Monday, May 6, 2024
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सोसाइटी ऑफ साउथ एशियन आर्कियोलॉजी की सातवीं अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस वेबीनार में डॉक्टर ढाका का पत्र वाचन

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बीकानेर abhayindia.com श्री जयवर्धनेपुरा विश्वविद्यालय, नूगेगोड़ा , श्रीलंका के इतिहास और पुरातत्व विभाग तथा स्वामी विवेकानंद कल्चरल सेंटर हाई कमीशन ऑफ इंडिया, कोलंबो और श्रीलंका नेशनल कमीशन फोर यूनेस्को के संयुक्त तत्वावधान में चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार में महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर के इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष डॉक्टर अंबिका ढाका ने ‘सम ऑब्जर्वेशंस ऑन द 15th सेंचुरी स्कल्पचरल आर्ट विद स्पेशल रेफरेंस टू चित्तौड़गढ़ फोर्ट’ विषय पर पत्र वाचन किया।

डॉक्टर ढाका ने चित्तौड़गढ़ दुर्ग की प्राचीनता का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां छठी शताब्दी से स्थापत्य और कला के अवशेष मिलने लगते हैं | 15 वी शताब्दी के देवालयों मे उत्कीर्ण की गई अद्भुत प्रतिमाओं का विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए डॉक्टर ढाका ने अद्भुतनाथ मंदिर, सतबीस देवरी जैन मंदिर, पद्मिनी महल तालाब और कीर्ति स्तंभ में उत्कीर्ण प्रतिमाओं की विशेषताओं रेखांकित किया।

अद्भुत नाथ मंदिर की नृत्यरत पार्वती, पद्मिनी तालाब पर महारुद्र की अष्टभुजा प्रतिमा, सतबीस देवरी जैन मंदिर में लक्ष्मी का हंस वाहन के साथ अंकन तथा कीर्ति स्तंभ पर लक्ष्मी का  गज वाहन के साथ अंकन अतुलनीय है। ऐसा उदाहरण हरियाणा में पानीपत से प्राप्त होता है।

सतबीस देवरी जैन मंदिर में देवी सरस्वती की सिंघारुढ प्रतिमा की समकक्ष प्रतिमा हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के वैद्यनाथ मंदिर में देखी जा सकती है। डॉक्टर ढाका ने दिगपाल कुबेर की विशिष्ट प्रतिमा, जोकि  चित्तौड़गढ़ दुर्ग मेंश्रृंगार चवरी  से प्राप्त है, कहा कि इसमें कुबेर का वाहन हंस दिखलाया गया है,  जोकि शास्त्रों में देखलाई नहीं देता है। सत्र के चेयरपर्सन डॉ गामिनी राणासिंगे, डॉ पी. पी. दंडवते और डॉक्टर रवि गुप्ता थे।

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