Saturday, January 25, 2025
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बच्चों को गलत राह पर ले जा सकता है घर का बिगड़ा वास्तु 

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अनेक बार बच्चों को सारी सहूलियत देने के बावजूद भी बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लगता है या फिर कई बार ऐसा भी होता है कि बच्चों के पढ़ाई में मेहनत करने के बावजूद भी नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं आते हैं। पेरेंट्स के प्रयासों का धक्का उस समय लगता है जब बच्चा उन कार्यों को करने में अधिक समय व्यय करे, जिनके लिए उसे मना किया जाए। बच्चों के बर्ताव में अचानक आने वाले परिवर्तनों को गंभीरता से लेना चाहिए। अन्य कारणों के अलावा इसका एक कारण घर का बिगड़ा वास्तु भी बच्चों को बिगाड़ सकता है।

मां-बाप को जब बच्चे पलटकर जवाब देने लगे तो कई बार मां-बाप को समझ नहीं आता कि उनकी परवरिश में कहां चूक हो गई। बच्चों का छोटी-छोटी बात पर बहस करना और तुनककर जवाब देने की आदत ना केवल उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है बल्कि, मां-बाप के लिए भी इस तरह के व्यवहार को बदलने में समय लग सकता है। बच्चों को बहस करना, मां-बाप से लड़ना या अपनी बातें मनवाने के लिए जिद करने की आदतें बदलने के लिए इसके पीछे के कारणों को समझना चाहिए। दरअसल, इसमें कई बार मां-बाप अनजाने में वास्तु दोष से हो रही परेशानियों को समझ नहीं पाते हैं। यदि बच्चे बिगड़ गए हैं अर्थात यदि नशे की लत से ग्रसित हैं तो ऐसे बच्चों को घर के पूर्वी हिस्से का कमरा दिया जाना चाहिए अथवा घर के ईशान कोण के कमरे में भी ऐसे बच्चे आराम से रह सकते हैं क्योंकि धूमपानं मद्यपानं, नाशाय भवति ध्रुवम्। स्वास्थ्यं हरति चायुष्यं, तस्मात् त्यज्यं सदा बुधैः।। इसका आशय है धूम्रपान और मदिरापान निश्चय ही विनाश का कारण बनते हैं। ये स्वास्थ्य और आयु को छीन लेते हैं, इसलिए इसे हमेशा त्याग देना चाहिए।

बच्चों के कमरे के लिए वास्तु की योजना बनाते समय याद रखने वाली एक और बात यह है कि बच्चे के बिस्तर के ठीक सामने बाथरूम नहीं होना चाहिए। आज कल बच्चे रात रात भर नींद नहीं लेते हैं जो की बच्चों के लिए एक आम समस्या हो गई है इसके लिए बच्चों के बिस्तर को दरवाजे, खिड़की या शीशे के सामने नहीं रखना चाहिए क्योंकि इससे नींद की कमी हो सकती है। ऐसा कहा जाता है कि शीशा नकारात्मकता की भावना लाने वाले अजीब भ्रम को पैदा कर सकता है। साथ ही बेहतर नींद के लिए यह शुभ नहीं माना जाता है।

वास्‍तुशास्‍त्र के मुताबिक बच्‍चों के कमरे की दीवारों पर रंगों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए। ऐसे रंगों को चुना जाना चाहिए जो कि बहुत तेज न हों। इसके लिए पीला और हल्‍का गुलाबी रंग चुन सकते हैं। हालांकि इन रंगों को दीवारों के मुताबिक लगाया जाना चाहिए।

आजकल यह देखा जाता है कि बच्चे दबाव को न झेल पाने से डिप्रेशन के शिकार होते हैं जिसमें कुछ ऐसे कारण भी शामिल होते हैं जिन्हें यहाँ चर्चा का विषय बनाना अमर्यादित होगा ऐसे में यह संकेत किया जा सकता है कि उसके कमरे में ऐसे पिक्‍चर्स लगाने चाहिए जो उन्‍हें मोटिवेट कर सकें। इसके लिए पूर्व की तरफ सूर्य देव और मां सरस्‍वती का चित्र लगाएं या फिर वेदमाता की तस्‍वीर लगाएं।

हमारी संस्कृति का आदर्श है- मातृवत् परदारेषु, परद्रव्येषु लोष्ठवत्। आत्मवत् सर्वभूतेषु, यः पश्यति स पण्डितः॥ इसका आशय है जो अन्य महिलाओं को माता के समान, दूसरे के धन को मिट्टी के समान, और सभी जीवों को आत्मा के समान देखता है वही सच्चा ज्ञानी है। युवा पीढ़ी का चरित्रहीन होना इस दौर की बड़ी समस्या है। यह ऐसी समस्या है जिससे माँ बाप अनजान नहीं है लेकिन लोकलाज वश माता-पिता किसी के सामने बात भी नहीं कर सकते। यदि वायव्य कोण में कुआँ, बोरिंग, सैप्टिक टैंक, भूमिगत जलकुंड इत्यादि हो तो वहाँ के बच्चों में किशोरावस्था में चरित्रहीन होने की संभावना रहती है। इस समस्या से निपटने के लिए उनका विवाह कर दिया जाता है  लेकिन उसके बाद वे विवाहेत्तर संबंध एक नई ओर बड़ी समस्या को जन्म देते है। बेहतर है शास्त्रीय वास्तु का ज्ञान रखने वाले किसी योग्य वास्तुकार से अपने निवास को चैक करवाकर समस्या की जड़ पकड़कर उस समस्या का समाधान करें। -सुमित व्यास, एम.ए (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मोबाइल – 6376188431

यदि छत पर नहीं है कबाड़ तो कुबेर कर देंगे मालामाल

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