Monday, May 6, 2024
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बर्फ सी जम गई संवेदना? पीबीएम के सिस्‍टम पर उठ रहे सवाल…

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बीकानेर Abhayindia.com कोरोना संकटकाल में पीबीएम अस्‍पताल में एक ओर जहां मरीजों की सेवा में चिकित्‍सक एवं स्‍टाफ जी जान से जुटे हैं, वहीं कुछ की कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठ रहे हैं। ऐसे में सिस्‍टम को चाहिए कि वो इस ओर गंभीरता से ध्‍यान दें। ताजा घटनाक्रम संवेदनहीनता से जुडा हुआ है।

मामले के अनुसार, बुधवार रात को पीबीएम अस्पताल में एक 22 वर्षीय प्रसूता का शव उसके बिलखते परिजनों के समक्ष लावारिस सा पड़ा रहा। परिजन भी करते तो क्या करते, मजबूर थे। बता दें कि इस समय सामान्य मृत्यु पर भी पीबीएम में कोरोना जांच के बाद ही शव सौंपा जाता है। सामान्यतया जांच आने में आठ घंटे का समय लगता है। लेकिन इस मामले में तो तीन घंटे तक वार्ड में ही शव पड़ा रहा।

सांड़वा हाल बासी बरसिंहसर निवासी 22 वर्षीय महिला संगीता पत्नी संजय कुमार को प्रसव पीड़ा के चलते 9 जून को रात करीब दस बजे पीबीएम के जनाना अस्पताल लेबररूम में भर्ती कराया गया था। उसी रात प्रसूता ने करीब साढ़े 12 बजे सामान्य प्रसव से लड़के को जन्म दिया। 10 जून की शाम को तबीयत बिगड़ गई और शाम सात बजे पी वार्ड में मौत हो गई।

परिजनों का आरोप है कि मृतका के शव को किसी ने हाथ तक नहीं लगाया और शव करीब ढाई घंटे तक वार्ड में बैड पर ही पड़ा रहा। वार्ड में ड्यूटी चिकित्सकों ने सीनियर चिकित्सकों को मामले की जानकारी देते हुए कोविड-19 की जांच के लिए टीम भेजने की बात कही, लेकिन रात 11 बजे तक कोई सैम्पल लेने नहीं आया। इसके बाद परिजनों के एक रिश्तेदार ने पीबीएम अधीक्षक डॉ. मोहम्मद सलीम को फोन कर तीन घंटे तक सैम्पल नहीं लेने की जानकारी दी लेकिन कोई  सुनवाई नहीं हुई।

प्रसूता की मौत होने के चार-पांच घंटे तक भी मृतका का सैम्पल एसपी मेडिकल कॉलेज की कोरोना जांच लैब में नहीं पहुंचा। इसका पता चलने पर मृतका के रिश्तेदार बृजमोहन ने पीबीएम अधीक्षक डॉ. मोहम्मद सलीम से संपर्क किया लेकिन उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया, जिससे परिजन आक्रोशित हो गए। परिजनों ने देररात को ही इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी जिला कलक्टर को दे दी।

रात दो बजे तक लैब में सैम्पल नहीं पहुंचने पर पीबीएम अधीक्षक डॉ. मोहम्मद सलीम से बात की गई तब अधीक्षक ने कहा कि कलेक्टर को शिकायत की थी ना, अब जांच उन्हीं से करवा लो। अधीक्षक की हठधर्मिता के चलते करीब ढाई बजे बाद सैम्पल जांच लैब में पहुंचा।

अब मामले में अधीक्षक का कहना है कि प्रसूता की मौत की सूचना मिलने पर टीम भेजकर सैम्पल ले लिया गया था, सैम्पल लेने में बेवजह देरी नहीं की गई। सैम्पल लेकर जांच लैब में भेजने की एक प्रक्रिया है, जिसके तहत काम हुआ। जांच प्रक्रिया पूरी होने पर रिपोर्ट दे दी गई। नाराजगी व लापरवाही बरतने जैसे आरोप निराधार है।

वहीं, जिला कलेक्टर कुमार पाल गौतम ने कहा कि पब्लिक सर्वेंट है तो उन्हें सबकी सुननी होगी। पीडि़त के साथ रुखा व्यवहार व अनुचित जवाब सही नहीं है। इस संबंध में एसपी मेडिकल कॉलेज प्राचार्य से पीडि़त पक्ष के बयान लेकर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही किसी की मृत्यु होने पर कोरोना जांच अलग से विशेष कंडीशन में जल्दी देने की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए गए हैं।

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