आचार्य ज्योति मित्र का व्‍यंग्‍य- साहित्य का सिकंदर! 

उस्तादजी बचपन से ही सिकंदर को अपना आदर्श मानते रहे हैं। मानें भी क्यों ना? वो सिकंदर ही तो था जिसका पाठ उन्हें कंठस्थ याद था। वो पाठ उनकी स्मृति में हमेशा के लिए छप गया था कि सिकंदर महान था, वो विश्व विजय के लिए निकला था। बस वो दिन और आज का दिन, … Continue reading आचार्य ज्योति मित्र का व्‍यंग्‍य- साहित्य का सिकंदर!