Tuesday, April 23, 2024
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राजस्‍थान में इस पार्टी को 6 सीटों पर भितरघात का खतरा

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जयपुर (अभय इंडिया न्‍यूज)। लोकसभा चुनाव में भाजपा को राजस्‍थान की 25 में से 6 सीटों पर जातीय ध्रुवीकरण व प्रत्याशियों के खिलाफ भितरघात का खतरा सता रहा है। इसमें जोधपुर, बाड़मेर, बीकानेर, अलवर, टोंक-सवाई माधोपुर व सीकर सीट शामिल हैं।

पार्टी अब जातीय ध्रुवीकरण से निपटने के लिए जातियों में प्रभाव रखने वाले नेताओं से गठजोड़ करके संतुलन साधने की कोशिश कर रही है। इस रणनीति के तहत भाजपा ने नागौर में आरएलपी से गठबंधन कर जाटों में चर्चित चेहरे हनुमान बेनीवाल के लिए सीट छोड़ दी। इसके बाद गुर्जर संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को पार्टी में शामिल कर लिया। इसके अलावा पार्टी ने कांग्रेस के लिए मजबूत मानी जा रही सीटों पर आक्रामक प्रचार की रणनीति भी बना ली है। इन सीटों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर कई केन्द्रीय नेताओं की सभाओं की तैयारी भी हो रही है।

बाड़मेर में कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह के खिलाफ पार्टी ने कैलाश चौधरी को टिकट दिया है। इसके साथ ही यह सीट जातीय ध्रुवीकरण में फंस गई है। जाट और राजपूत इस सीट पर दो बड़े वोटर हैं। इनके अलावा एससी और मुसलमान भी यहां बड़ी संख्या में है। मानवेंद्र बाड़मेर सीट पर पहले सांसद रह चुके हैं, साथ ही कैलाश चौधरी के मुकाबले उनका सियासी कद भी बड़ा है। ऐसे में भाजपा के लिए यह सीट चुनौती से कम नहीं है।

जोधपुर में कांग्रेस ने सीएम अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को प्रत्याशी बनाया हैं, जबकि भाजपा से मौजूदा सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत उम्‍मीदवार हैं। इस सीट से स्‍वयं सीएम गहलोत पांच बार सांसद रह चुके हैं। इस सीट पर जाट, राजपूत, माली, मुसलमान व विश्नोई वोट बैंक हैं। भाजपा यहां भी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।

सीकर में कांग्रेस ने सुभाष महरिया को मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद सुमेधानंद को दुबारा मौका दिया है। सुभाष महरिया पिछले लोकसभा चुनावों में निर्दलीय लड़कर भी 1.80 लाख वोट बटोर लाए थे। यहां भाजपा ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को रणनीति तैयार करने का जिम्मा दिया है।

अलवर में भाजपा के बाबा बालकनाथ यादव समाज से आते हैं जो अलवर का सबसे बड़ा वोट बैंक है, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी भंवर जितेंद्र यहां के पूर्व राजघराने से हैं। इनकी छवि को लेकर भी कोई विवाद नहीं है, लेकिन जब भी राजघराने और यादवों के बीच चुनाव होता है तो यह सीट जातीय गोलबंदी में फंस जाती है।

बीकानेर में भाजपा के अर्जुन राम मेघवाल का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी रिटायर्ड आईपीएस मदनगोपाल मेघवाल से है। अर्जुनराम मेघवाल के खिलाफ दिग्‍गज नेता देवी सिंह भाटी भाजपा से इस्तीफा दे चुके हैं। वे तो खुलकर अर्जुनराम के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं। बीकानेर भाजपा में भाटी के कई समर्थक भी हैं जो मेघवाल के लिए परेशानी पैदा कर सकते हैं।

धौलपुर करौली में कांग्रेस ने संजय कुमार जाटव को प्रत्याशी घोषित किया है, जबकि भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद मनोज राजोरिया को रिपीट किया है। एससी वोटर् में सबसे ज्यादा संख्या यहां जाटवों की है। इन्‍हें बहुजन समाज पार्टी के नजदीक माना जाता है, लेकिन विधानसभा चुनाव में ये वोट कांग्रेस में शिफ्ट हो गया, ऐसे में यह सीट भाजपा के लिए आसान नहीं कही जा सकती।

टोंक सवाईमाधोपुर में कांग्रेस ने नमो नारायण मीणा को और भाजपा ने मौजूदा सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया को रिपीट किया है। 2009 में भी गुर्जर व मीणा आमने-सामने हो चुके हैं। उस वक्त यहां गुर्जर नेता किरोडी सिंह बैंसला और नमोनारायण मीणा के बीच बेहद नजदीकी मुकाबला हुआ था। दोनों जातियों के वोट गोलबंद हुए थे।

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