जयपुर (अभय इंडिया न्यूज)। केंद्र सरकार की ओर से कथित वैकल्पिक व्यवस्था के नाम पर बैंक ऑफ बड़ौदा में देना बैंक व विजया बैंक के विलय के निर्णय को ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (राजस्थान) एवं एवं देना बैंक ऑफिसर्स यूनियन (राजस्थान) ने रिट याचिका दायर करके राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी है। न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह ने सुनवाई करके आज गुरुवार को भारत सरकार, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक को नोटिस जारी कर दिए हैं। यूनियनों की ओर से अधिवक्ता प्रदीप चौधरी ने पैरवी की है।
विलय पर आपत्तिकर्ता संगठनों की ओर से वरिष्ठ बैंक कर्मचारी नेता लोकेश मिश्रा ने विज्ञप्ति जारी कर बताया यह विलय जहां एक ओर गैर जरूरी वह अकल्याणकारी है, वहीं सरकार ने इस विलय के निर्णय की प्रक्रिया में देश के कानून का खुला उल्लंघन किया है। मिश्रा ने बताया रिट याचिका में प्रश्न उठाया गया है कथित वैकल्पिक व्यवस्था (अल्टरनेटिव मैकेनिज्म) का क्या विधिक वजूद है, जिसके तहत तीन मंत्री समूह ने स्वयं-भू निर्णय लेकर यह प्रक्रिया आरंभ कर दी, जबकि ऐसे निर्णय केंद्र सरकार रिजर्व बैंक के साथ परामर्श करके योजना बनाकर बैंकिंग कंपनीज अधिनियम 1970 के 1980 की धारा 9 में वर्णित प्रावधानों के तहत ही निर्धारित प्रक्रिया से ही किया जा सकता है, जिस का उल्लंघन हुआ है।
उन्होंने बताया कि कथित वैकल्पिक व्यवस्था ने स्वयं-भू अधिकार लेते हुए अपनी प्रक्रिया स्वयं तय करते हुए बैंकों को विलय प्रस्ताव पारित करने के निर्देश दिए, रिजर्व बैंक से परामर्श करने की बजाय सिर्फ इनपुट देने की बात की है, जो देश के कानून के खिलाफ है। मिश्रा ने यह भी कहा है कि कंपनी की धारा 9 (6) के तहत ऐसी योजना को संसद के दोनों सदनों, जो कम से कम लगातार 30 दिन चले, में पारित करवाए जाने का प्रावधान है, लेकिन इस प्रकरण में संसद के इस विशेषाधिकार का भी उल्लंघन किया गया है।
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