Friday, May 3, 2024
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72 साल बाद अनुच्‍छेद 370 से मुक्‍त हुआ जम्‍मू-कश्‍मीर, जानिये इसकी अहम बातें…

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नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प पेश किया। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे। आपको बता दें कि इस धारा को लेकर काफी लंबे समय से खींचतान होती रही है। विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने अपने हितों के लिए कभी इस पर कोई कड़ा फैसला लेने की हिम्मत नहीं दिखाई। नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में इसको लेकर जो कदम बढ़ाया गया है उसके दूरगामी परिणाम भी सकारात्मक तौर पर सामने दिखाई देंगे। यहां पर ये सवाल काफी बड़ा है कि आखिर धारा 370 है क्या, आईए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं :-

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक ‘अस्‍थायी प्रबंध’ के जरिए जम्मू और कश्मीर को एक विशेष स्वायतत्ता वाला राज्य का दर्जा देता है। भारतीय संविधान के भाग 21 के तहत जम्मू और कश्मीर को यह अस्थायी, परिवर्ती और विशेष प्रबंध वाले राज्य का दर्जा हासिल होता है।

भारत के सभी राज्यों में लागू होने वाले कानून भी इस राज्य में लागू नहीं होते हैं। मिसाल के तौर पर 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था।

संविधान के के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित अनुच्छेद 370 कानून को लागू कराने के लिए केंद्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए।

जम्मू और कश्मीर के लिए यह प्रबंध शेख अब्दुल्ला ने वर्ष 1947 में किया था। शेख अब्दुल्ला को राज्य का प्रधानमंत्री महाराज हरि सिंह और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नियुक्त किया था। तब शेख अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 को लेकर यह दलील दी थी कि संविधान में इसका प्रबंध अस्‍थायी रूप में ना किया जाए।

राज्य के सभी नागरिक एक अलग कानून के दायरे के अंदर रहते हैं, जिसमें नागरिकता, संपत्ति खरीदने का अधिकार और अन्य मूलभूत अधिकार शामिल हैं। इसी धारा के कारण देश के दूसरे राज्यों के नागरिक इस राज्य में किसी भी तरीके की संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं।

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