Sunday, May 5, 2024
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संस्कृत और संस्कृति दोनों को बचाना जरूरी : डॉ. कल्ला

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बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। स्वर्गीय पंडित मोतीलाल जोशी की स्मृति में राजस्थान संस्कृत साहित्य सम्मेलन बीकानेर संभाग एवं संस्कृत सुधि एवं प्रतिभा सम्मान समारोह रविवार को वेटरनरी ऑडिटोरियम में आयोजित किया जाएगा। बीकानेर विचार मंच की ओर से आयोजित इस समारोह में  संस्कृत विश्वविद्यालय राजस्थान के पूर्व कुलपति प्रो. युगल किशोर मिश्रको लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।  उन्हें 21 हजार रूपये का चैक, शॉल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। इनके अलावा शहर में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली प्रतिभाओं का भी सम्मान किया गया।

समारोह में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पूर्व मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने पं. मोतीलाल जोशी द्वारा संस्कृत भाषा के विकास में दिए गए योगदान की सराहना करते हुए कहा कि राजस्थान में आज जो संस्कृत का विश्वविद्यालय हैं, इसकी आधारशिला रखवाने में पं. जोशी की अहम् भूमिका थी। आज संस्कृत शिक्षा पर संकट मंडरा रहा है। सरकार संस्कृत शिक्षा निदेशालय को समाप्त करने की कोशिश कर रहीं है। उन्होंने संस्कृत भाषा की हानि नहीं होने दी जायेगी। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा देवों की भाषा है। धर्म की हानि होने पर देवता अवतार लेते हैं। संस्कृत भाषा को अगर हानि पहुंचाई जाती है, तो संस्कृत भाषा से जुड़े विद्वान सहित आमजन इसका विरोध करेंगे।

समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा ने कहा कि संस्कृत भाषा के विद्वानों के बीच में बैठना अपने आप में ही गौरव की बात है। वर्तमान समय में हम संस्कृत भाषा और अपनी संस्कृति दोनों को ही भूला रहे हैं, जो चिंता का विषय है। उन्होंने देश के बिगड़ते माहौल पर चिन्ता प्रकट की और कहा कि आज भारतीय संस्कृति को बचाने की बहुत जरूरत है। यह संस्कृति तभी बच पायेगी, जब संस्कृत भाषा का विकास होगा।

पूर्व कुलपति युगल किशोर मिश्र ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के माध्यम से मेरा उत्तरप्रदेश से जुड़ाव रहा है, लेकिन संस्कृत भाषा और शिक्षा का जितना विकास राजस्थान में हुआ, उतना वहां नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि पं. मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना में बीकानेर राजघराने का सहयोग रहा है।पूर्व महाराजा गंगासिंह ने पंडित मदन मोहन मालवीय का न केवल विचारों से बल्कि हर तरह से सहयोग किया। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय का हर विद्यार्थी महाराजा गंगासिंह के योगदान के बारे में जानता है। उन्होंने बीकानेर राजघराने द्वारा काशी में बनाई गई सम्पतियों पर प्रकाश डाला और कहा कि आजादी के बाद राजस्थान सरकार के आग्रह पर मेरे दादा जी और पिता जी ने 50 सालों तक डूंगरवेश्वर मंदिर और धर्मशाला की जिम्मेदारी ली। इसलिए मेरा बीकानेर से विशेष लगाव है।

उत्तर-पश्चिम रेलवे मण्डल बीकानेर के प्रबंधक अनिल दूबे कहा कि संस्कृत शिक्षा  से सुसंस्कृत नागरिकों का निर्माण होता है।  हमें अपने जीवन को स्वस्थ रखने के लिए स्वच्छता को अपनाना चाहिए।

समारोह  के संयोजक बनवारीलाल शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया और पंडित मोतीलाल का संस्कृत शिक्षा के विकास में योगदान पर विस्तार से जानकारी दी। बीकानेर विचार मंच ने दस साल पहले इसकी शुरूआत की थी। मंच ने बीकानेर की छोटी-छोटी समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास किए। उन्होंने कहा कि इस मंच ने 2010 में पं. मोतीलाल जोशी का अभिनन्दन किया था। उन्होंने कहा कि पण्डित मोतीलाल एक नाम नहीं एक संस्थान था। संस्कृत शिक्षा, संस्कृत भाषा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।

समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में शिक्षा विभाग के पूर्व निदेशक राधेश्याम कलावटिया, पूर्व निदेशक संस्कृत शिक्षा विभाग डॉ. मण्डन शर्मा, आकाशदीप संस्थान के निदेशक डॉ. एम. सी. भारतीय ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर कर्मचारी नेता सूरज प्रकाश टॉक, पीबीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. पी. के. बेरवाल, शर्मिला पंचारिया, राजकुमार जोशी मंचस्थ थे। मंगलाचरण ओम सांखोलिया ने  किया तथा संचालन सोनू ने किया।

बीकानेर में यात्रा के बाद सीएम वसुंधरा राजे का यह ट्वीट बना चर्चा का केन्द्र

 

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