Wednesday, April 24, 2024
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बीकानेर : ‘कमाऊ’ विभाग भी ‘लक्ष्य’ से पिछड़े, खड़ा हो गया ये संकट…

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मुकेश पूनिया/बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। प्रदेश का सरकारी खजाना भरने के लिये जिम्मेदार अधिकांश विभाग राजस्व वसूली में इस बार काफी पिछड़े हुए है। इसका सीधा असर प्रदेश सरकार के खजाने पर भी पड़ा है। ऐसे में नई सरकार के सामने आर्धिक संकट खड़ा हो गया है। बताया जाता है कि सरकार ने राजस्व जुटाने वाले विभागों पर भारी दबाव बना रखा है, लेकिन परिस्थितियां विपरीत होने के कारण ‘कमाऊ’ विभाग के अधिकारी टारगेट के मुताबिक राजस्व जुटाने में असहाय बने हुए है।

आपको बता दें कि चुनावी साल होने के कारण इस बार सरकारी विभागों में राजस्व संग्रहण का काम नहीं के बराबर हुआ है। चुनाव से निपटने के बाद सरकारी विभाग अब वसूली के लिए अभियान चलाने की तैयारी की जा रही है, लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए सरकारी विभागों के लिए राजस्व वसूली का टारगेट पूरा कर पाना मुश्किल नजर आ रहा है, क्योंकि आने वाले साल में फरवरी अंत या मार्च माह की शुरूआत में आचार संहिता लग सकती है। ऐसे में सभी विभागों के कर्मचारियों को वसूली छोड़ चुनाव कार्य में जुटना होगा।

खासा पिछड़ा हुआ है आबकारी विभाग

बीकानेर में सरकारी राजस्व जुटाने वाले कमाऊ विभागों के खाते खंगाले गये तो सबसे कमजोर हालात आबकारी विभाग की नजर आई। बीकानेर जिले में आबकारी विभाग को चालू वित्तीय वर्ष के लिये 323.30 करोड़ राजस्व जुटाने का लक्ष्य का दिया गया था, लेकिन विभागीय अधिकारी अभी तक 159.89 करोड़ ही जुटा पाये है।

जानकारी में रहे कि आबकारी विभाग के पास आय के प्रमुख स्त्रोतों में शराब दुकानों से मिलने वाली लायसेंस फीस है। जिसका लक्ष्य हर साल अप्रैल माह की शुरूआत में निर्धारित किया जाता है। लक्ष्य के अनुरूप हर साल विभाग शत-प्रतिशत वसूली कर लेता है, लेकिन इस बार चुनाव की वजह से वसूली का प्रतिशत थोड़ा कम है। जबकि विभाग का कहना है कि मार्च अंत तक शत प्रतिशत वसूली हो जाएगी।

खनिज विभाग में आधी भी नहीं हुई वसूली

खनिज विभाग के राजस्व आंकड़ों पर नजर डाली जाये तो विभाग को बीकानेर में 132 करोड़ का राजस्व जुटाने का टारगेट दिया गया था, लेकिन राजस्व जुटाने में नाकाम बीकानेर के खनिज अधिकारी अब तक 71-72 करोड़ ही जुटा पाये है। जानकारी में रहे कि बीकानेर में खनिज विभाग की आय का मुख्य स्त्रोत है जिप्सम, बजरी और क्ले खनन की रायल्टी है। इसके अलावा अवैध उत्खनन, परिवहन, भंडारण आदि से होने वाली वसूली से भी विभाग को आय प्राप्त होती है। लेकिन इस साल चुनाव की वह से वसूली का काम पिछड़ गया है। वहीं आने वाले साल में लोकसभा चुनाव के कारण वसूली का टारगेट पूरा होना मुश्किल नजर आ रहा है। हालांकि विभाग के अधिकारी लक्ष्य के अनुरूप वसूली का दावा कर रहे है, लेकिन वास्तव में टारगेट से पिछड़े हुए है।

रजिस्ट्री पंजीयन में कमी से वसूली प्रभावित

इधर, जिला पंजीयक विभाग के पास आय का प्रमुख स्त्रोत स्टाम्प शुल्क एवं पंजीयन शुल्क से होने वाली आय है। चूंकि विधानसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लगी होने के कारण स्टाम्प शुल्क एवं पंजीयन शुल्क में भारी कमी आई है। इसका असर विभाग की राजस्व वसूली पर भी पड़ा है। विभाग लक्ष्य से आधी ही वसूली कर सका है।

यह विभाग भी वसूली में पिछड़े

जिले में आबकारी, खनिज पंजीयन विभाग के अलावा वाणिज्यकर विभाग, जिला परिवहन विभाग, नगर निगम भी शामिल है। नगर निगम के पास आय के विभिन्न स्त्रोत है। इनमें संपत्तिकर, समेकित कर, सामान्य जलकर, जल शुल्क, दुकान/भवन भूमि किराया, शिक्षा उपकर एवं नगरीय विकास उपकर शामिल है, लेकिन वसूली के मामले में नगर निगम की हालात फिर भी खस्ताहाल है। निगम नवंबर माह की स्थिति में 20 प्रतिशत ही कर वसूल कर सकी है।

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