Monday, December 23, 2024
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कोचिंग संस्थानों का मुद्दा : हम गाइड लाइन के अनुसार काम करने को हैं तैयार : बजाज

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बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। आवासीय कॉलोनियों में संचालित कोचिंग संस्थानों को लेकर जिला प्रशासन की ओर से दिए गए दिशा-निर्देशों की पालना को लेकर बीकानेर कोचिंग एसोसिएशन ने पूर्ण प्रतिबद्धता जताई है।

एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज कुमार बजाज ने बताया कि हमारे एसोसिएशन के पदाधिकारियों की मंगलवार को जिला कलक्टर के साथ सौहार्दपूर्ण वातावरण में बैठक हुई। इसमें हमने कोचिंग संस्थानों को संस्थागत भू-उपयोग वाली जमीन यूआईटी से उपलब्ध करवाने में मार्गदर्शन देने व विद्यार्थियों की परीक्षा व भवन निर्माण के लिए समयावधि देने पर जिला प्रशासन का आभार व्यक्त किया। एसोसिएशन ने प्रशासन से यह निवेदन भी किया है कि यूआईटी हमें ऐसी जगह देने का विकल्प देवें जो विद्यार्थियों जिसमें खासतौर से छात्राओं का आवागमन सुरक्षित व भयरहित हो।

इससे पहले एसोसिएशन के शिष्टमंडल की ओर से कलक्टर कुमारपाल गौतम को एक ज्ञापन भी सौंपा गया। ज्ञापन में बताया गया है कि बीकानेर में संचालित कोचिंग संस्थान भू-उपयोग रूपातंरण के लिए आवेदन करने के लिए पूर्णत: सहमत है। राज्य सरकार की ओर 20 जुलाई 2017 को जारी एक आदेश की हमें जानकारी मिली है, जिसमें लार्जर पब्लिक इटरेस्ट के कार्यों के लिए भू-उपयोग रूपांतरण की स्वीकृति देने की बात कही गई है। इसमें शैक्षणिक संस्थानों को भी रखा गया है। बीकानेर के लगभग सभी कोचिंग संस्थान 40 फीट या उससे अधिक चौड़ाई की सड़क पर स्थित है व बहुतों के पास अपना पार्किंग स्थल भी है। लगभग सभी संस्थान यूडीएच और डीएलबी द्वारा जारी गाइड लाइन की पालना भी कर रहे हैं।

ज्ञापन में बताया गया कि कोचिंग संस्थान संचालन पूर्णत: कॉमर्शियल एक्टीविटी की श्रेणी में नहीं आता है, बल्कि संस्थागत एक्टीविटी माना जाता है, इसलिए हमारी संस्थाओं के लिए भू-उपयोग संस्थागत होना चाहिए न कि कॉमर्शियल। ज्ञापन में बताया गया है कि बीकानेर में पिछले लगभग डेढ़ दशक से संचालित कोचिंग संस्थानों ने बीकानेर ही नहीं, बल्कि समूचे राजस्थान व पूरे देश के हजारों डॉक्टर, आईआईटी इंजीनियर दिए हैं। यहां सैकड़ों कर्मचारी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। इन संस्थानों का देशहित में शैक्षणिक, रोजगारपरक व आर्थिक योगदान हमेशा से रहा है।

ज्ञापन में कहा गया है कि मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए जो संस्थान परिसर भू-रूपांतरण के लिए पात्र है, उन्हें इसमें सहायता कर इस संबंध में उचित कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित नहीं हो।

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