Saturday, May 18, 2024
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परनामी सहित भाजपा के कई नेता मधुबन पहुंचे, उधर भाटी की खामोशी ने ही सारी दास्तां कह सुनाई

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बीकानेर Abhayindia.com एक अरसे से भाजपा से दूरी बनाए बैठे पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी के फार्म हाउस मधुबन में भाजपा के कई दिग्गजों के आने से राजस्थान के सियासी तापमान में उबाल आया हुआ है। वहीं, उससे भी ज्यादा इस प्रकरण पर भाटी की रहस्यमयी चुप्पी ने राजनैतिक हलकों में कई सवाल खड़े कर दिए है। राजनीति के पंडितों का आंकलन है कि भाटी की इस मुद्दे पर चुप्पी आने वाले दिनों में कुछ बड़ा होने का संकेत दे रही हैं।

बहरहाल, जानकार सूत्रों ने बताया कि पिछले दिनों भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, पूर्व मंत्री यूनुस खान, पूर्व मंत्री राजपाल सिंह, पूर्व सांसद रामसिंह कस्वां व पूर्व विधायक अभिषेक मटोरिया पूर्व मंत्री भाटी के जयमलसर स्थित फार्म हाउस मधुबन पहुंचे और उनसे कई मसलों पर चर्चा की। हालांकि, भाटी खेमे की ओर से इस खबर को खामोश कर दिया गया लेकिन बात छनकर राजनीतिक गलियारों तक पहुंच गई। इस संबंध में जब पूर्व मंत्री भाटी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारे मित्र है आए थे व कुछ राजनीतिक चर्चाएं हुई। क्या चर्चाएं हुई इसका खुलासा भाटी ने नहीं किया। आमतौर पर सीधी सपाट बात करने वाले भाटी का ये डिप्लोमेटिक अंदाज काफी कुछ कह गया।

इस बीच, कयास लगाए जा रहे है कि भाटी व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के अच्छे सम्बन्ध है। संभवतः भविष्य में राजे के संभाग स्तरीय कार्यक्रम को लेकर यह नेता भाटी से मिलने आए होंगे। राजनीति के पंडितों का कहना है कि बीकानेर संभाग में किसी बड़े कार्यक्रम की कल्पना भाटी के बिना नहीं की जा सकती। राजपूतों का यह खांटी नेता अपनी साफगोई के लिए ज्यादा जाने जाते है लेकिन इस बार भाटी की चुप्पी ने उनके विरोधियों को परेशान कर रखा है। जमीन से जुड़े भाटी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत के बाद लगातार चुनाव जीतने वाले राजस्थान के एकमात्र करिश्माई नेता है जिनका ब्राह्मणों, मुसलमानों, राजपूतों, पिछड़े वर्ग, आरक्षण से वंचित सहित अन्य वर्गों में खासा प्रभाव है।

नब्बे के दशक में भाजपा की शेखावत सरकार को बचाने के लिए जनता दल दिग्विजय का भाजपा में विलय करवाने में इस दबंग नेता की अहम भूमिका थी। ये ही वो दौर था जिसमें भाटी ने सामाजिक न्याय मंच नाम से आरक्षण आंदोलन शुरू किया था। राजस्थान के लगभग हर जिले में उस दौर की रैलियों में उमडऩे वाली भीड़ ने राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक प्रेक्षकों का ध्यान अपनी ओर खींचा। ये इस कद्दावर नेता का ही कमाल था जिसने भाजपा को पहली बार बीकानेर से भाजपा का सांसद दिया। भाटी आज भले ही भाजपा से दूर बैठे हो लेकिन जब जब भी पार्टी को शक्तिपरीक्षण की जरूरत पड़ी है बीकानेर सम्भाग में भाजपा को भाटी ही याद आए है। बहरहाल, भाटी की रहस्यमयी चुप्पी ने राजनीतिक हलकों में भले ही सवाल खड़े कर दिया हो लेकिन भाटी के कार्यकर्ता उत्साहित हैं।

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