









बीकानेर abhayindia.com खाने–पीने के शौकीन लोगों का शहर बीकानेर पिछले लंबे अर्से से मिलावटी खाद्य पदार्थो का गढ बना हुआ है। यहां दूषित मावे से बनी मिठाईयां, मिलावटी और घटिया तेल से बनी नमकीन और भुजिया और मिलावटी मिर्च मसालों से बने खाद्य पदार्थ धड़ल्ले से बिक रहे है। इसके अलावा शहर के होटलों, ढाबों और रेंस्टोरेंट्स में दूषित खाद्य पदार्थ भी ग्राहकों को परोसे जा रहे है।
हालांकि बीकानेर का नाम नकली देशी घी के मामले में ज्यादा बदनाम है, लेकिन हकीकत यह है कि यहां मिलावटी खाद्य पदार्थो की बिक्री नकली घी से कई गुना ज्यादा हो रही है। ऐसा नहीं है कि चिकित्सा एवं स्वास्थ विभाग के जिम्मेदार अधिकारी बीकानेर में मिलावटी और दूषित खादय पदार्थो की बिक्री से अनजान है, लेकिन मिलावट खोरों और दूषित खाद्य पदार्थ बेचने वालों के साथ गहरे तालमेल के चलते वह जान–बूझ कर कार्यवाही में अनजान बने हुए है।

स्वास्थ्य महकमे से जुड़े आंकड़ों पर नजर डाली जाये तो बीकानेर खाद्य पदार्थो की जांच के लिये समय समय पर चलाये गये अभियान के दौरान लिये गये सैंपलों में साठ–सत्तर फिसदी सैंपलों में मिलावटखोरी साबित हो चुकी है, लेकिन मिलावटखोरों के खिलाफ कार्यवाही का आंकड़ा आज भी शून्य है।

शहर में खाद्य एवं मिर्च–मसाला कारोबार जगत से जुड़े सूत्रों की मानें तो मिलावटी मिर्च–मसाले और खाद्य तेल के मामले में बीकानेर पश्चिम राजस्थान का सबसे बड़ा गढ है। यहां से जयपुर, जोधपुर, नागौर, श्रीगंगानगर, पाली और सिरोही तक मिलावटी मिर्च–मसाले और घटिया खाद्य तेल की सप्लाई बड़े पैमाने पर होती है। मिलावट माफियाओं की शासन–प्रशासन में ऊपर तक पकड़ होने के कारण स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी इनके खिलाफ कार्यवाही की हिम्मत नहीं जुटा पाते है।

सड़क किनारे खुले में बिक रही खाद्य सामग्री
शहरभर में जगह–जगह सड़क किनारे ठेलों और दुकानों में धड़ल्ले से खाद्य सामग्रियों में समोसा, कचोरी, पोहा, भजिया, मंगोड़े इत्यादि बेची जा रही हैं। इनमें प्रयुक्त दाल, बेसन, मसाला व खाद्य तेल कई जगहों पर मिलावटी, दूषित होना पाया जा रहा है। खुले में बिक रहे खाद्य पदार्थों पर किसी भी प्रकार की रोकटोक नहीं है। इतना ही नहीं नगर समेत जिले भर में चाय–नाश्ते, होटलों व बड़े रेस्टारेंटों की जितनी ज्यादा संख्या है और दिन–रात यहां बन रहे खाद्य पदार्थों की मात्रा है उसके एवज में व्यवसायिक गैस सिलेण्डरों की बिक्री न के बराबर है। अधिकांश दुकानदार घरेलू गैस सिलेण्डरों का धड़ल्ले से उपयोग कर शासन को लाखों रुपए की क्षति पहुंचा रहे हैं। नागरिकों ने इस मामले में भी अधिकारियों से ठोस कार्रवाई की मांग की है।
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