Monday, May 6, 2024
Hometrendingइतिहास संकलन समिति मरुक्षेत्र जोधपुर प्रान्त का बीकानेर की स्थापना के अवसर...

इतिहास संकलन समिति मरुक्षेत्र जोधपुर प्रान्त का बीकानेर की स्थापना के अवसर पर वेबिनार का आयोजन

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

बीकानेर abhayindia.com इतिहास संकलन समिति मरुक्षेत्र जोधपुर प्रान्त के द्वारा  ‘‘ बीकानेर की स्थापना: अतीत से वर्तमान तक,  संस्कृति और परंपरा  ( मातृशक्ति के दृष्टि से )‘‘  विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया।

इस कार्यक्रम में  बतौर अध्यक्ष  कमला देवी श्रीमाली ,पूर्व महिला प्रमुख, इतिहास संकलन समिति, जोधपुर प्रान्त, मुख्य वक्ता डॉ अम्बिका ढाका, सहप्रभारी, इतिहास विभाग, महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर, महिला प्रमुख, इतिहास संकलन समिति, जोधपुर प्रान्त,  मुख्य अतिथि डॉ बबिता जैन, सह आचार्य, राजकीय डूंगर महाविद्यालय , बीकानेर, विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ कृष्णा आचार्य, वरिष्ठ साहित्यकार व श्रुति बीका, निदेशक, अथर्व क्लासेज, बीकानेर  ने भाग लिया।

मुख्य वक्ता डॉ अम्बिका ढाका ने कहा कि बीकानेर की स्थापना से पूर्व के इतिहास में झाँक कर देखा जाये तो आज से पांच हजार साल पूर्व के साक्ष्य इस धरा से प्राप्त होते हैं जो इसकी समृद्ध परंपरा को दर्शाते हैं। डॉ ढाका ने कहा कि प्राचीन काल में बीकानेर राज्य श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, बीकानेर और जोधपुर तक विस्तृत था जिनमें किये गए पुरातात्विक उत्खनन और सर्वेक्षण से अनेक पुरास्थल सामने आये जो यह दर्शाते हैं कि यहाँ मानव की बस्तियां थीं।

बीकानेर में रेमडेसिविर घोटाला : एसओजी ने रडार में आने वालों को किया जवाब तलब, कल से होंगे बयान…

कालीबंगा उन प्रमुख नगरों में से एक है जो प्रथम नगरीकरण के  साथ कृषि के साक्ष्य भी प्रस्तुत करता है।  डॉ ढाका ने हडप्पा कालीन संस्कृति, चित्रित धूसर मृदभांड संस्कृति और ऐतिहासिक काल की रंगमहल संस्कृति की विशेषताओं, मध्यकाल में निर्मित मंदिरों, भित्तिचित्रों, पाटा संस्कृति और खाद्य पदार्थों में बीकानेर की संस्कृति और परंपरा को विस्तार से रखते हुए रेखांकित किया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ बबिता जैन ने बीकानेर की स्थापना के साथ यहाँ के प्रमुख शासकों के तथा जनसाधारण के दृष्टिकोण से बीकानेर की स्थापना से लेकर वर्तमान तक की तत्कालीन सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक स्थितियों का वर्णन किया।

डॉ जैन ने कहा कि बीकानेर में शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत कार्य किया जाना है। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डॉ कृष्णा आचार्य ने बीकानेर के परकोटे के भीतर और बाहर के शहर की सुन्दर व्याख्या करते हुए यहाँ की रम्मत परंपरा, गणगौर पूजन, उस्ता कला की नक्काशी और मीनाकारी के साथ-साथ खान-पान की परम्परा का बहुत सुन्दर वर्णन किया जो बीकानेर की पहचान को जीवट बनाये है। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि श्रुति बीका ने बीकानेर के राजनीतिक इतिहास पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्ष कमला देवी श्रीमाली ने कार्यक्रम में मातृशक्ति को बधाई देते  हुए कहा कि इस कार्यक्रम के  माध्यम से बीकानेर की स्थापना के विशेष अवसर पर यहाँ की संस्कृति और परंपरा को जानने बहुत आवश्यक है जिससे नयी पीढ़ी तक यह सन्देश प्रसारित हो सके।

इस अवसर पर देश के अनेक कोनों से विद्वानों ने शिरकत की। कार्यक्रम में संरक्षक जानकी नारायण श्रीमाली , मदन गोपाल व्यास, सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारिणी, छगन लाल बोहरा, क्षेत्रीय संगठन मंत्री, राजस्थान क्षेत्र, विमल प्रसाद अग्रवाल, डॉ राजशेखर पुरोहित, सचिव, जम्मू से जसपाल सिंह, फतह किशन कपिल, राम सिंह,डॉ लीलाधर वर्मा, डॉ आनंद सिंह बिट्ठू , कमल चारण, शोभा बिट्ठू, सुनीता स्वामी, सुधीर छिंपा, शैलजा बेनीवाल, अमृता पारीक, अम्बिका पारीक आदि सहित अनेक विद्वानों और शिक्षा जगत से जुड़े सुधीजनों ने सहभागिता की। कार्यक्रम का सञ्चालन व स्वागत-परिचय गीता राजशेखर पुरोहित ने किया। धन्यवाद् ज्ञापन प्रीती शर्मा ने किया।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular