Saturday, April 20, 2024
Hometrendingआचार्य ज्योति मित्र का व्‍यंग्‍य : पैसठवीं कला का प्रोफेसर

आचार्य ज्योति मित्र का व्‍यंग्‍य : पैसठवीं कला का प्रोफेसर

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

लद गए अब 64 कलाओं के वो दिन  जब इन कला के कलाकारों को समाज में सम्मान से देखा जाता था , इज्जत बख्शी जाती थी। ये सारी कलाएं बेमानी है जब तक उसे पैसठवीं कला से अनजान हो। समय के इस फेर में जो पैसठवीं कला में दीक्षित हो गया मानों उसने  जीते जी मोक्ष प्राप्त कर लिया। पैसठवीं कला से विमुख रहने वाला संसार में तो दुख  पाता ही है अपना परलोक भी बिगाड़ता है। ज्ञानीजन का कहना है ये कला  विशुद्ध व्यवहारिक दर्शन हैं। इस दर्शन में अपने पराक्रम पर ध्यान दिया जाता है। इस गूढ़ सांसारिक विद्या को गंभीरता से ही समझा जा सकता है। इस कला की इस महिमा से हम भी प्रभावित हुए इसलिए हमने  इस कला में पारंगत होने के कई असफल प्रयास किए लेकिन सब प्रयास गुड़ गोबर हो गए। जब हम इसमें असफल हो गए तो अपने आपको सिद्धांतवादी घोषित कर लिया। अब तक आपके दिमाग मे ये प्रश्न कुलबुला रहा होगा आखिर ये पैसठवीं कला की बला है क्या?

अरे भाई ये वो अस्त्र है जिसमें मूंगफली छिलनी नहीं , लेकिन पगार छोड़नी नहीं जैसा चमत्कार भी किया जा सकता है। इसे  कुंठित लोगों ने खुशामद, चापलूसी,  चिरोरी, चमचागिरी व ठुकुर सुहाती जैसे सस्ते नाम दे रखे हैं। इधर, हमने अपने आपको सिद्धांत वादी घोषित किया उधर, श्रीमती जी चंडी के अवतार में आ गई कहा आपके इस सिद्धांत विद्धान्त से काम नहीं चलेगा,  कुछ सीखो। ये चेतावनी थी या सलाह इसे हम  आज तक नहीं समझ पाए। हमने इसे देवी की महिमा मान कर उस पर अमल करने का निश्चय कर लिया। भाई लोगों से सलाह की तो उन्होंने पैसठवीं कला सीखने का  उपाय बताया। बस, हमने इसके लिए योग्य गुरु की खोज शुरू कर दी। हमारी तलाश खत्म हुई भैणु उस्ताद पर। सुना कि उस्ताद ने वानप्रस्थ ले लिया है। अपने आश्रम में जिज्ञासु शिष्यों को पैसठवीं कला के गुर सिखाते है। बस हमने भी उनका पक्‍का चेला बनने के लिए अपने आपको तैयार कर लिया। उस्ताद के तेज से तो मैं बचपन से  ही आतंकित रहा हूँ। इसलिए डर के मारे आश्रम के बाहर उहापोह में खड़ा था। आखिर में  मैंने भी इस कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिग रखते हुए एकलव्य की तरह दूर से ही ज्ञान लेने में अपनी भलाई समझी। इतने में उस्ताद का  स्वर मेरे कानों में पड़ा। वे कह रहे थे, जीवन में इस कला को अंगीकार कर ले तो फायदे ही फायदे हैं। ये पैसठवीं कला  बहुत काम आती है। जिसे यह कला नहीं आती, समझो वह पिछड़ गया।

कुछ नैतिकता का ढोंग करने वाले कुंठित लोग  कह सकते है  यह नैतिक रूप से ठीक नहीं है , लेकिन इसे कला के तौर पर देखे व खुद को कलाकार समझे तो कलात्मक रूप से पैसठवीं कला फायदे का मूल है। उस्ताद धाराप्रवाह बोल रहे थे उन्होंने कहा इस कला के कलाकार को अच्छा अभिनय भी आना चाहिए। यह कला अवसर प्रधान है, इसलिए अवसरवादी बनिए। भाड़ में जाए दुनिया अपना काम निकालने के लिए  मौका मिले तो दांत निकालिए या हालात की नजाकत को देखकर आंसू टपकाए या फूट-फूटकर रोइए। पैसठवीं कला में  जिसे फूट-फूटकर रोना आ गया, बस उसने भवसागर पार कर लिया। भैणु उस्ताद आज शिष्यों की सेवा से अभिभूत हो गए थे इसलिए अपना पूरा अनुभव एक ही दिन में अपने चेलों को देकर गुरु ऋण से मुक्ति पाना चाहते थे। महाभारत में सुना था कि एक श्वान युधिष्ठिर के साथ  स्वर्ग तक चला गया था। इससे उसको भी स्वर्ग की प्राप्ति हो गई। मुझे लगा स्वर्ग मिले न मिले उस्ताद  के इस स्किल  से  जीवन के संकट तो हल हो ही सकते है।

अचानक उस्ताद की आवाज ने मुझे महाभारत काल से वापिस कलि काल में ला पटका। वे अनुभव  बता रहे थे   पैसठवीं कला का ही प्रताप है कि ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं। इस कला में सावधानी व हाथ साफ होना  आवश्यक शर्त है। रोने की जगह मुस्करा दिए तो आप इस कला में नाकारा घोषित कर दिए जाएंगे। सत्य वचन थे उस्ताद के मुझे याद आ गया एक बंधू के साथ हुई घटना उनके एक अफसर के चार बेटियों के बाद बेटा उनकी झोली में आया। वे देर से पहुचे थे पूरा माजरा समझ नहीं पाए। भावुकता के इन पलों में उनके आँसू निकल आए। बस हमारे बंधू ने अंदाज लगा लिया साहब के फिर लड़की आ गई। यही मौका था उन्हें अपनी कला के प्रदर्शन का उन्होंने  आव देखा न ताव वहां पर दहाड़े मार-मार कर रोने लग गए। जिस कुशलता से वे रोते है, देखने वाले दांतों तले अंगुली दबा लेते है लेकिन हमारे बंधू मौके की नजाकत को समझ नहीं पाए वहीं गच्चा खा गए। वहां पर बैठे पैसठवीं कला के प्रोफ़ेसरों ने इसे अपना अवसर बनाया उनकी कार सेवा कर दी। दफ्तर में उनके जैसा विवादित ढांचा सबको अखर रहा था जिसे पैसठवीं कला के उपयोग से ढहा दिया गया। उस्ताद की बात अनुभव की भट्टी में तप कर निकली थी मेरा सर श्रद्धा से झुक गया।

उस्ताद कह रहे थे पैसठवीं कला से क्या नहीं किया जा सकता। देख लिया न आपने किस तरह पैसठवीं कला में पारंगत विद्वानों ने हमारी इस आपदा में अपना अवसर ढूंढ लिया।  इस कला के फन से हाथी को बाथरूम में नहलाने का असम्भव काम  भी किया जा सकता है। उस्ताद बोले  यदि इस जमाने मे जीना है तो इस कला के फन में महारत हासिल करें। यह  वो कला है , जिसमें आदमी की कुशलता का पता चलता है। असंभव लगने वाले काम संभव हो जाते है। आपको  इलेक्शन लड़ना हो, तो नेता जी पर,  पास होना हो तो परीक्षक पर,  प्रमोशन चाहिए तो बॉस पर पैसठवी कला के पैतरे आजमाए  सफलता कदम चूमेगी। उस्ताद आज मूड में थे उनका प्रवचन जारी था। उन्होंने गूढ़ ज्ञान की बात बताई उनकी आवाज थोड़ी धीमी हो गई लगभग फुसफुसाते हुए बोले यदि आपकी प्रोग्रेस के रास्ते में कोई आ रहा है  तो उसे हटाने के लिए पैसठवीं कला के तरकश से तीर चलाए। आपके आगे आ रहा शख्स  इतिहास बन जाएगा।  अब किस पर पैसठवीं कला आजमानी है यह आप के दिमाग पर निर्भर है। अगर आप अपने से काबिल व्यक्ति पर ये प्रयोग करते है तो ही इसकी सार्थकता है । यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति पर कर रहे हैं जो कि आपसे कम गुणी है तो आपको सावधान होने की जरूरत है।

मूर्खों की चापलूसी करना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने के समान है। उस्ताद के इस ज्ञान  से मैं भाव विभोर हो रहा था। उनकी शहद सी मीठी वाणी मेरे कानों में रस घोल रही थी। वे बोले- कुंती के सभी पुत्र अर्जुन नहीं बने इसलिए जरूरी नहीं कि पैसठवीं  कला में हमेशा मीठा ही मिले कभी कड़वे घूंट भी पीने पड़ते है। इस कला में असफल होकर  ठोकर खाया व्यक्ति  खुद को  एकमात्र सिद्धांतवादी घोषित करता है। यह सुनते ही मारे डर के मेरे रोंगटे खड़े हो गए। कहीं उस्ताद को पता तो नहीं चल गया कि मैं बाहर खड़ा उनके प्रवचन मुफ्त में सुन रहा हूँ। मुझे अब पक्का विश्वास हो गया  उस्ताद तो अंतर्यामी है। ये मेरी गलतफहमी थी वे कह रहे थे ऐसा कुंठित सिद्धान्तवादी आदमी अफसर से औपचारिक दुआ सलाम रखने  वाले हर व्यक्ति को ‘चमचे’ के खिताब से नवाजता है। पैसठवीं कला में गला काट प्रतिस्पर्धा होती है। इस अदृश्य प्रतियोगिता में फेल होने वाला  कुंठित सिद्धान्त वादी इसे अपना ‘त्याग’ और आगे वालों को ‘स्वार्थी और मक्कार’ बताकर अपनी खीज मिटाता  हैं। हमें ऐसी आलोचना की परवाह नहीं करनी है बस दूर दृष्टि पक्का इरादा रखना है।  उस्ताद का प्रवचन अपने पूरे परवान  पर था। मैं नतमस्तक से साष्टांग दंडवत की मुद्रा में आने का मानस बना रहा  था। अचानक उनके शब्द  मेरे कानों में पड़े जिससे मैं सावधान की मुद्रा में आ गया। उन्होंने फरमाया इन दिनों आरोप  सुना जा रहा है कि नेहरू के काल से वामपंथियों ने शिक्षा का बेड़ा गर्क कर दिया। जब हमारी इस  कला पर मनन करता हूँ तो आरोप सही लगने लगते है।  इस कला के साथ न्याय नहीं हुआ। होना तो ये चाहिए था कि इसके लिए स्पेशल यूनिवर्सिटी खोली जानी चाहिए थी। बाकायदा सर्टिफिकेट कोर्स चलाए जाने चाहिए थे लेकिन मुओ ने एक अध्याय भी इस पर नहीं लिखवाया। नतीजा ये रहा कि आम आदमी उतना विकास नहीं हुआ  जितना हो जाना चाहिए था।

उस्ताद का एक एक वाक्य मुझे सिद्धान्तवादी से अवसरवादी बनाने के लिए प्रकाशपुंज बन रास्ता दिखा गया।  अब  मेरा  आत्मविश्वास हिलोरे ले रहा था।  अब तक चोरों की तरह बाहर खड़ा था अचानक फाटक को जोर से धक्का दे मारा। मेरे इस तरह प्रकट होने से उस्ताद थोड़ा अचकचा गए, लेकिन  जल्द ही  खुद को संभाल लिया। मैंने उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया व एक ही सांस में कहा उस्ताद जी आपके प्रवचन कोई यहां रिकॉर्ड कर रहा है व बाहर अपना बता कर गोपनीयता भंग कर रहा है। उस्ताद  तो लोमड़ी की तरह चालाक व शेर की तरह ताकतवर होते ही  है।  तभी तो उन्हें उस्ताद कहा जाता है। उन्होंने  इस तरह का अभिनय किया मानो उनके कोई फर्क नहीं पड़ा। अचानक जोर से बोले मैं अभी आपको यही बताने वाला था किसी भरी सभा में विध्न डालना हो तो अंग्रेजों की इसी नीति का पालन करो जैसा इसने किया है।  मैं डर गया कहीं  उस्ताद द्रोणाचार्य के नक्शे कदम पर चलते हुए अंगुलियों जैसी कोई चीज  नहीं मांग लें। मैं गलत था उस्ताद तो हमारी आर्थिक नीति की तरह  उदार निकले। उन्होंने  कहा  लगता है आज इसने हमारे आश्रम का  प्री टेस्ट पास कर लिया है इसे तो हमें दीक्षा देनी ही पड़ेगी। मेरे लिए ये भी सबक था कि जरूरत पड़ने पर उदारवादी बन जाना चाहिए।

-आचार्य ज्योति मित्र, उस्‍ता बारी के अंदर, बीकानेर

आचार्य ज्योति मित्र का व्‍यंग्‍य- साहित्य का सिकंदर! 

यंग्‍य : कोरोना, कविता और इम्‍युनिटी…

व्यंग्य : अफसर के चार नहीं चौरासी आंखें होती  हैं… 

पार्टनरशिप में प्यार…

राजस्‍थान : नई गाइडलाइन जारी, पहली से 8वीं तक के स्‍कूल खुलेंगे, शादी समारोह में अब…

जयपुर Abhayindia.com राजस्थान सरकार ने कोरोना संक्रमण कोरोना के मामलों में कमी के बाद आज नई गाइडलाइन जारी कर दी है। गृह विभाग ने नई गाइडलाइन में अब पहली से लेकर 8वीं तक कक्षा के लिए स्कूल खोलने का फैसला किया है। शादी समारोह में अब 200 लोगों के शामिल होने की छूट दी गई है। अभी तक शादियों में 50 लोग ही शामिल हो सकते थे। 20 सितंबर से छठवीं से आठवीं और 27 सितंबर से पहली से पांचवीं क्लास तक के बच्चों के स्कूल खुलेंगे। पहले फेज में 50 प्रतिशत बच्चों को ही स्कूल बुलाया जाएगा। प्रदेश के सभी सरकारी दफ्तरों में अब 100 प्रतिशत कर्मचारियों को बुलाया जाएगा।

नई गाइडलाइन के अनुसार, सिनेमा हॉल, थियेटर, मल्टीप्लेक्स पूरी क्षमता के साथ सुबह 9 बजे से रात 10 बजे तक खुल सकेंगे। वे ही दर्शक जा सकेंगे, जिन्होंने वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगवा ली हो। बिना वैक्सीन वालों को अनुमति नहीं होगी। रेस्टोरेंट पूरी क्षमता के साथ सुबह 9 से रात 10 बजे तक खुल सकेंगे। जिम, योग सेंटर सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक खुल सकेंगे। 20 सितंबर से स्विमिंग पूल केवल उन लोगों के लिए खुलेंगे, जिन्होंने वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगवा ली हो। जनजातीय विकास विभाग और सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग के हॉस्टल 20 सिंतबर से खुलेंगे। इन हॉस्टल के लिए दोनों विभाग अलग से गाइडलाइन जारी करेंगे।

बच्‍चे बाध्य नहीं होंगे…

नई गाइडलाइन के अनुसार, भले ही स्‍कूल खोलने की अनुमति दे दी गई है, लेकिन सभी कक्षाओं के बच्चों को स्कूल बुलाने से पहले उनके माता-पिता की सहमति अनिवार्य होगी, जो माता-पिता अपने बच्चों को ऑफलाइन क्लास के लिए नहीं भेजना चाहते, उन्हें स्कूल बुलाने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे। जो माता-पिता बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते, उनके लिए ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था जारी रखनी होगी।

मुख्‍य सचिव के बीकानेर दौरे को लेकर भाजपा नेता ने उठाए ये सवाल?

बीकानेर में मुख्य सचिव ने कहा- प्रशासन शहरों और गांवों के संग अभियान का हो प्रभावी क्रियान्वयन

एनआरसीसी कर रहा ऊंटनी के दूध और बाजरे से तैयार उत्‍पाद पार्लर में उतारने की तैयारी…

प्रशासन शहरों और गांव के संग अभियान में राजस्‍व सेवा के कर्मचारी-अधिकारी लगाएंगे अड़ंगा!

अवैध खनन के मामले में सरकार को घेरने के बजाय खुद ही घिर गया विपक्ष!

विधानसभा में भी गूंजा पुलिस अफसर के वीडियो का मामला, आरोपी रिमांड पर

राजस्‍थान में क्‍यों लगा मंत्रिमंडल विस्‍तार और फेरबदल पर ब्रेक? प्रभारी माकन ने बताई ये खास वजह…

जेईई मेन में भी सिंथेसिस के होनहारों का डंका, अनुश्री, गौतम सहित इन्‍होंने दिखाया कमाल…

दुर्घटनाओं में घायल होने वालों को अस्‍पताल पहुंचाने पर मिलेगा इनाम, सरकार ने…

राजस्‍थान में अभी नहीं होगी मानसून की विदाई, आगे खिसक रही तारीख, इन इलाकों में…

राजस्‍थान : स्‍कूल खोलने और तबादलों को लेकर शिक्षा मंत्री ने कही ये बड़ी बात…

राजस्‍थान : खूब ही बरस रहा सितम्‍बर, 15 दिन में बांधों के सूखे हलक हो गए तर

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular