओं के संरक्षण के दृष्टिकोण से एक युग का अंत है।

वरिष्‍ठ कवि विशन मतवाला ने डॉ. मोहता के निधन पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि उनका जाना मेरे लिए ही नहीं, बल्कि संस्कृतिकर्मियों के लिए एक व्यक्तिगत क्षति है। मतवाला ने कहा कि डॉ. मोहता अपने दार्शनिक पिता डॉ. छगन मोहता की उस परम्परा की छाँव में गुणी हुए जिसने गुणीजनों की पूरी पीढी ही तैयार कर दी। मतवाला ने शोक संतप्त परिजनों को यह आघात सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है।

वरिष्‍ठ साहित्‍यकार शिवराज छंगाणी ने कहा है कि डॉ. मोहता का लोक के इतिहास में मन रमता था। लोक के बारे में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उन्‍होंने खूब लिखा। उनकी लेखनी के सभी कायल थे। उनकी पूर्ति होना संभव नहीं है। कबीर यात्रा के डायरेक्‍टर गोपाल सिंह ने कहा कि मेरी उनसे पहली मुलाकात लगभग 20 साल पहले अजित फाउंडेशन में हुई। तब से एक आत्मीय रिश्ता उनसे बनता गया। मुझे लोक विमर्शों में पहली रुचि उन्हीं की वजह से आई, क्योंकि वो बीकानेर की ना केवल सांस्कृतिक विरासत के अध्येता थे, बल्कि यहाँ का लोक संगीत, लोक कथाएं, मुहावरे, नृत्य, त्यौहार और ना जाने कितनी लोक परम्पराओं का “First hand experience”  रखते थे।

राजस्‍थानी के लोकप्रिय कवि, साहित्‍यकार शंकर सिंह राजपुरोहित ने कहा कि डॉ. मोहता ने कला और साहित्‍य के क्षेत्र में जो योगदान दिया, वो हमेशा याद रखा जाएगा। उनके जाने से साहित्‍य जगत को अपू‍रणीय क्षति हुई है। उन्‍होंने नवोदित साहित्‍यकारों को प्रोत्‍साहन देने में कभी संकोच नहीं दिखाया।

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