Saturday, April 27, 2024
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कोलायत में बेनीवाल के मास्टरस्ट्रोक ने उड़ाई कांग्रेस-भाजपा की नींद! रणनीतिकार भी उलझे

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कोलायत Abhayindia.com जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे राजस्थान की राजनीति में रोज नए उलटफेर देखने को मिल रहे हैं। हाल में राष्‍ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के हनुमान बेनीवाल ने कोलायत विधानसभा की सामान्य सीट पर पूर्व विधायक रेवन्त राम पंवार को मैदान में उतारकर बड़ा मास्टरस्ट्रोक खेला है। नामांकन वापसी के बाद भाजपा, रालोपा व कांग्रेस के प्रत्याशी प्रमुख रूप से मैदान में है। कोलायत में एससी वोटों व गैर राजपूत वोटों के लामबंद होने से त्रिकोणीय संघर्ष में कोलायत का चुनाव रोचक हो गया है। बेनीवाल के इस मास्टरस्ट्रोक से रातो रात बड़ा उलटफेर हो गया है। इस उलटफेर से कांग्रेस के प्रत्याशी ऊर्जा मंत्री भंवरसिंह भाटी व भाजपा के अंशुमान सिंह भाटी के रणनीतिकारों की नींद उड़ी हुई है।

आपको बता दें कि रेवंतराम पंवार के नाम की घोषणा के बाद से दोनों प्रमुख दलों के रणनीतिकार कोलायत के जातिगत वोटों के गणित में उलझ गए है। कोलायत सीट के ढाई लाख वोटों में पंवार यदि एससी वोटों के साथ अन्य को लामबद करने में सफल हो जाने व राजपूत वोट दोनों स्वजातीय प्रत्याशियों में बंट जाने की सम्भावना जताई जा रही है।

राजनीतिक पंडितों का आंकलन है कि इस परिस्थिति में कोलायत सीट से चौकाने वाला नतीजा आ सकता है। परिसीमन के बाद नोखा विधानसभा के कुछ गांव कोलायत में शामिल कर लिए गए। रेवत राम पंवार के पिता रुघा राम व पंवार स्वयं नोखा से विधायक रह चुके है। कोलायत, नोखा व खाजूवाला में इस राजनीतिक घर का गहरा प्रभाव बताया जाता है। पहले नोखा व अब कोलायत में जुड़ी पंचायतों के चिरपरिचित वोटों का लाभ आरएलपी प्रत्याशी को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

उधर, कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी भंवर सिंह भाटी तो रेवंतराम के आरएलपी में जाने से अवाक है। स्थानीय मीडिया की खबरों को सही माने तो इस सुगबुगाहट में उन्होंने पंवार से भेंट कर अपने निर्णय पर पुनः विचार का कहा लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ी। मीडिया में इस तरह के समाचारों व सत्ता की नाराजगी के खतरे को लेकर काँग्रेस खेमे में आशंका के बादल मंडरा रहे है। वहीं, भाजपा में वापसी के बाद देवीसिंह भाटी के समर्थक उत्साहित जरूर थे, लेकिन भाजपा ने पूर्व मंत्री भाटी को टिकट न देकर पहले उनकी पुत्रवधू को दिया बाद में पुनर्विचार कर उनके पौत्र अंशुमान सिंह भाटी को टिकट दिया गया। टिकट मिलने में हुई देरी व पिछले दो चुनावों में मिली हार से भाजपा खेमे में भी उहापोह की स्थिति है। भाजपा में टिकट में हुई  देरी से भी भाजपा का चुनाव अभियान अभी जोर नहीं पकड़ पा रहा है।  परिणाम भले ही भविष्य के गर्भ में हो लेकिन वर्तमान परिदृश्य में राजनीतिक विश्लेषकों  की पैनी नजर में आरएलपी के पंवार के आने से कोलायत में मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है।

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