Wednesday, April 24, 2024
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बीकानेर में प्रेरणादायक है पुष्करणा सावा, देता हैं मितव्‍ययिता की सीख, देखें वीडियो…

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बीकानेर abhayindia.com रियासतकाल से चल रही पुष्करणा सावे की परम्परा का आज भी निर्वाह किया जा रहा है। शुक्रवार को पुष्करणा सावा है, इसमे सामूहिक रूप से एक साथ बड़ी संख्या में शादियां होगी। एक साथ कई बारातें देखने को मिलेगी। इसमें शामिल होने के लिए महानगरों में प्रवास करने वाले पुष्करणा समाज के लोगों के साथ अन्य समाज के लोग भी बीकानेर आए हैं।

उत्तर पश्चिमी रेलवे एम्पलाइज यूनियन के जोनल अध्यक्ष अनिल व्यास के अनुसार सावा एक अनुठी परम्परा है। इसका निर्वाह आज भी किया जा रहा है। यह सराहनीय है। वहींं, कोलकाता प्रवासी समाज सेवी मनोज ओझा का कहना है कि पूर्वजों ने सामूहिक सावे की जो व्यवस्था बनाई थी, उसकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती है। वर्तमान युग में यह निभ रही है, यह सराहनीय है। वहीं, ओमप्रकाश जोशी उर्फ बबला महाराज की नजर में सावा एक अहम परम्परा है। इसमें समाज के सभी लोगों को बढ़चढ़कर भागीदारी निभानी चाहिए। एक एकजुटता, प्रेमचारा, मितव्ययता का प्रतीक है। उद्यमी कैलाश छंगाणी की नजर में पुष्करणा समाज का सामूहिक विवाह समारोह अन्य समाजों के लिए भी प्रेरक है।

कोलकाता बड़ा बाजार क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता, टीमएसी के संस्थापक सदस्य, हर दिल अजीज स्वपन बर्मन विशेष रूप से पुष्करणा समाज में भागीदारी निभाने के लिए कोलकाता से हर बार बीकानेर आते हैं। इस बार भी स्वपन बर्मन सावे पर बीकानेर आए हैं। वे यहां पर होने वाले विवाह समारोह में भागीदारी निभाएंगे। बर्मन के अनुसार सांस्कृतिक धरोहर है, इसके लिए वो हर बार की भांति इस बार भी बीकानेर पहुंच रहे हैं। यह आयोजन एक मिसाल पेश कर रहा है। बीकानेर का भाईचारा अनुठा है। कोड़मदेसर भैरव बाबा आशीर्वाद सभी पर बना रहे।

कोलकाता प्रवासी समाजसेवी नारायण भूतड़ा भी हर सावे में बीकानेर में पुष्करणा सावे की रंगत में शरिक होते हैं। इस बार भी बीकानेर पहुंचे है। उनका मानना है कि पुष्करणा समाज का यह सामूहिक सावा देखने के लिए बीकानेर चले आते है।

कोलकाता से आए सामाजिक कार्यकर्ता जेठमल रंगा के अनुसार पुष्करणा सावा यहां की संस्कृति का ही हिस्सा है। तभी तो हर दो साल से बीकानेर खींचे चले आते हैं, फिर स्वयं के परिवार में शादी है, चाहे नहीं है, समाज के सामूहिक सावे में भागीदारी निभाने के लिए कोलकाता से आना ही पड़ता है।

प्रवासी किशन गोपाल पुरोहित(लड्डू महाराज) के अनुसार सावा देखने के लिए ही बीकानेर आए हैं। समाज की अनुठी परम्परा है। समाज सेवी हीरालाल किराड़ू बताते है कि बीते कई दशकों से उनका परिवार पुष्करणा सावे पर ही बीकानेर आते हैं।

पुष्करणा सावा हमारी गौरवशाली परंपरा, बता रहे हैं प्रवासी मनोज़ ओझा
पुष्करणा सावे में हो सबकी भागीदारी : बबला महाराज
पुष्करणा सावा मितव्ययिता की मिसाल, सेवा के लिए 24 घंटे हैं तैयार : अनिल व्यास

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