Friday, April 19, 2024
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एमजीएसयू में जांभोजी के सिद्धांतों पर गहन चिंतन मंथन

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बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय एवं जाम्भाणी साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को विश्वविद्यालय परिसर में राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न हुई। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि उच्च न्यायालय जोधपुर के न्यायाधीश विजय विश्नोई, विशिष्ट अतिथि अलवर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र कुमार विश्नोई एवं अध्यक्ष कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह रहे। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता कृष्णानन्द आचार्य रहे।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने गुरू जम्भेश्वरजी की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए आयोजन सचिव डॉ. इन्द्रा विश्नोई ने सभी अतिथियों का परिचय कराया। संगोष्ठी निदेशक प्रो. एस. के. अग्रवाल ने विषय प्रवर्तन किया। उन्होनें विश्वविद्यालय परिसर में मदन मोहन मालवीय पीठ एवं नैतिक शिक्षा के बारे में विस्तार से बताया। विशिष्ट अतिथि देवेन्द्र विश्नोई ने विश्नोई समाज की उपलब्धियों एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति योगदान के बारे में सदन को अवगत कराया।

मुख्य वक्ता आचार्य कृष्णानन्द ने अपने उद्बोधन में कहा कि हवन के कण-कण में एक विशेष शक्ति होती है। उन्होंने पानी, शील और संतोष के सिद्धान्त को अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन के लिये कुछ नियमों को अपनाने की आवश्यकता होती है, जो कि विश्नोई समाज में देखने को मिलती है।

मुख्य अतिथि न्यायाधिपति विजय विश्नोई ने अपने ज्ञानवद्र्धक उद्बोधन में कहा कि गुरू जांभोजी द्वारा दिये गये सिद्धांतों का पालन करना चाहिये। जांभोजी के सिद्धान्तों की पालना से ही सही अर्थों में पर्यावरण संरक्षण हो सकेगा। विश्नोई ने कहा कि आज दुनिया भर में जांभोजी के सिद्धान्तों पर अनुसरण किया जा रहा है जिससे आज पर्यावरण संरक्षण में भारी सफलता मिली है। विश्नोई ने पंजाब एवं हरियाणा में प्रदूषण की वजह से बढ़ते हुए कैन्सर पर भी अपनी चिन्ता जताई।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति भगीरथ सिंह ने कहा कि गंगा सिंह विश्वविद्यालय इस प्रकार की संगोष्ठी के आयोजन से समाज को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना चाहता है। उन्होंने विश्नोई समाज से विश्वविद्यालय परिसर में पेड़ लगाने की अपील की। साथ ही उन्होंने सदन से नशामुक्ति का संकल्प भी दिलवाया। उनकी अपील का अनुसरण करते हुए राजाराम धारणिया ने 1000 पेड़ तथा जगदीश धारणियां ने 100 पेड़ लगाने की घोषणा की। डॉ. अनिला पुरोहित ने उद्घाटन सत्र में उपस्थित अतिथियों एवं सभी आगन्तुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

आयोजन सचिव डॉ. इन्द्रा विश्नोई ने बताया कि उद्घाटन सत्र के पष्चात दो तकनीकी सत्र आयोजित हुए जिसमें नई दिल्ली के प्रो. कृष्ण कुमार कौशिक, बीकानेर के प्रो. अनिल छंगाणी, डॉ. कृष्ण लाल विश्नोई, डूंगर कॉलेज की डॉ. प्रकाश अमरावत, डॉ. नन्दिता सिंघवी, जयपुर के डॉ. जगदीश गिरी, आरजेएस पवन विश्नोई तथा डॉ. ओम प्रकाश भादू सहित अनेक आचार्य एवं सह आचार्यों ने अपना पत्र वाचन किया।

तकनीकी सत्रों का संचालन डॉ. सीमा शर्मा एवं हिसार के डॉ. सुरेन्द्र खीचड़ ने किया। तकनीकी सत्रों के बाद हुए समापन समारोह के मुख्य अतिथि शिवबाड़ी के महन्त संवित सोमगिरी महाराज एवं विशिष्ट अतिथि राजाराम धारणिया रहे। अपने उद्बोधन में सोमगिरी महाराज ने वर्तमान समय में पर्यावरण संरक्षण में इस प्रकार की संगोष्ठी की महती आवष्यकता पर बल दिया।

इस अवसर पर डॉ. सरस्वती विश्नोई, डूंगर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सतीश कौषिक, ज्ञान विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. बी. एल. विश्नोई, विधि महाविद्यालय के डॉ. भगवानाराम विश्नोई, बीरबल धारणिया, बलवन्त विश्नोई, ओमप्रकाश विश्नोई, सोहनलाल विश्नोई, विश्नोई महासभा के कोषाध्यक्ष रामस्वरूप धारणिया मीडिया प्रभारी डॉ. राजेन्द्र पुरोहित, डॉ. प्रशान्त बिस्सा, डॉ. पंकज जैन सहित जाम्भाणी साहित्य अकादमी के अनेक पदाधिकारी उपस्थित रहे। समापन सत्र का संचालन डॉ. बनवारी लाल साहू ने किया।

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