Friday, March 29, 2024
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…और एक घंटे के लिए गुल कर दी गई मुख्यमंत्री निवास की बिजली

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जयपुर (अभय इंडिया न्यूज)। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के 13, सिविल लाइन्स स्थित निवास पर ‘अर्थ आवरÓ के तहत पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से लाइटें एवं समस्त बिजली उपकरण बंद रखे गए। मुख्यमंत्री निवास पर स्थित विभिन्न कार्यालयों में इस दौरान लाइटें बंद रहीं। अर्थ आवर जैसे अभियानों के प्रति आमजन में जागरूकता पैदा करने तथा ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाइटें बंद रखी गईं।

गौरतलब है कि धरा को साफ, स्वच्छ व हरा-भरा रखने और ऊर्जा बचत के लिए दुनियाभर में 20 से 25 मार्च तक अर्थ आवर मनाया गया। इसके तहत शनिवार रात 8.30 से 9.30 बजे तक कई देशों में लोगों ने बिजली बंद रखी। अर्थ आवर के आयोजकों का कहना है कि इस बार पूरी दुनिया में रिकॉर्ड 147 देश धरती को बचाने के इस अभियान में शामिल हुए। 5411 शहरों और कस्बों में बिजली बंद रखी गई। वर्ष 2011 में 135 देश और 5251 शहरों व कस्बों ने इसमें भागीदारी की थी। बता दें कि अर्थ आवर की शुरुआत वर्ष 2007 में सिडनी से हुई थी। शुरुआती दौर में इसका उद्देश्य केवल बिजली बचाना था, लेकिन बाद में पर्यावरण सुरक्षा और जागरुकता भी इस अभियान से जुड़ गए।

इंपीरियल होटल ने डब्ल्यूडब्ल्यूएफइंडिया के साथ साझीदारी में 20 मार्च से 25 मार्च तक अर्थ आवर सप्ताह मनाने का फैसला किया। इस दौरान होटल रात साढ़े आठ बजे से साढ़े नौ बजे तक लाइट बंद रखी गई। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को रोकने में मदद के लिए दुनिया भर के लोगों, समुदायों और संगठनों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने की दुनिया की यह सबसे बड़ी मुहिम ने शनिवार रात मूर्त रूप लिया। दुबई लगातार दस वर्षों से अर्थ आवर कार्यक्रम में हिस्सा ले रहा है। इसके तहत सभी सरकारी भवनों की बत्तियां रात आठ बजकर तीस मिनट से रात नौ बजकर तीस मिनट तक बुझाई गई। अर्थ आवर के इस एक घंटे के दौरान स्थानीय नागरिक कैंडल मार्च निकाले गए।

अर्थ आवर क्या है…..?

अर्थ आवर डे की शुरुआत वल्र्ड वाइड फंड फॉर नेचर की ओर से शुरू किया गया था। पहली बार इसे साल 2007 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में मनाया गया। इसके तहत लोगों से सारी लाइटें 60 मिनट के लिए बंद करने की अपील की गई। बाद में इसे दुनियाभर में अपनाया मनाया जाने लगा। अब यह केवल एक अभियान नहीं, वरन् एक आंदोलन बन चुका है। पिछले वर्ष भारत में मुंबई के गेट वे ऑफ इंडिया पर भी अर्थ आवर मनाया गया था। उधर, आलोचकों का मानना है कि एक घंटा बिजली बंद करने की अपेक्षा ध्यान इस बात पर देना चाहिए कि किस तरह जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाई जाए।

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