Sunday, December 22, 2024
Hometrendingभगवान महावीर की सवारी का जगह-जगह वंदन, श्रावकों का अभिनंदन व सत्कार

भगवान महावीर की सवारी का जगह-जगह वंदन, श्रावकों का अभिनंदन व सत्कार

Ad Ad Ad Ad Ad Ad

Bikaner. Abhayindia.com श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के तत्वावधान में कार्तिक पूर्णिमा पर निकली भगवान महावीर की सवारी गोगागेट के बाहर स्थित गौड़ी पार्श्वनाथ मेंं दो दिन प्रवास के बाद के बुधवार को विभिन्न जैन बहुल्य मोहल्लों से होते हुए भुजिया बाजार के चिंतामणि जैन पहुंचकर संपन्न हुई।

श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के मंत्री चन्द्र सिंह पारख ने बताया कि भगवान की शोभायात्रा में शामिल वीर मंडल, महावीर मंडल, कोचर मंडल, आदिश्वर मंडल, श्री जैन गौतम मंडल और जैन मंडल की भजन मंडलियां विभिन्न चौकों व मोहल्लों में ठहरकर राजस्थानी व फिल्मी गीतों की तर्ज पर आधारित भक्ति गीत प्रस्तुत किए। कोचरों के चौक, डागा, सेठिया पारख मोहल्ला सहित विभिन्न स्थानों पर मंच स्थापित किए गए जहां भजन मंडलियों ने भजनों की प्रस्तुतियां दी। शोभायात्रा में शामिल श्रावकों व बच्चों का हलुआ, पकौड़ी, पौहा, बिस्किट व चाय आदि से सत्कार किया। भजन मंडलियों के कलाकारांं का अनेक स्थानों पर नकद राशि, प्रशिस्त पत्र से सम्मान किया गया। वीर मंडल के 75 वर्ष पूर्ण होने पर विशेष सम्मान दिया गया।

पारख ने बताया कि गोगागेट के गौड़ी पार्श्वनाथ से गाजे बाजे के साथ भगवान की सवारी गंगाशहर रोड, स्टेशन रोड, कोटगेट लाभूजी का कटला, नया कुआं, ठठेरा मोहल्ला, मुकीम बोथरा, रांगड़ी चौक, डागा सेठिया पारख मोहल्ला, कोचरों का चौक, बेगानी मोहल्ला, ढढ्ढों का चौक, भगवान चिंतामणि आदिनाथ मंदिर तक अनेक स्थानों पर श्रावक-श्राविकाओं ने नारियल, नकदी चढ़ाकर तथा गंवली सजाकर, जयकारा लगाते हुए रथ में प्रतिष्ठित भगवान शांति नाथ सहित 24 तीर्थंकरों की वंदना की।

शोभायात्रा में पंचरंगी जैन, नगाड़ा वादक, पांच सजे संवरे घोड़े, बैंड पार्टियां, ’’श्री जैन धर्मोत्सव’ ’’अहिंसा परमोः धर्म’ आदर्श वाक्य अंकित व विभिन्न मंडलियां के नाम अंकित गुब्बारों, फरियों से सजे एक दर्जन ऊंट गाड़े, चांदी का कल्पवृ़़क्ष, चांदी का सिंहासन, तिगड़ों जी, देवी पद्मावती का सिंहासन तथा भगवान का रथ, तथा भगवान महावीर के जीवन आदर्शों से संबंधित तेल चित्र शामिल थे। सजे संवरे ऊंट गाड़ों पर बच्चे अलग ही गणवेश में बैठे जयकारा लगा रहे थे। विभिन्न भजन मंडलियों के श्रावक भी अलग ही दुपटा, गणवेश व बैज लगाएं थे।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular