Friday, April 19, 2024
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‘पत्थर क्या नींद से भी ज्यादा पारदर्शी होता है….’

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डॉ. नंदकिशोर आचार्य के एकल काव्य पाठ में उपस्थित सुधी श्रोतागण।
डॉ. नंदकिशोर आचार्य के एकल काव्य पाठ में उपस्थित सुधी श्रोतागण।

बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। ‘वह क्या है, जो मेरे शब्दों से परे है…’, ‘पत्थर क्या नींद से भी ज्यादा पारदर्शी होता है…’, ‘मुस्कान सी हल्की, आंख सी खुली…।’ जैसी काव्य उक्तियों से शहर के सुधि श्रोतागण बहुत आनंद विभोर हुए। अवसर था प्रज्ञा परिवृत और सूर्य प्रकाशन मन्दिर के सह-आयोजन में स्थानीय अजित फाउण्डेशन सभागार में आयोजित हिन्दी के जाने माने चिन्तक, कवि डॉ. नन्दकिशोर आचार्य के अद्यतन प्रकाशित कविताओं के सद्य प्रकाशित एकल काव्य संग्रह ‘अपराह्न’ में से चुनिंदा कविताओं के उनके एकल काव्य पाठ का। उल्लेखनीय है डॉ. आचार्य के इस एकल काव्य संग्रह अपराह्न में उनकी 5 दशकीय काव्ययात्रा के 15 काव्य संग्रहों में से लगभग 1300 चुनिंदा कविताओं का संकलन है।

अपने एकल काव्यपाठ में डॉ. आचार्य ने वह क्या है…, मैं नहीं जानता…, मैं जिस पर हूं…, मैं कृतज्ञ हूं…, खोखला अंधेरा…., मरूस्थली का सपना…, कहीं जल भी है… जैसी मार्मिक कविताओं से काव्य पाठ का प्रारंभ करते हुए टूटने की गूंज…., सो जाउंगा….., बंद पड़ा तलघर… आदि भावसिक्त कविताओं के निष्णात काव्य पाठ से आयोजन को गरिमा प्रदान की। इसी प्रवाह में डॉ. आचार्य ने गा रही है हवा पेड़ के साझ पर… जो ऋतु गाती है… रह गया होकर कहानी… खेल खेलता है मृत्यु के साथ ईश्वर…, नहीं कुछ नहीं कहूंगा…., कहकर क्या मरना है…? भटक रहा है मेरी खोज में शब्द…, घर होता है उसका लौटना होता है जिसका….., गूंगा होकर ही शब्द कह पाएगा कहानी जूल्मतों की…. जैसी सूक्ष्म संवेदनाओं की अनूभूति कराती काव्य उक्तियों से आगंतुकों की खूब दाद बटोरी। इसी के साथ बीकानेर शहर के संदर्भ में कहीं भी समतल नहीं है… चरभर… बेलने लगती अपना पापड़ फिर, काव्य पाठ की सभी कविताओं से आयोजन को सार्थक बनाया। आयोजन के अंत में श्रोताओं की मांग पर अपनी बहुचर्चित कविता बांसूरी, मोरपांंख का पाठ कर एक बार फिर शहर को कविता के रस का पान करवाया। काव्यपाठ के संयोजन में डॉ. ब्रजरतन जोशी ने काव्यपाठ की अवधारणा एवं अपराह्न की विषयवस्तु पर प्रकाश डालते हुए डॉ. आचार्य के साहित्यकर्म से आगंतुकों को अवगत कराया। इस क्रम में प्रज्ञा परिवृत की ओर से डॉ. श्रीलाल मोहता ने डॉ. नंदकिशोर आचार्य को पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया।

कार्यक्रम के अंत में सूर्य प्रकाशन मंदिर के प्रशान्त बिस्सा ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’, सरल विशारद, दीपचंद सांखला, बुलाकी शर्मा, नीरज दैया, गौरीशंकर प्रजापत, डॉ. सुचित्रा कश्यप, अनिता गोयल, नवनीत पांडे, नटवर व्यास, डॉ. अजय जोशी, राजेन्द्र जोशी, आनन्द पुरोहित, कौशल्या सेन, रेणुका व्यास सहित शहर के विविध क्षेत्रों के प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

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