Monday, May 6, 2024
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बीकानेर : एकादशी व्रत का है खास महत्व, बन रहे हैं त्रिस्पर्शा महायोग…

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बीकानेर Abhayindia.com एकादशी व्रत आस्थावान लोगों के लिए महत्व रखता है। लेकिन इस बार रविवार की एकादशी पर त्रिस्पर्शा का महायोग बन रहा है।

23 मई को सूर्योदय सुबह 05:43 पर होगा एवं 24 मई को भी सुबह 05:43 पर होगा। एकादशी 23 मई को सुबह 06:43 तक है, इसके बाद द्वादशी मध्यरात्रि बाद दूसरे दिन के सूर्योदय से पूर्व 03:39 पर समाप्त होगी और त्रयोदशी आ जाएगी। यानी उस दिन एकादशी, द्वादशी व त्रयोदशी एक अहोरात्र यानी एक सूर्योदय से दूसरे दिन के सूर्योदय के मध्य हो तो उसे त्रिस्पर्शा तिथि कहते है।

23 मई रविवार को यही योग बन रहा है। तो यह सबसे बड़ी एकादशी है। त्रिस्पृशा का महायोग हजार एकादशियों का फल देने वाला व्रत है । 23मई को त्रिस्पृशा-उत्पत्ति एकादशी है। एक ‘त्रिस्पृशा एकादशी’ के उपवास से एक हजार एकादशी व्रतों का फल प्राप्त होता है। इस एकादशी को रात में जागरण करने वाला भगवान विष्णु के स्वरूप में लीन हो जाता है। ‘पद्म पुराण’ में आता है कि देवर्षि नारदजी ने भगवान शिव से कहा ‘सर्वेश्वर ! आप त्रिस्पृशा नामक व्रत का वर्णन करिए, जिसे सुनकर लोग कर्मबंधन से मुक्त हो जाए।

‘महादेव कहा ‘विद्वान्! देवाधिदेव भगवान ने मोक्ष प्राप्ति के लिए इस व्रत की सृष्टि की है, इसलिए इसे ‘वैष्णवी तिथि कहते हैं, भगवान माधव ने गंगाजी के पापमुक्ति के बारे में पूछने पर बताया था ‘जब एक ही दिन एकादशी, द्वादशी एवं रात्रि के अंतिम प्रहर में त्रयोदशी भी हो तो उसे ‘त्रिस्पृशा’ समझना चाहिए। यह तिथि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाली एवं सौ करोड तीर्थों से भी अधिक महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान के साथ सदगुरु की पूजा करनी चाहिए।

यह व्रत सम्पूर्ण पापो का शमन करने वाला, महान दु:खों का विनाशक और सम्पूर्ण कामनाओं का दाता है। इस त्रिस्पृशा के उपवास से ब्रह्म हत्या जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं। हजार अश्वमेघ और सौ वाजपेय यज्ञों का फल मिलता है। यह व्रत करने वाला पुरुष पितृकुल, मातृकुल एवं पत्नीकुल के सहित विष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है।

इस दिन द्वादशाक्षर मंत्र (ऊं नमो भगवते वासुदेवाय) का अधिक से अधिक जप करना चाहिए । जिसने इसका व्रत कर लिया उसने सम्पूर्ण व्रतों का अनुष्ठान कर लिया। इसका व्रत करने से व्यक्ति को एक हजार एकादशी का व्रत करने का पवित्र फल प्राप्त होता है। जब मनुष्य 40 वर्षों तक एकादशी का व्रत करता है, तो उसे एक हजार एकादशियां प्राप्त होती हैं। यानी एक ही दिन में 40 साल की योग्यता हासिल हो जाती है।

-भैरव रतन बोहरा, जोशीवाड़ा,बीकानेर

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