







बीकानेर Abhayindia.com प्रदेश में वन्य जीवों के शिकार की घटनाएं आम हो गई है। हालात विकट होते जा रहे हैं।
जंगल काटे जा रहे हैं, ऐसी स्थिति में वन्य जीवों पर संकट मंडरा रहा है। खासकर चिंकारा हरिण, कृष्ण हरिण, मोर इत्यादि वन्य जीव शिकारियों के निशाने पर है।
अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा ने राज्य सरकार से इन वन्य जीवों को विलुप्तप्राय प्रजातियां घोषित करने की गुहार लगाई है। महासभा केे राष्ट्रीय संगठन मंत्री शिवराज बिश्नोई ने मुख्य मंत्री को इस संदर्भ में पत्र लिखा है।
इसके जरिए बताया गया है कि प्रदेश में शिकारियों के हौसले बुलंद है। लगातर हो रहे शिकार,घटते जंगल व वन भूमि रिजर्व क्षेत्र के कारण वन्य प्राणी संकट में है। सोलर कंपनियों, खनन क्षेत्र व तारबंदी बाड़ेबंदी वन पेड़ कटाई सहित कई कारण ऐसे बन रहे हैं इससे वन्य जीवों की दो प्रजातियां व पक्षियों की एक प्रजाति मोर जो वन्यजीव अधिनियम 1972 सूची प्रथम के प्राणी है। गोडावण व टाइगर के बाद यह दो 2 वन्य जीव प्रजाति आज राजस्थान में विलुप्त प्राय हो रही है।
सरकार करें संरक्षण…
बिश्नोई ने आग्रह किया है कि राजस्थान सरकार इनको संरक्षण प्रदान करने की मंशा से केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेज कर इनको विलुप्तप्राय की केन्द्रीय सूची में शामिल कराए। ताकि इनके शिकार पर अंकुश लग सके।
साथ ही इनका संरक्षण सही तरीके से हो सके। ऐसे मेें राजस्थान सरकार बिना किसी वित्तीयभार के यह प्रस्ताव केन्द्र सरकार को अति शीघ्र भेजे। ताकि टाइगर व गोडावण की तर्ज पर चिंकारा,कृष्ण मृग व मोर को राजस्थान में बचाया जा सके।



