Friday, April 19, 2024
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शंभू-शेखर सकसेना ने साहित्य-पत्रकारिता में स्थापित किए आदर्श प्रतिमान

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बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, भू-जल एवं ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि स्वर्गीय शंभूदयाल सकसेना और उनके पुत्र स्वर्गीय शेखर सकसेना ने साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में आदर्श प्रतिमान स्थापित किए। उनके द्वारा इन क्षेत्रों में दी गई सेवाएं हमेशा प्रेरणा देती रहेंगी।

9वें शंभू-शेखर सकसेना राज्य स्तरीय साहित्य एवं पत्रकारिता पुरस्कार समारोह में भवानी शंकर व्यास विनोद को लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार देते अतिथि। फोटो : बी. जी. बिस्सा
9वें शंभू-शेखर सकसेना राज्य स्तरीय साहित्य एवं पत्रकारिता पुरस्कार समारोह में भवानी शंकर व्यास विनोद को लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार देते अतिथि। फोटो : बी. जी. बिस्सा

डॉ. कल्ला ने यह उद्गार रविवार को यहां टाउन हॉल में शंभू-शेखर सकसेना सामाजिक विकास संस्थान की ओर से आयोजित 9वें शंभू-शेखर सकसेना राज्य स्तरीय साहित्य एवं पत्रकारिता पुरस्कार समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। डॉ. कल्ला ने कहा कि शंभू-शेखर सकसेना की स्मृति में दिए जाने वाले पुरस्कारों ने राज्य व देश में अपनी एक अलग पहचान क़ायम की है। उन्होंने साहित्यकारों का आह्वान करते हुए कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है, इसलिए अच्छे साहित्य का सृजन कर आने वाले पीढ़ी का मार्गदर्शन करें।

 

समारोह में विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा राज्य मंत्री भँवर सिंह भाटी ने कहा कि शंभू-शेखर सकसेना ने साहित्य एवं पत्रकारिता के माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियों को ख़त्म करने और राजनीतिक व प्रशासनिक कमियों को उजागर कर सजग रखने का काम किया है। आयोजक संस्था की ओर से दोनों ही क्षेत्रों में प्रतिभाओं को पुरस्कृत करने की जो परंपरा निभाई जा रही है वो अनुकरणनीय है।

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समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’ ने शंभूदयाल सकसेना के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने बीकानेर ही नहीं, बल्कि समूचे देश में साहित्य के माध्यम से जो समाज की सेवा की वो अविस्मरणीय है। व्यास ने सकसेना के हरिवंशराय बच्चन, महादेवी वर्मा, यशपाल सहित साहित्य लेखन से जुड़े दिग्गज लेखकों के साथ बने प्रगाढ़ संबंधों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि शंभूदयाल सकसेना के आदर्शों को आगे बढ़ाने में उनके पुत्र शेखर सकसेना ने कोई कमी नहीं छोड़ी। वे एक जागरूक पत्रकार, एक सुलझे हुए समीक्षक, एक सिद्धहस्त संपादक तथा एक श्रेष्ठ लेखक थे। उनके आलेख हमेशा चर्चित रहे। 1950 से 60 तक तो उन्हें अपने पिता यशस्वी पत्रकार एवं साहित्यकार स्वर्गीय शंभूदयाल सकसेना के सान्निध्य में रहकर सीखने का अवसर मिला पर बाद में जब उन्होंने सेनानी व गणराज्य का संपादन किया तो वे एक पूर्णतया परिपक्व पत्रकार के रूप में सामने आए।

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समारोह में विशेष आमंत्रित अतिथि महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भगीरथ बिजारणियां तथा राज्य अभिलेखागार बीकानेर के निदेशक महेन्द्र खडग़ावत ने कहा कि शंभू-शेखर सकसेना ने साहित्य एवं पत्रकारिता के माध्यम से लोकतंत्र में जन-जागृति पैदा करने, स्वस्थ जनमत तैयार करने में अहम् भूमिकाएं निभाई।

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समारोह में बीकानेर के वरिष्ठ साहित्यकार भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ को साहित्य के क्षेत्र में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से पुरस्कृत किया गया। इसी तरह अजमेर के डॉ. अखिलेश पालरिया को राज्य स्तरीय शंभूदयाल सकसेना साहित्य पुरस्कार तथा सीकर के विनोद सिंह चौहान को राज्य स्तरीय शेखर सकसेना पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया। पुरस्कार स्वरूप इन्हें 5100 रुपए नगद, चांदी के मैडल, प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। साहित्य क्षेत्र में शंभूदयाल सकसेना विशिष्ट पुरस्कार बीकानेर की आशा शर्मा को तथा पत्रकारिता क्षेत्र में शेखर सकसेना विशिष्ट पुरस्कार बीकानेर श्याम मारू को प्रदान किया गया। इन्हें पुरस्कारस्वरूप 2100 रुपए नगद, चांदी के मैडल तथा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। इससे पहले संस्थान की सचिव रेणु सकसेना ने स्वागत भाषण दिया। समारोह का संचालन संजय पुरोहित ने किया। आभार नीरज सकसेना ने ज्ञापित किया

स्वस्थ पत्रकारिता के आलोक स्तंभ शेखर सकसेना

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