Thursday, March 28, 2024
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भाजपा ने तोड़ी ईद पर मुबारकबाद देने की परंपरा, हिन्दूवाद पर लड़ा जाएगा चुनाव !

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श्याम शर्मा /बीकानेर। आगामी चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी किस रणनीति से मैदान में उतरेगी इसका संकेत उसने पहली बार ईद पर मुबारकबाद देने की परंपरा को तोड़कर दे दिया है।

आप चाहें तो बीजेपी इंडिया और बीजेपी राजस्थान के फेसबुक और ट्विटर अकाउंट खंगाल लें, बीजेपी की तरफ से कहीं भी इस बार मुस्लिम भाइयों को ईद की मुबारकबाद नहीं दी गई है। पिछली ईद को यह सद्भावना देखने को जरूर मिली थी। पार्टी की इस लाइन से साफ हो गया है कि भाजपा इस बार अल्पसंख्यकों के वोटों को महत्व नहीं देगी बल्कि कट्टर हिन्दूवाद के रास्ते पर चलकर चुनाव की नैया पार लगाने की कोशिश करेगी।

सबसे ज्यादा हैरत की बात तो यह है कि भाजपा के इस हिंदूमार्गी कदम से पार्टी में अल्पसंख्यक नेताओं और दूसरे प्रगतिशील नेताओं को भी जैसे सांप सूंघ गया है। पता नहीं पार्टी हाईकमान के डर से या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खौफ से कोई खुलकर नहीं बोल रहा है।

हालांकि इस बार ईद-उल-फितर के मौके पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने और प्रदेश स्तर पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बधाई जरूर दी लेकिन पार्टी ने अपनी आफिशियल वेबसाइट पर इस बार १६ जून को ईद-उल-फितर पर किसी तरह की मुबारकबाद नहीं दी।

फेसबुक पर यह भी देखने में आया कि १६ जून को बीजेपी राजस्थान ने ११ पोस्ट डाली है। इसमें महाराणा प्रताप, देशबंधु चितरंजन, आचार्य प्रफुल चंद्रराय को पुण्यतिथि पर याद किया गया। किसानों की आय बढ़ाने के वीडियो जरूर डाले गए हैं। गोडावण, बेटियों को स्कूल में स्कूटी, न्याय आपके द्वार, अटल बिहारी वाजपेयी का हिन्दू की व्याख्या के कोटेशन की पोस्ट भी हैं। बीजेपी इंडिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं की दो पोस्ट डाली है लेकिन ईद से संबंधित कोई पोस्ट नहीं है।

भाजपा ने राष्ट्रपति भवन में ईद पर रोजा इफ्तार की पार्टी देने की परंपरा से तो पहले ही पल्ला झाड़ लिया था। प्रदेशों में मुख्यमंत्रियों और दूसरे नेताओं की ओर से आयोजित किए जाने वाले रोजा इफ्तार कार्यक्रमों पर अप्रत्यक्ष रूप से ब्रेक लगा दिया गया था। इसी वजह से इस बार १६ जून को ईद के मौके पर किसी भाजपा नेता ने अपनी तरफ से रोजे खुलवाने के लिए कार्यक्रम नहीं रखा। इंटरनेट पर तो भाजपा की तरफ से ईद पर सन्नाटा ही छाया रहा।

भाजपा का यह चौंकाने वाला कदम ऐसे मौक पर आया है जब प्रदेश में विधानसभा चुनाव पांच महीने बाद और उसके छह महीने बाद लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनाव के मौके पर भाजपा अल्पसंख्यक वोटों से किनारा कर यदि चुनाव मैदान में उतरती है तो यह पूरे देश में एक चौंकाने वाला कदम साबित होगा। उत्तर प्रदेश के चुनाव में भी भाजपा ऐसा साहस कर चुकी है, इससे कुछ नुकसान भी नहीं हुआ था। अब लगता है भाजपा यूपी फार्मूला पूरे देश में लागू करने की फिराक में है।

भाजपा की सोच शुरू से ही मुस्लिम विरोधी रही है। इसकी राजनीति देश को बांटने वाली है। ऐसे हालात तो १९४७ में भी नहीं थे। – नूर मोहम्मद गोरी, पूर्व जिलाध्यक्ष बीकानेर जिला कांग्रेस

यह जरूरी नहीं कि कौन से धर्म का आदमी प्रधानमंत्री बने, बात देश को एकजुट रखने की है। देश में सभी धर्मों का आदर होना चाहिए। अंग्रेजों की लड़ाई देश के सभी वर्गों के लोगों ने मिलकर लड़ी थी। उस समय हम जाति धर्म और भाषा के आधार पर बंटे होते तो क्या देश आजाद होता? -सलीम मोहम्मद भाटी,  भाजपा नेता

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