Monday, May 6, 2024
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आधुनिकता का विचार प्रतिक्रियात्मक नहीं, क्रान्तिकारी था : डॉ. आचार्य

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बीकानेर Abhayindia.com बिनानी कन्या महाविद्यालय में अंग्रेजी विभाग द्वारा एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसके मुख्य वक्ता थे डूंगर महाविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. शशिकान्त आचार्य। डॉ. आचार्य ने आधुनिक उपन्यासों में आधुनिकता विषय पर अपना व्याख्यान दिया। अपने व्याख्यान में छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आधुनिकता का विचार लाने वाले ब्रिटिश चिंतक व उपन्यासकार नहीं थे। यह विचार कार्ल मार्क्स, इमेन्युल कांट, नाइश्‍चे, ड्रार्विन और सिंग्मण्ड फ्रायण्ड के द्वारा आया।

आधुनिकता का विचार प्रतिक्रियात्मक न होकर एक क्रांन्तिकारी विचार था क्योंकि आधुनिकता के पूर्व के विचार कहीं न कही मध्ययुग और अपने अतीत के प्रति एक प्रतिक्रिया थी। लेकिन, आधुनिकता का विचार एक विच्छेद था अपने पूर्व के विचार से। इस संबंध में उन्होंने बताया कि किस प्रकार हेनरी जेम्स, जोसेफ कार्नेड, फोर्ड मेडोक्स फोर्ड, इ.एम. फोस्टर, वर्जिनिया वुल्फ, जेम्स जोयस, ए.जी. वेल्म, एलडस हक्सले, जॉर्ज ओरवेल और डी.एच. लोरेन्स के उपन्यासों में यह विचार कैसे प्रस्फुटित हो रहा था और किन-किन मायनों में से उपन्यास आधुनिकता को लिए हुए दूसरों से किस प्रकार इतर थे जैसे फोर्ड मेडोक्स फोर्ड ने यदि युद्ध उपन्यासों पर काम किया तो वर्जिनिया वुल्फ ने चेतना के प्रवाह को अपने उपन्यासों की विषय वस्तु बनाया।
महाविद्यालय प्रबंध समिति सचिव गौरीशंकर व्यास ने कहा कि आधुनिकता का प्रवाह मान परिवर्तन और व्यक्ति की निजता के अर्न्तसंबंध का ही नाम है। प्राचार्या डॉ. चित्रा पंचारिया ने कहा कि हिन्दी साहित्य में भी प्रगतिवाद भी एक तरह से आधुनिकता का पर्दापण था। इस अवसर पर महाविद्यालय की पूर्व छात्रा दीप्ति गौड़ ने अपनी कविता संकलन डॉ. शषिकान्त आचार्य को भेंट की। महाविद्यालय अंग्रेजी व्याख्याता मोनिका व्यास ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी प्रवक्ता गजानन्द व्यास ने किया।

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